________________
चवण्णइमो समवाश्री / चौपनवां समवाय
महापुरुषों का जन्म, श्ररिष्टनेमि की छद्मस्थपर्याय, महावीर द्वारा - एक दिन में चौपन व्याख्यान, श्रनन्त-जिन के गरण- गणधर ।
पणपण्णइमो समवाश्रो / पचपनवां समवाय
मल्लि अर्हत् का आयुष्य, मन्दर, विजयादि द्वारों का अन्तर, महावीर द्वारा पुण्य-पापविपाकदर्शक अध्ययनों का प्रतिपादन, नरकावास, कर्म प्रकृतियाँ |
छप्पणइमो समवाओ / छप्पनवां समवाय
नक्षत्रयोग, विमलजिन के गण और गणधर ।
श्रावणइमो समवाश्री / श्रट्ठावनवां समवाय
नरकावास, कर्मप्रकृतियाँ, गोस्तूभ और वडवामुख महापाताल श्रादि का अन्तर ।
सत्तावण्णइमो समवाश्रो / सत्तावनवां समवाय
तीन गणपिटक के अध्ययन, गोस्तूभ पर्वत और महापाताल का अन्तर, मल्लि के मनः पर्यवज्ञानी, महाहिमवन्त और रुक्मि पर्वतों की जीवा का धनुःपृष्ठ |
१५३
एसट्टिम समवा / इकसठवां समचाय
ऋतुमास, मन्दर पर्वत का प्रथम काण्ड, चन्द्रमण्डल |
१५०
गुणसमोसमवाप्रो / उनसठवां समवाय
चन्द्रसंवत्सर, संभव जिन का गृहवास, मल्लि जिन के अवधिज्ञानी । १५५
बावट्टमो समचाओ / वासठवां समवाय
पंचसांवत्सरिक युग में पूर्णिमाएँ - श्रमावस्याएँ, वासुपूज्य के गरणगणधर, चन्द्रकलाओं का विकास -हास, सोधर्म - ईशान कल्प के विमानावास, वैमानिक विमानप्रस्तट ।
१५१
सो समान / साठवां समवाय
सूर्य की मण्डलपूति, लवरणसमुद्र का अग्रोदक, विमल की प्रवगाहना, चीन्द्र और ब्रह्म देवेन्द्र के सामानिक देव, सोधर्म-ईशान कल्प के विमानावास |
१५६
तेवट्टिमोसमवाप्रो / तिरसठवां समवाय
ऋषभ का महाराज-काल, हरिवास- रम्यक् वास के मनुष्यों का यौवन, निपध- नीलवन्त पर्वत पर सूर्योदय ।
१५२
१५
१५४
१५७
१५८
१५६