Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh Part 06
Author(s): Vijayrajendrasuri
Publisher: Rajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan

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Page 1375
________________ वीर 1351 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 6 वीर ते।) (ध्वजदर्शनविशिष्टमष्टमं स्वप्नम् 'झय' शबदे चतुर्थभागे 1660 / रिसंनिगासं पिच्छइ सा रयणनिकररासिं 13 // 45 // पृष्ठे गतम्।) सिहिं च सा विउलुज्जलपिंगलमहुघयपरिसिचमाणनिभूमधतओ पुणो जञ्चकं चणुञ्जलं तरूवं निम्मलजलपुन्नमुत्त- गधगाइयजलंतजालुज्जलाभिरामं तरतमजोगजुत्तेहिं न जालापमंदिप्पमाणसोहं कमलकलावपरिरायमाणं पडिपुग्नं सव्व- यरेहिं अन्नुन्नमिव अणुप्पइन्नं पिच्छइ जालुजलणग अंबरं व मंगलभेयसमागमं पवररयणपरिरायंतकमलट्ठियं नयणभूस- कत्थइ पयंतं अइवेगचंचलं सिहिं 14 // 46|| णकरं पभासमाणं सव्वओ चेव दीवयंतं सोमलच्छीनिभेलणं इमे एयारिसे सुभे सोमे पियदंसणे सुरूवे सुविणे दठूण सव्वपावपरिवज्जिअंसुभं भासुरं सिरिवरं सव्वोउयसुरभिकुसुम- सयणमज्झे पडिबुद्धा अरविंदलोयणा हरिसपुलइअंगी। एए आसत्तमल्लदाम पिच्छइ सा रययपुन्नकलसं // 41 // चउद्दस सुमिणे, सव्वा पासइ तित्थयरमाया, जं रयणिं वक्कमइ तओ पुणो रविकिरणतरुणबोहिययसहस्सपत्तसुरभितरपिंज- कुञ्छिसि महायसो अरिहा / / 47 // तएणं सा तिसला खत्तियाणी रजलं जलचरपहकरपरिहत्थगमच्छपरिभुजमाणजलसंचयं इमे एयारूवे चउद्दस महासुमिणे पासित्ता गं पडिबुद्धा समाणी महंतं जलंतमिव कमलकुवलयउप्पलतामरसपुंडरीओरुसप्प हट्ठ-तुट्ठ० जाव-हियया धाराहयकयंबपुप्फगं पिव समूससिमाणसिरिसमुदएणं रमणिज्जरूवसोहं पमुइअंतभमरगणमत्तमहु अरोमकूवा सुमिणुग्गहं करेह करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुढेइ यरिंगणुक्करोलिज्जमाणकमलं कायंबगबलाहयचक्ककलहंस अब्भुट्टित्ता पायपीठाओ पचोरुहइ, पायपीठाओ पचोरुहित्ता सारसगव्विअसउणगणमिहुणसेविजमाणसलिलं पउमिणिपत्तो अतुरिअमचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गई। वलग्गजलबिंदुनिचयचित्तं पिच्छइ सा हिययनयणकंतं पउमसरं जेणेव सयणिज्जे जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छइ नाम सरं सरोरुहा-भिरामं 10 // 42 // उवागच्छित्ता सिद्धत्थं खत्तिअंताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणोरमाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं तओ पुणो चंदकिरणरासिसरिसरिवच्छसोहं चउगमणप मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं हिययगमणिज्जाहिं हिययपल्हायणिवड्डमाणजलसंचयं चवलचंचलुचायप्पमाणकल्लोललोलंततोयं जाहिं मिअमहुरमंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी 2 पडिबोहेइ पडुपवणाहयचलियचवलपागडतरंगरंगतभंगखोखुब्भमाणसो ||48|| तए णं सा तिसला खत्तिआणी सिद्धत्थेणं रन्ना अब्भणुभंतनिम्मलुक्कडउम्मीसहसंबंधधावमाणावनिपत्त भासुरतराभि नाया समाणी नाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तंसि भद्दासणंति रामं महामगरमच्छतिमितिमिंगिलनिरुद्धतिलितिलियाभिधा निसीयइ निसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया सिद्धत्थं यकप्पूरफेणपसरं महानईतुरियवेगसमागयभमगंगावत्तगुप्प खत्तिअंताहिं इट्ठाहिं० जाव संलवमाणी संलवमाणी एवं वयासी माणुचलंतपचोनियत्तभममाणलोलसलिलं पिच्छइ खीरोयसा -||47 // एवं खलु अहं सामी, अज्जतंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि यरं सा रयणिकरसोमवयणा 11 // 43|| वण्णओ० जाव-पडिबुद्धा, तं जहा-गयवसह० गाहा, तं एएसिं तओ पुणो तरुणसूरमंडलसमप्पहं दिप्पमाणसोभं उत्तमकंच सामी उरालाणं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं के मन्नेकल्लाणे महामणिसमूहपवरतेयअट्ठसहस्सदिप्पंतनहप्पईवं कणगपय फलवित्तिविसेसे भविस्सइ / / 50|| तए णं से सिद्धत्थे राया रलंबमाणमुत्तासमुज्जलं जलंतदिव्वदामं ईहामिगउसभतुरगन तिसलाए खत्तिआणीए अंतिए एयमढे सुया निसम्म हट्ठतुट्ठरमगरविहगवालगकिन्नररुरुसरभचमरसंसत्तकुंजरवणलयप जाव हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुमचंचुमालइयरोम-कूवे उमलय भत्तिचित्तं गंधव्वोपबजमाणसंपुन्नघोसं निचं सजलघण ते सुमिणे ओगिण्हई, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसइ, ईहं विउलजलहरगज्जियसवाणुणाइणा देवदुंदुहिमहारवेणं सयलमवि अणुप-विसित्ता अप्पणो साहाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धि विन्नाणेणं जीवलोयं पूरयंतं, कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कडज्झमाणधूव- तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ करित्ता तिसलं खत्तिआणिं वासंगउत्तममघमघंतगंधुद्भुयाभिरामं निचालोयंसेयंसेयप्पभंसुरव ताहिं इट्ठाहिं० जाव मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं वग्गू हिं राभिरामं पिच्छा सा साओवभोगं विमाणवरं पुंडरीयं 12 // 44|| संलवमाणे संलवमाणे एवं वयासी- ||51 / ! उराला णं तु में तओ पुणो पुलगवेरिंदनीलसासगकक्केयणलोहियक्खमरग- देवाणु प्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा णं तुमे देवाणुप्पिए! यमसारगल्लपवालफलिहसोगंधियहंसगब्भअंजण चंदप्पहवर- सुमिणां दिट्ठा, एवं सिवा धन्ना मंगल्ला सस्सिरीया आरुग्गरयणेहिं महीयलपइडिअंगगणमंडलंतं पभासयंतं, तुंगं मेरुगि- | तुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगल्लकारगाणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुं

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