Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh Part 06
Author(s): Vijayrajendrasuri
Publisher: Rajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 1402
________________ वीर 1378 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 6 वीर अंतरं, सो तहिं गओ, भुजइ दहिकूरं सो, बहिफोडो न चेव धाइ, तेहिं भणिय-वधु भायणं करंबेह, करंबियं, पच्छा न नित्थरइ, ताहे से उबरि छूट, ताहे उक्किलंतो गच्छइ। ततो भगवं जंबूसंड नाम गाम गओ, तत्थ वि अच्छारिया भत्तं तहेव नवरं तत्थ खीरकूरे, तेहि वितहेव धरिसिओ जिमिओ / तंबाएँ नंदिसेणो, पडिमा आरक्खि वहण भय डहणं / कूवियचारियभोक्खे, विजयपगम्भा य पत्तेअं॥४५४|| ततो भगवं तंबायं णाम गाम एइ, तत्थ नंदिसेणा नाम थेरा बहुस्सुआ बहुपरिवारा पासाविचजा, तेऽवि जिणकप्पस्स परिकम्म करेंति, इमोऽवि बाहिं पडिमं ठिओ, गोसालो अतिगओ, तहेव पुच्छइ, खिंसति य / ते आयरिया तदिवसं चउक्के पडिमं ठायंति, पच्छा तहिं आरक्खियपुत्तेण चोरो ति काउं भल्लएण आहओ, ओहिणाणं. सेसं जहा मुणिचंदस्स, जाव गोसालो बोहेत्ता आगतो। ततो सामी कूपिअनाम सण्णिवेसं गओ, तत्थ तेहिं चारिय त्ति काउं धिप्पं ति वज्झंति पिट्टिजंति य / तत्थ लोगसमुल्लावो-अहो देवजओ रूवेण जोव्वणेण य अप्पतिमो चारिउ त्ति काउंगहिओ, तत्थ विजया पगब्भा य दोणि पासंतेवासिणीओ परिव्वाइयाओ लोयस्स मूले सोऊण-तित्थकरो पव्वइओ, वचामो ता पलोएमो, को जाणति ? होज्जा, ताहे ताहिं मोइओ दुरप्पा ! ण याणह चरमतित्थकरं सिद्धत्थरायपुत्त, अज्ज भे सक्को उवालभहिइ, ताहे मुक्को खामिओ य / पत्तेयं ति पिहिपिहीभूता साभी गोसालो य, कहं पुण ? तेसि वचंताण दो पंथा ताहे गोसालो भणति-अहं तुब्भेहिं समं न वचामि, तुम्भे मम हम्ममाणं न वारेह, अवि य-तुब्भेहि समं बहूवसग्गं, अण्णं चअहं चेव पढम हम्मामि, तओ एकल्लओ विहरामि। सिद्धत्थो भणतितुमंजाणसि, ताहे सामी सालीमुहो पयाओ, इमोय भगवओ फिडिओ अण्णओ पट्टिओ, अंतरा य छिण्णद्धाणं, तत्थ चोरो रुक्खविलग्गो ओलोए ति, तेण दिह्रो भणति एक्को नग्गओ, समणओ एइ, ते य भणतिएसो न य वीहेइ नत्थि हरियव्वंति, अज्ज से नत्थि फेडओ, जे अम्हे परिभवति। तेणेहि पहे गहिओ, गोसालो माउलो त्ति वाहणया। भगवं वेसालीए, कम्मार घेणण देविंदो।।४६५।। आगओ पंचहि विसएहि वाहिओ माउल त्ति काऊणं, पच्छा चिंतेइ वरं / सामिणा सम / अवि य-कोइ मोएइ सामि ? तरस निस्साए मोयण भवइ, ताहे सामि मग्गिउमारद्धो सामी वि वेसालिं गओ, तत्थ कम्मकरसालाए अणुण्णवेता पडिमं ठिओ, सा साहारणा, जे साहीणा तत्थ ते अणुण्णविआ। अण्णदा तत्थेगो कम्मकरो छम्मासपडिलग्गओ आढत्तो सोहणतिहिकरणे, आउहाणि गहाय आगओ, सामिं च पासइ, अमंगलं ति सामि आहणामि त्ति पहाविओघणं उग्गिरिऊणं सक्केण य ओही पउत्तो, जावपेच्छइ, तहेव निमिसंतरेण आगओ,तरसेव उवरिसोघणो साहिओ, तह चेव गओ, सक्कोऽवि वंदिता गओ। गामागविहेलग ज-क्ख तावसी उवसमा वसाण थुई। छट्टेण सालिसीसे, विसुज्झमाणस्स लोगोही।।४८६|| ततो सामी गामायं नाम सण्णिवेसं गओ, तत्थुजाणे विहेलए बिभेलयजक्खो नाम, सो भगवओपडिम ठियस्स महिमं करेइ. ततो भगवं सालिसीसयं नाम गामो तहिं गतो, तत्थुजाणे पडिमं ठिओ माहमासो य वट्टइ. तत्थ कडपूयणा नाम वाणमंतरी सामि दठूणं तेयं असहमाणी पच्छा तावसीरूवं विउव्वित्ता वक्कल-नियत्था जड़ा भारेण य सव्वं सरीरं पाणिएण ओलेत्ता देहम्मि उवरि सामिस्स ठाउंधुणति वातं च विउव्वइ, जइ अन्नो होतो तो फुट्टो होतो, तं तिव्वं वेउण अहियासिंतस्स भगवओ ओही विअसिउ व्व लोगं पासिउमा रद्धो, सेसं कालं गब्भाओ आढवेत्ता जाव सालिसीसं ताव एकारस अंगा सुरलोयप्पमाणमेत्तो य ओही, जावतिय देवलोएसु पेच्छिताइओ। सा वि वंतरी पराजिआ, पच्छा सा उवसंता पूअं करेइ। पुणरवि भद्दिअनगरे, तवं विचित्तं च छट्ठवासम्मि। मगहाएँ निरुवसग्गं, मुणि उउबद्धम्भि विहरित्थ / / 487|| ततो भगवं भद्रियं नाम नगरिं गतो, तत्थ छट्ठ वासं उवागओ, तत्थ वरिसारते गोसालेण समं समागमो, छठे मासे गोसालो मिलिओ भगवओ। तत्थ चउमासखमणं विचित्ते य अभिगहे कुणइ भगवं ठाणादीहिं, बाहिं पारेत्ता ततो पच्छा मगहाविसए विहरइ निरुवसगं अट्ठ उडुबद्धिए मासे. विहरिऊणं। आलभिआए वासं, कुंडागे (तह) देउले पराहुत्तो। मद्दण देउलसारिअ, मुहमूले दोसु वि मुणि त्ति / / 488|| आलंभि नयरिं एइ, तत्थ सत्तमं वासं उवागओ, चउमासखमणेणं तवो, बाहिं पारेत्ता कुंडाग नाम सन्निवेस तत्थ एति। तत्थ वासुदेवधरे सामी पडिम ठिओकोणे, गोसालोऽवि वासुदेवपडिमाए अहिट्ठाणं मुहे काऊणं ठिओ, सो य से पडिचारगो आगओ, तं पेच्छइतहा ठियं, ताहे सो चिंतेइ-मा भणिहिइ रागदोसिओ धम्मिओ, गामे जाइतु कहेइ. एह पेच्छइ भणिहिइ, राइतओ ति। ते आगया दिट्ठो पिट्टिओ य, पच्छा वंधिजइ, अन्ने भणति-एस पिसाओ, ताहे मुक्को तओ निग्गया समाणा मद्दणा नाम गामो, तत्थ बलदेस्स घरे सामी अन्तोकोणे पडिमं ठिओ, गोसालो मुहे तस्स सागारिअंदाउं ठिओ, तत्थ वि तहेव हओ, मुणिओ त्ति काऊण मुक्को / मुणिओ नाम पिसाओ। बहुसालग सालवणे, कडपूअण पडिम विग्घणोवसमे। लोहग्गलम्मि चारिय, जिअसत्तू उप्पले मोक्खो / / 486 // ततो सामी बहुसालगनाम गामो तत्थ गओ, तत्थ सालवणं नाम उजाणं, तत्थ सालझा वाणमंतरी, सा भगवओ पूअं करेइ. अण्णे भणति-जहा सा कडपूअणा वाणमंतरी भगवओ पडिमागयस्स उवसग्गं करेइ, ताहे उपसंता महिमं करेइ। ताते जिग्गया गया लोहगयं रायहाणिं, तत्थ जियसत्तू राया, सोय अण्णेण राइणासमं विरुद्धो, तस्सचारपुरिसेहिंगहिआ, पुच्छिअंता न साहति, तत्थ चारिय त्ति काऊण रण्णो अत्थाणीवरगयस्स उ

Loading...

Page Navigation
1 ... 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408 1409 1410 1411 1412 1413 1414 1415 1416 1417 1418 1419 1420 1421 1422 1423 1424 1425 1426 1427 1428 1429 1430 1431 1432 1433 1434 1435 1436 1437 1438 1439 1440 1441 1442 1443 1444 1445 1446 1447 1448 1449 1450 1451 1452 1453 1454 1455 1456 1457 1458 1459 1460 1461 1462 1463 1464 1465 1466 1467 1468 1469 1470 1471 1472 1473 1474 1475 1476 1477 1478 1479 1480 1481 1482 1483 1484 1485 1486 1487 1488 1489 1490 1491 1492