Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh Part 06
Author(s): Vijayrajendrasuri
Publisher: Rajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan

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Page 1406
________________ वीर 1382- अमिधानराजेन्द्रः - भाग 6 ताहे इमो आवरेत्ता विडरूवं विउव्वइ, तत्थ हसइय गायइय अट्टहासे य मुंचति, काणच्छियाओ य जहा विडोतहा करेइ, असिहाणिय भणइ, तत्थ वि हम्मइ, ताहे ततो विणीति। मलए पिसायरूवं, सिवरूवं हत्थिसीसए चेव। ओहसणं पडिमाए, मसाण सक्को जवणपुच्छा!।५०८|| ततो मलयं गतो गाम, तत्थ पिसायरूवं विउव्वति, उम्मत्तय भगवतो रू करेइ, तत्थ अविरइयाओ अवतासे गेण्हइ, तत्थ चेडरूवेहि छारकयारेहि भरिजइलेड्डु (ठु) एहिं चहम्मइ, ताणि य विहावेइ ततो ताणि छोडियापडियाणि नासति, तत्थ कहितहम्मति, ततो सामी निगतो हत्थिसीसं गामं गतो, तत्थ भिक्खाए अतिगयस्स भगवओ सिवरूवं विउच्वइ सागारियं च से कसाइययं करेइ, जाहे पेच्छइ अविरइयं ताहे उहवेइ, पच्छा हम्मति, भयव चिंतेतिएस अतीव गाढ उड्डाहं करेइ अणेसणं च, तम्हा गाम चेवन पविसामि बाहिं अच्छामि, अण्णे भणंतिपंचालदेवरूवं जहा तहा विउव्वति, तदा किर उप्पण्णो पंचालो, ततो बाहि निग्गओ गागल्स, जओ महिलाजूअंतओ कसाइततेण अच्छति, ताहे किर ढोढसिवा पवत्ता, जम्हा सक्केण पूइओ ताहे ठिया, ताहे सामी एणतं अच्छति, ताहे संगमओ उहसेइ-नसक्का तुम ठाणाओ चालेउं? पेच्छामि ता गाम अतीहि, ताहे सक्को आगतो पुच्छइ-भगवं ! जत्ता भे जवणिज्ज अव्वाबाह फासुयविहारं ? वंदित्ता गओ। तोसलिकुसीसरूवं, संधिच्छेओ इमो त्ति वज्झो य। मोएइ इंदालिउ, तत्थ महाभूइलो नाम / / 506 / / ताहे सामी तोसलिं गतो, बाहिं पडिम ठिओ, ताहे सो देवो चिंतेइ-एस न पविसइ एताहे एत्थ वि से ठियस्स करेमि उवसग, ततो खुड्डगरूवं विउव्वित्ता संधिं छिदइ उवकरणेहिं गहिएहिं धाडीए तओ सो गहितो भणति-मा मम हणह, अहं किं जाणा-नि? आयरिएण अहं पेसिओ, कहिं सो ? एस बाहिं अमुए उज्जाणे, तत्थ हम्मति, बज्झतिय, मारेजउ त्ति य बज्झो णीणिओ, तत्थ भूइलो नाम इंदजालिओ, तेण सामी कुंडग्गामे दिडओ, ताहे सो मोएइ, साहइय-जहा एस सिद्धत्थरायपुत्तो. | मुक्को खामिओ खुडओ मग्गिओय, न दिट्ठो, नायं जहा से देवो उवसर्ग करेइ। मोसलि संधि सुभागह, मोएइ रहिओ पिउवयंसो। तोसलिय सत्तरजू, वावत्तीतोसलीमोक्खो॥५१०।। ततो भगवं मोसलिंगओ, तत्थ विबाहिं पडिमं ठिओ, तत्थ विसो देवो खुडगरूवं विउव्वित्ता संधिमग्गं सोहेइ पडिलेहेइ य, सामिस्स पासे सध्याणि उवगरणाणि विउव्वइ, ताहे सो खुडओ गहिओ, तुम कीस एत्थ सोहेसि ? साहइममधम्मायरिओ रत्तिमा कंटए भंजिहिति सो सुहं रत्तिं खत्तं खणिहिति, सो कहिं ? कहिते गया, दिवो सामी, ताणि य परिपेरन्ते पासंति, गहितो आणीओ, तत्थसुमागहो नाम रट्टिओ पियमित्तो भगवओ सो मोएइ, ततो सामी तोसलिंगओ, तत्थ वि तहेव गहिओ, नवरं उक्कलं विजिउमाढत्तो; तत्थ से रजू छिण्णो, एवं सन्त वारा छिण्णो, ताहे सिट्ट तोसलियरस खत्तियस्स, सो भणतिमुयह एस अचोरो निद्बोसो, तं खुड्य : मग्गह, मग्गिजंतो न दीसइ. नायं जहा देवो ति। सिद्धत्थपुरे तेणे, त्ति कोसिओ आसवाणिओ मोक्खो। वयगाहिंडऽणेसण, बिइयदिणे वेइ उवसन्तो।।५११॥ ततो सामी सिद्धत्थपुरं गतो, तत्थ वि तेण तहा कयं जहा तेणो त्ति गहिओ, तत्थ कोसिओ नाम अस्सवाणियओ, तेणं कुंडपुरे सामी दिडिल्लओ, तेण मोयाविओ। ततो सामी वयगाम ति गोउलं गओ, तत्थ य तद्विवसं छणो, सव्वत्थ परमण्णं उवक्खड़ियं, चिरं च तस्स देवस्स ठियस्स उवसग्गे काउं सामी चिंतेइ-गया छम्मासा, सो गतो त्ति अतिगओ जाव असणाओ करेति, ततो सामी उवउत्तो पासति, ताहे अद्धहिडिए नियत्तो, बाहिं पडिमं ठिओ, सो य सामि ओहिणा आभोएतिकिं भग्गपरिणामो न वत्ति? ताहे सामी तहेव सुद्धपरिणामो ताहे द? आउट्टो, न तीरइ खोभेउ, जो छहिं मासेहिं न चलिओ एस दीहणावि कालेण न सको चालेउ, ताहे पादेसुपडिओ भणति-सचं जसो भणति, सव्वं खामेइ-भगवं! अह भग्गपतिण्णो तुम्हे सम्मत्तपतिण्णा। वच्चह हिंडह न करे-मि किंचि इच्छा न किंचि वत्तव्यो। तत्थेव वच्छवाली, थेरी परमन्नवसुहारा // 512 / / छम्मासे अणुबद्धं, देवो कासी य सो उ उवसगं / दठूण वयग्गामे, वंदिय वीरं पडिनियत्तो // 513 / / जाह एताहे अतीह न करेमि उवसम्ग, सामी भणति-भो संगमय ! नाह कस्सइवत्तव्यो, इच्छाए अतीमिवाण वा ताहे सामी बितियदिवसे अत्थेव गोउले हिडतो वच्छवालथेरीए दोसीसेण पायसेण पडिलाभिओ, ततो पंच दिव्वाणि पाउन्भूयाणि, एगे भणंति-जहा तदिवसं खीरं न लद्धं ततो बितियदिवसे ऊहारेऊण उवक्खडियं तेण पडिलाभिओ। इओय सोहम्मे कप्पे सव्वे देवा तदिवसं उद्विग्गमणा अच्छति, संगमओय सोहम्मे गओ, तत्थ समझोतंदटूण परंमुहो ठिओ, भणइ-देवे भो ! सुणह एसे दुरप्पा, ण एएण अम्ह वि चित्तावरक्खा कया अन्नेसिं वा देवाणं, जओ तित्थकरो आसाइओ, न एएण अम्ह कज्जं, असंभासो निव्विसओ य कीरउ। देवों चु(ठि)ओ महिड्डिओ, वरमंदरचूलियाइसिहरम्मि। परिवारिउ सुरबहुहिं, आउम्मि य सागरे सेसे / / 514 / / ताहे निच्छढो सह देवीहिं मंदरचूलियाए जाणएण विमाणेणागम्म ठिओ, सेसा देवा इदेण वारिता, तस्स सागरोवमठिती सेसा। आलमियं हरि विज्जू, जिणस्स भत्तीऍ वंदओ एइ। भगवं पियपुच्छा जिय, उवसग्ग त्ति थेवमवसेसं / / 515 / / हरिसह सेयवियाए, सावत्थी खंदपडिमसको य। ओयरि पडिमाए, लोगो आउट्टिओ बंदे।।५१६||

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