Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 11
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः 73 . श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / . // तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरमरिगुरुभ्यो नमः / हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः // श्री-आगमसुधासिन्धुः ( एकादशमो विभागः) चतुर्दशपूर्वधर-श्रुतकेवली-श्रीमद्भद्रबाहुस्वामी-विरचितं श्री पर्युषणाकल्पाख्यं // श्री कल्पसूत्रम् (बारसा-सूत्रम्)॥ संपादकः संशोधकइन-तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यास-श्री-जिनेन्द्रविजय-गणी प्रकाशिका-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला, लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी ( सौराष्ट्र) गुजरात वीर सं० 2502] विक्रम सं० 2032 [ सन् 1976 समाजमा ******************* * आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे ***************** *************** PR4400-560 मूल्य रु.1-001503 मुद्रक साईनाथ टायपोग्राफी (प्रिन्टींग प्रेस) 4 कुंती कॉटेज, 6 ठा रास्ता, सांताक्रूझ (पूर्व) बम्बई-५५. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर समर्पणमहान तपोनिधि दादा पू. पंन्यास श्री मणिविजयजी गणिवरना शिष्यरत्न पूज्यपाद शासनशिरोमणि पंन्यास श्री बुद्धिविजयजी ( चुटेरायजी) गणिवरना शिष्यरत्न विद्वान् चारित्ररत्न पन्न्यास श्री आणंदविजयजी गणिवरना शिष्यरत्न बालब्रह्मचारी निस्पृहीशिरोरत्न मुनिमंडलाग्रेसर पूज्य मुनिराजश्री हर्षविजयजी महाराजाना शिष्यरत्न महानतपोनिधि पूज्य आचार्यदेव श्री विजय कर्पूरसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर पूज्यपाद प्रशान्तमूर्ति प्रकृष्टवक्ता प्रवचनप्रभावक हालारदेशोद्धारक कविरत्न पू. आचार्यदेव श्री विजयामृतसूरीश्वरजी महाराज जेमोधीए श्री महावीर परमात्माना कल्याणकारी शासननो भव्यजोवोना हितने माटे प्रचार करता अनेक पुन्यात्माओने अरिहंतशासनना रागी बनावी मुक्तिमार्गना पथिक बनाया छे. ते साथे मने पण अशान अने मिथ्यात्वना घेरा बमळमाथी खेंची, संसार पारावार पार पमाडवा भव्य यानपात्र सम संयमधर्ममा स्थापन कयों अने मारी संयम साधनानी सफलता माटे अने सम्यग्ज्ञानादिना विकास माटे सतत हितचिता सेवी तेभोधीना ए महान उपकारोनी स्मतिमा यत्किंचित् कृतज्ञता रूपे तेोधीने श्री आगम सुधा सिन्धु अग्यारमा विभाग स्वरूप श्री कल्पसूत्र सादर वंदना साथे समर्पण करी कृतकृत्यता अनुभवू छु. गुरुवरणचञ्चरिक जिनेन्द्रविजय Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FROOMHDC000000 संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विषयत्सल चरमशासनपति श्रमणभगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मा ए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामां तेओश्रीनी वाणी शासननां प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवो मूत्रथी गूंथेल जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे. विद्यमान आगम श्रुतहानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाब बीज पण केटलूक आगम रूपी श्रुत ज्ञान विद्यमान छ, आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे. अने अथी सूत्र सहित आगमनी जे पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान हानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने दीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे. सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति मार्ग प्रवर्तमान छे. . पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमां सम्यगाननी शुद्धि जोरदार, तेनायी ज्ञानाचार उज्वलं, उज्वल ज्ञानाचारथी दनाचार उबल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उम्बल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने जे चारे उज्वल आचारथी बीर्याचार उज्दल, वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनासन उज्वल, ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत बर्ते छे. आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, ओ श्री जिनवाणी छे अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण प्रन्यो यावत् स्तवन सम्झाय के नाना निबंध के बाक्य स्वरूप छे, उपश्,म विवेक संबर त्रिपदी वरूप जिनवागीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गदी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलबासी सुविहित मुनिवरो छे, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक मूत्र आदि मूल सूत्रोना तमज श्रीआचारांग मूत्रना योगवहन करवा पूर्वक अधिकारी छे. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशकालिकसूत्रना षड्. जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्थतना श्रुतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छे अने योग्यता मुजब वाचना, धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनुं पान करावी साधु-साध्वी-श्रावकश्श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने नेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. . . 45 आगममूत्रो 6 विभागोमां बचायेल छे. (1) अंगसूत्रो 11 (2) उपांगमूत्रो 12 (3) पयन्नामूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6 चूलिकामूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बन ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमां सलंग मुद्रित नथी अन जेथी आगम मूत्रोना स्वाध्याय दिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्न संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छ, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमा संपादन थशे. पहेलो, बीजो, चौथो, आठमो, बारमो, तेरमो चौदमो एम सात विभाग प्रगट थया पछी आ अग्यारमो विभाग संपादित थयेल छे. आ विभागमा श्री कल्पसूत्र आपवामा आब्यु छे. पर्युषणमां दर वर्षे बांची शकाय ते माटे प्रताकारे तथा सारा आर्ट पेपरमा 36 पोइन्ट टाइपमा प्रगट कराय के. श्री कल्पसूत्रना कर्ता चौदपूर्ववर श्रुतकेवली श्री भद्रबाहुस्वामीजी छे. आ सूत्रना संपादनमा श्री. लींबडी जैन भंडार, श्री खंभात शांतिनाथजी ताडपत्रीय ज्ञानभंडारनी हस्त प्रतो तेमज जैन आत्मानंद सभा, श्री. देवचंद लालभाइ पुस्तकोद्धारक फंड, पं. मफतलाल झवेरचंद, श्रावक भीमसिंह माणेक प्रकाशित सूत्रो तथा टीकाओनो उपयोगी कर्यो छे. टीकाओमां पू. श्री. विनय विजयजी गणिवर कृत सुबोधिका पू. उ श्री धर्मसागरजी म. कृत किरणावली, उ श्री. लक्ष्मीवल्लभ गणिकृत कल्पदुमकलिका पं. श्री. संघविजयजी गणिकृत प्रदिपिका, पं. श्री. जयसोमगणीकृत दीपिका आदि नों उपयोग कर्यो के. सैगदकीय निवेदन Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौशमां आपेला छे. श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलमत्रोर्नु पुनरावर्तन करवामां, मूल सूत्रोना आ संयुक्त संपादन थी घणी अनूकूलता रहेशे. अने अथी होंशे होशे उत्साही मुनि भगवंतो मत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 मूत्र कंठस्थ करनारा अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख शोक प्रमाण मूल मंत्री कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमा थइ शकशे. 'ज्ञानधना: साधवः' 'शारत्रचक्षुषः साधवः' ओ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम मनोनु' श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासनने माट घणी उज्वलता फेलाशे अने आशयथी खपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. प्रकाशननां मुद्रण मारे श्री साईनाथ टाइपोपॉफी प्रिंटीग प्रेस सांताक्रुझ ना व्यवस्थापक श्री तिवारी भाई जे जे खंत अने उत्साह बताव्या के तेने कारणे आ प्रकाशन सुंदर रीते प्रकाशित थयेल छे. चरम तीर्थपति मग भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे, ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवालनारो बने, जिनवाणीनी उपासनाभक्तिमां भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा: उजमाल बनी एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं०२५०२ वि० सं० 2032 . हालारदेशोद्धारक कविरत्न श्रावण सुद 5 शनिवार ता 31-1-76 पूज्य आचार्यदेव श्रीमदावजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजानो चरणसेवकजैन उपाश्रय नवी चाल, भीवंडी (थाणा) महाराष्ट्र पं० जिनेन्द्रविजय गणी संपादकीय निवेदन Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / प्रकाशकीय निवेदन cccccccOCOD0D अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीमदागमसुधासिन्धु अग्यारमो विभाग मूल प्रगट करतां आनंद अनुभवीए डीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानें काम इ.रू करतां आ ग्रन्थ सारा आर्ट पेपरमां नागरी लिपी अने 36 पोइन्ट मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्व श्री आगम सुधा सिन्ना पहेलो, बीजो, चौथो, आठमो, बारमो, तेरमो, चौदमो, एम सात विभाग प्रगट थई गया छे. हाल त्रिजा अने छट्ठा विभाग मुद्रग चाली रह्यु छे. आ ग्रन्थन संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू. पंन्यासी जिनेन्द्रविजयजी गगिवरे घणी खंत थी करेल छे. भारे आर्ट कागल, 36 पोइन्ट टाइपमां छपाइ आदिना, कारणे खर्च धार्या करतां बयु थयु छे, मोटा टाउपमां मुद्रित करतां पेज पण बधारे थया छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे, आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलबासी सुविहित मुनिओ छे, ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ इरुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. आ अग्यारमा विभागमा श्री कल्पसूत्र प्रगट थाय छे. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमा श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदनुतरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा मूत्र तैयार थइ गया छे. मुद्रण माटे श्री साईनाय टाईपोग्राफीना व्यवस्थापके सारी खंत राखी छे ते माटे तेमनो आभार मानी श्री. वीर संवत् 2502 वि० स. 2032 श्रावण सुद 6 रविवार ता. 1-8-76 महेता मगनलाल चत्रभुज, शाह कानजी हीरजी प्रकाशकोच निवेदन Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका // 1 // प्रथमं वाच्यम् // श्रीऋषभदेवजिनेन्द्रचरित्रम् श्रीमहावीरजिनेन्द्रचरित्रम् 1 // 2 // द्वितीयं वाच्यम् // श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्रचरित्रम् 6 स्थविरावली श्रीनेमिनायजिनेन्द्रचरित्रम् // 3 // तृतीयं वाच्यम् // अन्तराणि 827 सामाचारी // शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धम् | पृष्ठं पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् | पृष्ठ पक्तिः अशुद्ध शुद्धम् 102 5 अणगा-रअं अगगारिअं 61 1 पसित्ता पासित्ता 107/14 एएसिं एएसि 21 2 आसढसुद्धस्स आसाढसुद्धरस / 72 / 2 3 उल्लीणे अल्लीणे 108 / 25 'हत्थि ' 16.1 7 जोईसास्ण जोईस्साणं 8112 7 वाससहस्स वाससहस्सरस 11322 3 पडिगाहेहि पडिगाहेह 171 1 माहकुंडग्गामे मादणकुंडग्गामे 82 / 2 4 सब्बादुक्खप्पहीणरस सव्वदुक्खप्पहीणस्स 115 / 23 ससेइमं संसेइमं / 212 7 862 . सागरोवमा- सागरोवम 118 / 2 2 निग्गंथीए निग्गंथरस 3424 खचियव्व खचियब्वे निग्गंथीए 881 2 सस्स तस्स ४शर 3 इसे / इमे 119 / 1 1 881 2 उसमेई उसभेइ पच्छात्ताई पच्छाउत्ताई खत्तियागि खत्तियाणिए 124 / 1 3 881 6 वासमणे. वसमाणे अंडेसहुमे अंडसुहुमे परि- 125 / 1 पवि 4 481 5 गायमे.. ववणी-दोहला ववणीय-दोहला | 94 / 2. 4 गोयमे 128 / 1 1 इच्छिजा इच्छिज्जा 48.1 7 सुहेणं 9421 अज्पोमिलाओ अज्जपोमिलाओ 128416 पुच्छित्ता अणापुच्चित्ता 54.1 1 कोरम्सामा करित्सामो 9422 अज्जयंताओ अज्जजयंताओ 128/17 जंवा वा जंवा 271 4 . . दवे ! देवे ! 104111 विज्ज., विज्जा- 12826 पासवर्ण पासवणं वा 65.1 5 रयहि- रयणि | 106 / 16 कुच्छसन्ते कुच्छसगुत्ते | 129 / 2 5 अतं अंतं Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहम् श्रुतकेवलियुगप्रधान-श्रीमद्भद्रवाहस्वामि-प्रणीतं ॥श्रीकल्पसूत्रम् // णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो / उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं, एसो पंचनमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो, मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं // 1 // Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 1 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे पंच। // 1 // हत्थुत्तरे होत्था // ___ तं जहा-हत्थुत्तराहिं चुए, चइत्ता गम्भं वक्कंते, हत्युत्तराहिं गब्भाओ गब्भं साहरिए, हत्थुत्तराहिं जाए, हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता Mअगाराओ अणगारिअं पव्वइए, हत्युत्तराहिं अणंते, अणुत्तरे, निव्वाघाए, निरावरणे, कसिणे, पडिपुण्णे, केवलवर-नाणदंसणे समुप्पन्ने, साइणा परिनिव्वुए भयवं // सूत्रं 1 // // 1 // Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेणं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठम पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसढसुद्धस्स छट्ठी पक्खे णं महाविजय-पुप्फुत्तर-पवर-पुण्डरीआओ महाविमाणाओ वीसं / सागरोवम-ट्ठिइआओ आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं, अणंतरं चयं चइत्ता, इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे इमीसे / ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइक्कंताए, सुसमाए समाए / विइक्कंताए, सुसमदुस्समाए समाए विइकंताए, दुस्समसुसमाए / Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 2 // समाए बहुविइकंताए सागरोवम-कोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिआए पंचहत्तरीए वासेहिं अद्धनवमेहि अ मासेहिं सेसेहिं / इक्कवीसाए तित्थयरेहिं इक्खागकुल-समुप्पन्नेहिं कासवगुत्तेहिं, दोहिअ / हरिवंसकुल-समुप्पन्नेहिं गोयमसगुत्तेहिं, तेवीसाए तित्थयरेहिं विइक्कं-M तेहिं समणे भगवं महावीरे चरमतित्थयरे पुव्वतित्थयर-निहिढे माहणकुण्डग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए / देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए पुव्वरत्ता-वरत्त-कालसमयसि // // Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवतीए भववकंतीए सरीरवकंतीए कुच्छिसि गब्भताए वक्कंते // सू. 2 // समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आवि होत्था, चइस्सामि त्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमि त्ति जाणइ, जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि / गब्भत्ताए वकंते, तं रयणिं च णं सा देवाणंदा माहणी सयणिज्जसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एयारूवे, उराले, कल्लाणे, Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र सिवे, धन्ने, मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं / पडिबुद्धा ॥सू. 3 // तंजहा-गय-वसह-सीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं।। पउमसर-सागर-विमाण-भवण-रयणुच्चय-सिहिं च // 1 // सू.४॥ तएणं सा देवाणंदा माहणी इमे एयारूवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हट्ठतुट्ठ-चित्त-माणंदिआ, पीइमणा, परम-सोमणसिया, हरिस-वस-विसप्पमाण-हिअया, धारा // 3 // Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हय-कयंव-पुप्फगं (कलंबगं) पिव समुस्ससिअ-रोमकूवा, सुमिणुग्गहं करेइ। सुमिणुग्गहं करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता / अतुरिअ-मचवल-मसंभंताए अविलंबियाए रायहंस-सरिसीए गईए / जेणेव उसभदत्ते माहणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उसभदत्तं माहणं जएणं विजएणं बद्धावेइ, वद्धावित्ता भद्दा(सुहा)सण-वरगया आसत्था वीसत्था सुहासण-वरगया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी ॥सू. 5 // Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 1 एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! अज्ज सयणिजसि सुत्तजागरा मूळ ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एयारूवे उराले जाव सस्सिरीए / Mचउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा / तं जहा-गय जाव सिहिं / च ॥१॥सू. 6 // एएसिं णं देवाणुप्पिआ ! उरालाणं जाव चउद्दसण्हं / Mमहासुमिणाणं के मण्णे कल्लाणे फलवित्ति-विसेसे भविस्सइ ? तए णं / से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए अंतिए एअमटुं सुच्चा / निसम्म हट्टतुट्ट जाव हिअए धाराहय-कयंवपुप्फगं पिव समुस्ससिय- men Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रोमकूवे सुमिणुग्गहं करेइ, करित्ता ईहं अणुपविसइ, इहं अणुपविसित्ता / अप्पणो साहाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविण्णाणेणं तेसिं सुमिणाणं / अत्युग्गहं करेइ, अत्युग्गहं करित्ता देवाणंद माहणिं एवं वयासी सू.७॥ उराला णं तुमे देवाणुप्पिए, सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा णं सिवा धन्ना मंगल्ला सुस्सिरीआ आरुग्गतुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-मंगल्लकारगा णं तुमे देवाणुप्पिए, सुमिणा दिट्ठा, तं जहा-अत्थलाभो / देवाणुप्पिए, भोगलाभो देवाणुप्पिए, पुत्तलाभो देवाणुप्पिए, सुक्ख Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र | मूळ // 5 // लाभो देवाणुप्पिए, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए, नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण-राइंदिआणं विइक्वंताणं सुकुमाल-पाणिपायं अहीण-पडिपुण्ण-पंचिंदिअ-सरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेअं माणुम्माण-पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंग-सुंदरंगं ससि-सोमाकारं कंतं / पिअदंसणं सुरूवं ( देवकुमारोवमं ) दारयं पयाहिसि ॥सू.८॥ से वि। अ णं दारए उम्मुक्क-बालभावे विनाय-परिणय-मित्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते रिउव्वेअ-जउव्वेय-सामवेअ-अथव्वणवेअ-इतिहासपंचमाणं ... // 9 // Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * निग्घंटुछट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्हं वेआणं सारए वारए धारए सडंगवी, सद्वितंत-विसारए संखाणे [ सिक्खाणे] सिक्खाकप्पे / वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अन्नेसु अ बहुसु बंभण्णएसु परिवा-1 | यएसु नएसु सुपरिनिटिए आवि भविस्सइ ॥सू.९॥ तं उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, जाव आरुग्ग-तुट्टि-दीहाउअ-मंगल्लुकारगा णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ट त्ति कटु भुज्जो भुज्जो / अणुवुहइ ॥सू. 10 // तए णं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तस्स . Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 6 // माहणस्स अंतिए एअमढे सुच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हिअया। करयल-परिग्गहिअं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु / उसभदत्तं माहणं एवं वयासी ॥सू.११॥ एवमेअं देवाणुप्पिआ ! तहमेअ देवाणुप्पिआ ! अवितहमेअं देवाणुप्पिआ ! असंदिद्धमेअं देवाणुप्पिआ! ईच्छिअमेअं देवाणुप्पिया! पडिच्छिअमेअं देवाणुप्पिया! | इच्छिअ-पडिच्छिअमेअं देवाणुप्पिया ! सच्चे णं एस अट्टे से जहेयं तुब्भे वयह त्ति कटु ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता / Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उसभदत्तेणं माहणेणं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरइ ॥सू.१२॥ ते णं काले णं ते णं समए णं, सक्के देविंद देवराया, वज्जपाणी, पुरंदरे, सयक्कर, सहस्सक्खे, मघवं,M पागसासणे, दाहिणड्डलोगाहिवई, एरावणवाहणे, सुरिंदे, बत्तीसविमाण-सयसहस्साहिवई, अरयंबर-वत्थधरे, आलइअ-मालमउडे, नव-हेम-चारु-चित्त-चंचल-कुण्डल-विलिहिज्जमाण-गल्ले, महिड्डीए, महज्जुईए, महब्बले महायसे, महाणुभावे, महासुक्खे भासुरबोंदी, Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 7 // पलंब-वणमालधरे, सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडिंसए विमाणे सुहम्माए सभाए, सकसि सीहासणंसि, से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावास-सयसाहस्सीणं, चउरासीए सामाणिअ-साहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अट्टण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, / तिहं परिसाणं, सत्तण्हं अणिआणं सत्तहं अणियाहिवईणं, चउण्हं चउरासीणं आयरक्ख-देवसाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणिआणं देवाणं देवीण य, आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे, महयाहय-नट्ट-गीअ-वाइअ-तंती-तलताल-तुडिअ-घणमुइंग-पडपडहवाइअ-रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ ॥सू.१३॥ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे आभोएमाणे विहरइ / तत्थ णं समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, दाहिणड्डभरहे, माहणकुंडग्गामे नयरे, उसभदत्तस्स / माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ सगुत्ताए कुच्छिसिं गब्भत्ताए वकंतं पासइ, पासित्ता हट्ठ-तुट्ठचित्तमाणंदीए, नंदिए, परमाणदिए, पीइमणे परम-सोमणस्सिए, हरिसवस-विसप्पमाण-हिअए, धराहयकयंब-सुरहिकुसुम-चंचुमालइअ-ऊससिअ-रोमकूवे, विअसिअ-वर-कमलाणण-नयणे, पयलिअ-वरकडग-तुडिअ-केऊर-मउड-कुंडल-हार-विरायंत-वच्छे, पालम्ब-पलंबमाण-घोलंत-भूसणधरे, ससंभमं तुरिअं चवलं सुरिंदे सीहासणाओ। अब्भुट्टेइ, अब्भुट्टित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वेरुलिअ llen Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरिट्ठ-रिट्ठ-अंजण-निउणोवचिअ-मिसिमिसिंत-मणिरयण-मण्डिआओ पाउआओ ओमुअइ, ओमुइत्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ, करित्ता अंजलि-मउलिअग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे सत्तट्ठपयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचित्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि / साहटु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवेसेइ, निवेसित्ता ईसिं पच्चुन्नमइ, पच्चुन्नमित्ता कडग-तुडिअ-थंभिआओ भुआओ साहरइ, साहरित्ता करयल-परिग्गहिअं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 9 // कटु एवं वयासी // नमुत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं, आइगराणं, तित्थयराणं, सयं-संबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं, पुरिस-सीहाणं, पुरिसवरपुंडरीआणं, पुरिसवर-गंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहिआणं, लोगपईवाणं लोग-पज्जोअगराणं, अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, जीवदयाणं, [बोहिदयाणं] धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्मवर-चाउरंतचक्कवट्टीणं, दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा, अप्पडिहय-वर-नाण Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * सण-धराणं, विअट्ट-च्छउम्माणं, जिणाणं, जावयाणं, तिन्नाणं, तारयाणं, बुद्धाणं, बोहयाणं, मुत्ताणं, मोअगाणं, सव्वन्नूणं, सबदरिसीणं सिव-मयल-मरुअ-मणंत-मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावित्ति-सिद्धिगइ-नामधेयं, ठाणं सम्पत्ताणं, नमो जिणाणं जिअ-भयाणं / नमुत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स चरम|तित्थयरस्स पुवतित्थयर-निदिट्ठस्स जाव सम्पाविउ-कामस्स। वंदामि . लणं भगवन्तं तत्थगयं इह गए, पासउ मे भगवं तत्थ गए इह गयं / Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 10 // त्ति कटु समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता मूळ सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसण्णे, तए णं तस्स सक्कस्स देविन्दस्स देवरन्नो अयमेयारूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ॥सू.१४-१५॥ __न खलु एयं भूयं, न एयं भव्वं, न एयं भविस्सं, जन्नं अरिहंता / वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा / तुच्छकुलेसु वा दरिदकुलेसु वा किवणकुलेसु वा भिक्खायरकुलेसु वा RRC Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहणकुलेसु वा, आयाइंसु वा, आयाइंति वा, आयाइस्संति वा / / | ॥सू.१६॥ एवं खलु अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा / वा, उग्गकुलेसु वा, भोगकुलेसु वा, रायन्नकुलेसु वा, इक्खागकुलेसु / वा, खत्तियकुलेसु वा, हरिवंसकुलेसु वा, अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु वा, विसुद्ध-जाइ-कुल-वंसेसु वा आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा ॥सू.१७॥ अत्थि पुण एसे वि भावे लोगच्छेरय-भुए। अणंताहिं उस्सप्पिणीहिं ओसप्पिणीहिं विइकंताहिं समुप्पजइ, (ग्रन्थाग्रं Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 1 // 100) नामगुत्तस्स वा कम्मस्स अक्खीणस्स, अवेइअस्स, अणिज्जिण्णस्स उदएणं / जन्नं अरिहंता वा, चक्कवट्टी वा बलदेवा वा, वासुदेवा वा अन्तकुलेसु वा, पन्तकुलेसु वा, तुच्छ-दरिद्द-किविणभिक्खाग-माहणकुलेसु वा, आयाइंसु वा, आयाइंति वा, आयाइस्संति वा, कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कमिंसु वा, वक्कमंति वा, वक्कमिस्संति वा, नो चेव णं जोणी-जम्मण-निक्खमणेणं निक्खमिंसु वा, निक्खमंति वा, निक्खमिस्संति वा ॥सू.१८॥ अयं च णं समणे भगवं महावीरे Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे माहण-कुण्डग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्तन्ते // तं जीअमेअं तीस-पच्चुप्पन्नमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवरायाणं, अरिहंते भगवंते तहप्पगारेहितो / अन्तकुलेहिंतो पन्तकुलेहिंतो तुच्छकुलेहिंतो दरिद्दकुलेहितो भिक्खागकुलेहिंतो किविणकुलेहिंतो वा, माहणकुलेहिंतो वा, तहप्पगारेसु उग्गकुलेसुवा, भोगकुलेसु वा, रायन्नकुलेसु वा, नायकुलेसु वा खत्तिअ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 12 // कुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा, अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्धजाइ-कुल-वंसेसु जाव रज्जसिरिं कारेमाणेसु पालेमाणेसु साहरावित्तए / तं सेयं खलु मम वि समणं भगवं महावीरं चरमतित्थयरं / पुवतित्थयर-निद्दिटुं, माहणकुण्डग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ। खत्तिअकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तिआणं सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठस Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुत्ताए कुच्छिसि गम्भत्ताए साहरावित्तए, जे वि अ णं से तिसलाए / खत्तिआणीए गब्भे तं वि अ णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरावित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता हरिणेगमेसिं पाइत्ताणि (अग्गाणी) आहिवइं देवं सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी ॥सू.१९-२०॥ / एवं खलु देवाणुप्पिआ ! न एवं भूकं, न एअं भव्वं, न एअं भविस्सं। जन्नं अरिहंता वा, चक्कवट्टी वा, बलदेवा वा, वासुदेवा वा, Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 13 // / अन्तकुलेसु वा, पन्तकुलेसु वा, तुच्छकुलेसु वा, दरिद्दकुलेसु वा, किविणकुलेसु वा, भिक्खागकुलेसु वा, माहणकुलेसु वा आयाइंसु वा / आयाइंति वा आयाइस्संति वा / एवं खलु अरिहंता वा, चक्कवट्टी। वा, बलदेवा वा, वासुदेवा वा, उग्गकुलेसु वा, भोगकुलेसु वा, राइन्नकुलेसु वा, नायकुलेसु वा, खत्तिअकुलेसु वा, इक्खागकुलेसु वा, हरिवंसकुलेसु वा, अन्नयरेसु वा, तहप्पगारेसु विसुद्ध-जाइ-कुलवंसेसु आयाइंसु वा, आयाइंति वा, आयाइस्संति वा ॥सू.२१॥ // 13 // Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRICE अत्थि पुण एसे वि भावे लोगच्छेरयभूएं अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं विइकंताहिं समुप्पज्जइ नामगुत्तस्स वा कम्मस्स। अक्खीणस्स अवेइअस्स अणिज्जिण्णस्स उदएणं / जन्नं अरिहंता वा / चक्कवट्टी वा बलदेवा वा, वासुदेवा वा, अंतकुलसु वा, पंतकुलेसु वा, तुच्छकुलेसु वा, दरिद्दकुलेसु वा, भिक्खागकुलेसु वा, किविणकुलेसु / / वा, माहणकुलेसु वा, आयाइंसु वा, आयाइंति वा, आयाइस्संति वा / / कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कमिंसु वा, वक्कमंति वा, वक्कमिसंति वा, नो / Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 14 // चेव णं जोणी-जम्मण-निक्खमणेणं निक्खमिंसु बा, निक्खमंति वा, निक्खमिस्संति वा ।सू.२२॥ अयं च णं समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहण-M स्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गम्भत्ताए वक्ते ॥सू.२३॥ तं जीअमेअं तीअ-M पच्चुप्पण्ण-मणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवरायाणं अरिहंते भगवंते तहप्पगारेहितो अंतकुलेहिंतो पंतकुलेहितो तुच्छकुलेहिंतो दरिद्द 1 // 14 // Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18AR कुलहितो किविणकुलेहिंतो वणीमगकुलेहिंतो माहणकुलेहितो तहप्पगारेसु उग्गकुलेसु वा, भोगकुलेसु वा, रायन्नकुलेसु वा, नायकुलेसु / वा, खत्तिअकुलेसु वा इक्खागकुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा, अन्नयरेसु Mवा तहप्पगारेसु विसुद्ध-जाइ-कुल-वंसेसु साहरावित्तए ॥सू.२४॥ तं / गच्छ णं तुम देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ खत्तिअकुंड Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 15 // ग्गामे नयरे नायाणं खत्तिआणं सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिसि / गम्भत्ताए साहराहि / जे वि अ णं से तिलसाए खत्तिआणीए गम्भे / तं पि अ णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि / / गभत्ताए साहराहि, साहरित्ता मम एअमाणत्ति खिप्पामेव / पञ्चप्पिणाहि ॥सू.२५॥ तए णं से हरिणेगमेसी पायत्ताणिआहिवई देवे सक्केणं देविदेणं / Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवरना एवं वुत्ते समाणे हट्ठ जाव हिअए करयल जाव त्ति कटु / ‘एवं जं देवो आणवेइ' त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतिआओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ताः उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता वेउव्विअ-समुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता संखिज्जाइं जोअणाई दंडं निसिरइ, तं जहा-रयणाणं, वयराणं, वेरुलिआणं, लोहिअक्खाणं, मसारगल्लाणं, हंसगब्भाणं, पुलयाणं, सोगंधिआणं, जोईसारणं, Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 16 // अंजणाणं, अंजणपुलयाणं, जायरूवाणं, सुभगाणं, अंकाणं, फलि- मूळ हाणं, रिट्ठाणं, अहाबायरे पुग्गले परिसाडेइ, परिसाडित्ता अहासुहुमे / पुग्गले परिआइए (परिआदियइ) ॥सू.२६॥ परिआइत्ता दुच्चंपि / वेउव्विअ-समुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता उत्तर-वेउव्विअं रूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए, तुरिआए, चवलाए, चंडाए, जयणाए, उ आए, सिग्याए, (छेआए) दिव्वाए, देवगईए, वीईवयमाणे वीईवयमाणे तिरिअ-मसंखिज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झं / RRC // 16 // Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मझेणं जेणेव जंबुद्दीवे भारहे वासे जेणेव माहकुंडग्गामे नयरे जेणेव उसभदत्तस्स माहणस्स गिहे जेणेव देवाणंदा. माहणी तेणेव / उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आलोए समणस्स भगवओ महावीरस्स। पणामं करेइ, पणामं करित्ता देवाणंदाए माहणीए सपरिजणाए ओसोवणिं दलइ, दलित्ता असुहे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुभे / पुग्गले पक्खिवइ, पक्खिवित्ता 'अणुजाणउ मे भयवं' ति कटु समणं भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं दिव्वेणं पहावेणं / Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 17 // करयलसंपुडेणं गिण्हइ, करयलसंपुडेणं गिण्हित्ता जेणेव खत्तिअकुंडग्गामे नयरे जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स गिहे जेणेव तिसला खत्तिआणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिसलाए खत्तिआणीए / सपरिजणाए ओसोवणिं दलइ, दलित्ता असुहे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुहे पुग्गले पक्खिवइ, पक्खिवित्ता समणं भगवं महावीरं अब्बाबाहं अव्वाबाहेणं दिव्वेणं पहावेणं तिसलाए खत्तिआ-al णीए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरइ, जे वि अ णं से तिसलाएर Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खत्तिआणीए गन्भे तं पि अ णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरइ, साहरित्ता जामेव दिसि / पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए ॥सू.२७॥ ताए उक्किट्ठाए, तुरियाए, चवलाए, चंडाए, जयणाए, उ आए, सिग्याए, दिव्वाए, देवगइए, तिरिअ-मसंखिज्जाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं जोअण-सयसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं उप्पयमाणे जेणामेव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे, सक्कंसि सीहासणंसि, सक्के देविंदे देवराया, तेणामेव Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 18 // उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो एअमाणत्ति खिप्पामेव पञ्चप्पिणइ ॥सू.२८॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे / भगवं महावीरे जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोअबहुले / तस्स णं आसोअबहुलस्स तेरसीपक्खेणं बासीइ राइंदिएहिं विइकंतेहिं तेसीइमस्स राइंदिअस्स अंतरा वट्टमाणे(णस्स) हिआणुकंपएणं देवेणं हरिणेगमेसिणा सक्कवयण-संदिटेणं माहणकुंडग्गामाओ नयराओ। उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए|nel Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तिअकुंडग्गामे नयरे नायाणं / खत्तिआणं सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कासवगुत्तस्स भारिआए तिसलाए। खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए पुव्वरत्ता-वरत्त-कालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोग-मुवागएणं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं दिव्वेणं पहावेणं कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए॥सू.२९॥ ते णं काले णं ते णं समएणं / समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आवि होत्था, साहारीजस्सामि त्ति जाणइ, साहरिज्जमाणे नो जाणइ, साहरिएमि त्ति जाणइ ॥सू.३०॥ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 19 // जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए / जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए / Mकुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए, तं रयणिं च णं सा देवाणंदा माहणी / सयणिज्जसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एआरूवे / उराले जाव चउद्दसमहासुमिणे तिसलाए खत्तिआणीए हडे पासित्ता णं पडिबुद्धा। तं जहा-गय वसह जाव सिहिं च-गाहा ॥सू. 31 // जं रयाणं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए Me Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जालंधरसगुत्ताए कुच्छिओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए * कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए, तं रयाणिं च णं सा तिसला खत्तिआणी तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्त-कम्मे, बाहिरओ दूमिअ-घट्टे मढे, विचित्त-उल्लोअ-चिल्लिअ-तले मणि-रयणपणासिअंधयारे, बहुसम-सुविभत्त-भूमिभागे, पंचवन्न-सरस-सुरहिमुक्क-पुप्फ-पुंजोवयार-कलिए, कालागुरु-पवर-कुंदुरुक्क-तुरुक्क-डझंतधूव-मघमघंत-गंधु आभिरामे, सुगंध-वरगंधिए, गंधवट्टिभूए, तंसि Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मळ // 20 // तारिसगसि वासघरंसि सयणिज्जंसि सालिंगण-वट्टिए, उभओ बिब्बोअणे, उभओ उन्नए, मज्झे णयगंभीरे, गंगा-पुलिण-वालुआ-उद्दालसालिसए, उवचिअ-खोमिअ-दुगुल्लू-पट्ट-पडिच्छन्ने, सुविरइअ-रयत्ताणे, रत्तंसुअ-संवुडे, सुरम्मे, आइण-गरूअ-बूर-नवणीय-तूल-तुल्ल-फासे, सुगन्ध-वर-कुसुम-चुन्न-सयणोवयार-कलिए, पुवरत्ता-वरत्त-कालसमयांसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एयारूवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तं जहा-गय 1 // 20 // Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वसह 2 सीह 3 अभिसेअ, 4 दाम 5 ससि 6 दिणयरं 7 झयं 8 / कुंभं 9 / पउमसर 10 सागर 11 विमाण 12 भवण 12 // रयणुच्चय 13 सिहं च 14 ॥सू. 32 // | तए णं सा तिसला खत्तिआणी तप्पढमयाए, तओ अ] चउदंतउसिअ-गलिअ-विपुल-जलहर-हार-निकर-खीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रयय-महासेल-पंडुरं समागय-महुअर-सुगंध-दाण-वासिअ-कपोलमूलं,देवराय कुंजर(रंव)-चरप्पमाणं,पिच्छइ,सजल-घण-विपुल-जलहर Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र गज्जिअ-गंभीर-चारुघोसं, इभं, सुभं, सव्व-लक्खण-कयंबिअं वरोरुं / मूळ ___तओ पुणो धवल-कमलपत्त-पयराइरेग-रूवप्पभं, पहा-समुद ओवहारेहिं सव्वओ चेव दीवयंतं, अइसिरि-भर-पिल्लणा-विसप्पंतकंत-सोहंत--चारु-ककुहं, तणु-सुद्ध-सुकुमाल-लोम-निद्धच्छविं, थिरसुबद्ध-मंसलोवचिअ-लट्ठ-सुविभत्त सुंदरंग, पिच्छइ, घण-वट्ट लट्ठ-उकिट्ठ-विसिट्ठ-तुप्पग्ग-तिक्ख-सिंगं, दंतं, सिवं, समाण // 21 // Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोहंत-सुद्धदंतं, वसहं, अमिअ-गुण-मंगल-मुहं ॥सू. 34 // . | तओ पुणो हारनिकर-खीरसागर-ससंककिरण-दगरयरयय-महा* सेल-पंडुरतरं(पंडुरंग)(ग्रंथानं २००)रमणिज्ज-पिच्छणिज्जं,थिर-लट्ठपउठेंवट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिक्ख-दाढा-विडंबिअ-मुहं, परि-|| कम्मिअ-जच्च-कमल-कोमल-पमाण-सोभंत -लट्टउटुं, रत्तुप्पल-पत्तमउअ-सुकुमाल-तालु-निल्लालिअग्गजीहं,मूसागय पवर कणगताविअआवत्तायंत-वट्ट-तडियविमल-सरिस नयणं, विसाल-पीवर-वरोरुं, पडि Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 22 // पुन्न-विमल-खंध, मिउ-विसय-सुहुम-लक्खणपसत्थ-विच्छिन्न-केसराडोव-सोहिअं. ऊसिअ-सुनिम्मिअ-सुजाय-अप्फोडिअ-लंगृलं, सोम, सोमाकारं, लीलायंतं, नहयलाओ ओवयमाणं, नियग-वयण-मइवयंत, पिच्छइ, सा गाढ-तिक्खग्ग-नहं, सीहं वयण-सिरी-पल्लव-पत्त। चारु-जीहं 3 // सू. 35 // तओ पुणो पुन्नचंद-वयणा उच्चागय-ट्ठाण-लट्ठ-संठिअं, पसत्थरूवं, सुपइट्ठिअ-कणगमय-कुम्मसरिसोवमाण-चलणं, अच्चुण्णय // 22 // Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीण-रइअ-मंसल-उवचिअ तणु-तंब-निद्धनहं, कमल-पलास-सुकुमाल* करचरणं कोमल-वरंगुलिं, कुरुविंदावत्त-वट्टाणुपुव्व-जंघ, निगूढ-जाणुं, * गय-वरकर-सरिस-पीवरोरुं, चामीकर-रइअ-मेहलाजुत्त-कंत-विच्छन्न|सोणिचक्कं, जच्चंजण-भमर-जलय-पयर-उज्जुअ-सम-सहिअ-तणुअ आइज्ज-लडह-सुकुमाल-मउअ-रमणिज्ज-रोमराई, नाभीमंडल-सुंदर। विसाल-पसत्य-जघणं, करयल-माइअ-पसत्थ-तिवलिअ-मज्झं नाणा* मणि-कणग-रयण-विमल-महातवणिज्जा-भरण-भूसण-विराइअ-मंगु Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 23 // गि, हार-विरायंत-कुंदमाल-परिणद्ध-जलजलिंत-थणजुअलै-विमल। कलसं, आइअ-पत्तिअ-विभूसिएणं सुभग-जालुज्जलेणं मुत्ता-कलावएणं उरत्थ-दीणार-माल-विरइएणं कंठमणि-सुत्तएण य कुंडलजुअलुल्लसंत--अंसोवसत्त--सोभंत-सप्पभेणं सोभागुण-समुदएणं / आणण-कुडुबिएणं कमलामल-विसाल-रमणिज्ज-लोअणिं, कमलपज्जलंत-कर-गहिअ-मुक्क-तोयं, लीलावाय-कयपक्खएणं सुविसद*कसिण-धण-सह-लंबंत-केसहत्थं, पउमदह-कमल-वासिणिं, सिरिं, // 23 // Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पिच्छइ, हिमवंत-सेल-सिहरे दिसा-गइंदोरु-पीवर-कराभिसिच्चमाणिं 4 // सू. 36 // ... तओ पुणो सरस-कुसुम-मंदार-दाम-रमणिज्ज-भूअं, चंपगासोगपुन्नाग-नाग-पिअंगु- सिरिस - मुग्गर-मल्लिआ - जाइ-जूहि-अंकोल्लकोज्जकोरिट-पत्तदमणय-बउल -नवमालिअ-तिलय-वासंतिअ-पउमुप्पल-पाडल-कुंदाइमुत्त-सहकार-सुरभिगंधि,अणुवम-मणोहरेणं गंधणं / / दसदिसाओ वि वासयंत, सव्वोउअ-सुरभि-कुसुम-मल्ल-धवल-विलसंत Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पसत्र मूळ // 24 // कतं-बहुवन्न-भत्तिचित्तं,छप्पय-महुअरि-भमरगण-गुमगुमायंत-निलिंतगुंजंत-देसभागं, दाम, पिच्छइ, नभंगण-तलाओ ओवयंत 5 // सू. 37 // ससिं च गोखीर-फेण-दगरय-रयय-कलसपंडुरं, सुहं, हिअय- नयणकंतं, पडिपुण्णं, तिमिर-निकर-घण-गुहिर-वितिमिर-कर, पमाण-पक्खंत रायलेहं, कुमुअवण-विबोहगं, निसा-सोहगं, सुपरिमट्ट-दप्पण-तलोवमं, हंस-पडु-वन्नं, जोइसमुह-मंडगं, तमरिघु, मयणसरापूरं समुद्द-दग-पूरगं, दुम्मणं जणं दइअ-वज्जिपाएहिं सोसयंतं, // 24 // Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * पुणो सोम-चारुरूवं, पिच्छइ / सा गगण-मंडल-विसाल-सोम कम्ममाण-तिलयं, रोहिणि-मण-हिअय-वल्लहं, देवी पुन्नचंद समुल्लसंतं 6 ॥सू.३८॥ | तओ पुणो तमपडल-परिप्फुडं चेव तेअसा पज्जलंत-रूवं, रत्तासोग-पगास-किंसुअ-सुअमुह-गुंजद्ध-राग-सरिसं, कमल-वणालंकरणं, अंकणं जोइसस्स, अंबरतल-पईवं, हिमपडल-गलग्गहं, गहगणोरुनायगं, रत्ति-विणासं, उदयत्थमणेसु मुहुत्त-सुहदसणं, दुनिरिक्ख Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र IAN // 26 // रूवं, रतिमुद्धंत-दुप्पयार-प्पमद्दणं, सीअवेग-महणं, पिच्छइ, मेरुगिरिसयय-परिअट्टयं, विसालं, सूरं, रस्सी-सहस्स-पयलिअ-दित्तसोहं, ७॥सू. 39 // | तओ पुणो जच्च-कणग-लट्ठि-पइट्ठिअं, समूह-नील-रत्त-पीअ, सुक्किल-सुकुमालुल्लसिअ-मोरपिच्छ-कय-मुद्धयं, अहिअ-सस्सिरीअं, फालिअ-संखंक-कुंद-दगरय-रयय-कलस-पंडुरेण मत्थयत्थेण सीहेण / रायमाणेण रायमाणं भित्तुं गगणतल-मंडलं चेव ववसिएणं पिच्छइ, Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिव-मउअ-मारुअ-लयाहय-कंपमाणं, अइप्पमाणं, जण-पिच्छणिज्ज-रूवं ८॥सू. 40 // ___तओ पुणो जच्च-कंचणुज्जलंत-रूवं, निम्मल-जल-पुन्न-मुत्तमं, दिप्पमाण-सोहं, कमल-कलाव-परिरायमाणं, पडिपुन्न-सव्व-मंगलभेअ-समागम, पवर-रयण-परिरायंत-कमलट्ठिअं, नयण-भूसणकर, पभासमाणं सव्वओ चेव दीवयंतं, सोमलच्छी-निभेलणं, सव्वपावपरिवज्जिअं, सुभं, भासुरं, सिरिवरं, सव्वोउअ-सुरभि-कुसुम-आसत्त Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करपत्र // 26 // M मल्लदामं पिच्छइ, सा रयय-पुन्नकलसं 9 ॥सू. 41 // तओ पुण रवि-किरण-तरुण-बोहिअ-सहस्संपत्त-सुरभितर-पिंजरजलं, जलचर-पहकर-परिहत्थग-मच्छ-परिभुज्जमाण-जल-संचयं, महंतं जलंतमिव कमल-कुवलय-उप्पल-तामरस-पुंडरीयोरु-सप्पमाणसिरि-समुदएणं रमणिज-रूवसोभं, पमुइअंत-भमरगण-मत्त-महुअरिगणुकरोलिज्झमाण-कमलं, (ग्रं. 250) कायंबग-बलाहय-चककलहंस-सारस-गव्विय-सउण-गण-मिहुण-सेविज्जमाण-सलिलं, पउ // 26 // Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मिणि-पत्तोवलग्ग-जलबिंदु-निचयचित्तं, पिच्छइ, सा हिअय-नयणकंतं, पउमसरं नाम सरं, सररुहाभिरामं १०॥सू. 42 // तओ पुणो चंदकिरण-रासि-सरिस-सिरिवच्छ-सोहं, चउगमणपवद्धमाण-जल-संचयं,चवल-चंचलुच्चायप्पमाण-कल्लोल-लोलंत-तोयं, पडु-पवणाहय-चलिअ-चवल-पागड-तरंग-रंगंत-भंग-खोखुब्भमाणसोभंत-निम्मल-उक्कड-उम्मी-सहसंबंध-धावमाणाव (माणोनि) नियत्तभासुरतराभिरामं, महामगरमच्छ-तिमि-तिमिगिलि-निरुद्धतिलि Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 27 // तिलिया-भिघाय-कप्पूर-फेण-पसरं, महानई-तुरिय-वेग-समागय भम-गंगावत्त-गुप्पमाणुच्चलंत-पच्चोनियत्त-भममाण-लोल-सलिलं, * पिच्छइ, खीरोय-सायरं सारय-रयणिकर-सोमवयणा 11 // सू.४३॥ तओ पुणो तरुण-सूर-मंडल-समप्पहं, दिप्पमाण-सोहं उत्तमकंचण-महमणि-समूह-पवर-तेय-अट्ठसहस्स-दिप्पंत-नहप्पईवं, कणगपयर-लंबमाण-मुत्तासमुज्जलं, जलंत-दिव्वदामं, ईहामिग-उसभतुरग-नरमगर-विहग-वालग-किंनर-रुरु–सरभ-चमर-संसत्त-कुंजर // 27 // Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं, गंधव्वोपवज्जमाण-संपुन्नघोसं, निच्चं, सजल-घण-विउल-जलहर-गज्जिय-सद्दाणुनाइणा देवदुंदुहि-महारवेणं / सयलमवि जीवलोयं पूरयंतं, कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-डझंतमाण-धूव-वासंग-मघमघंत-गंधु आभिरामं, निच्चालोअं, सेअं. सेअप्पभं, सुरवराभिरामं, पिच्छइ सा साओवभोगं, विमाण-वरपुंडरीयं 12 ॥सू.४४॥ ___ तओ पुणो पुलग-वेरिद-नील-सासग-कक्केयण-लोहियक्ख-मरगय Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 28 // मसारगल्ल-पवाल-फलिह-सोगंधिय-हंसगब्भ-अंजण-चंदप्पह-वररय- मूळ हिं महियल-पइट्ठियं गगन-मंडलंतं पभासयंतं, तुंगं, मेरुगिरिसन्निगासं, पिच्छइ, सा रयण-निकर-रासिं 13 // सू.४५॥ __ सिहिं च सा विउलुज्जल-पिंगल-महुघय-परिसिच्चमाण-निळूमधगधगाइय-जलंत-जालुज्जलाभिरामं तरतम-जोगजुत्तेहिं जालपयरेहिं अन्नुन्नमिव अणुप्पइन्नं, पिच्छइ, सा जालुज्जलणग-अंबरं व कत्थइ पयंतं, अइवेग-चंचलं, सिहिं 14 ॥सू. 46 // M28 // Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इमे एयारिसे सुभे सोमे पियदंसणे सुरूवे सुमिणे दळूण, / सयणमज्झे पडिबुद्धा अरविंद-लोयणा हरिस-पुलइअंगी “एए चउदस सुविणे, सव्वा पासेई तित्थयर-माया। जं रयणिं वक्कमई, कुच्छिसि महायसो अरहा // 1 // " ॥सू.४७॥ तए णं सा तिसला खत्तियाणी इमे एआरूवे उराले चउद्दस | महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुट्ठ जाव हियया / धाराहय-कर्यब-पुप्फगंपि व समुस्ससिअ-रोमकूवा सुमिणुग्गहं करेइ Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IMAL // 29 // कल्पसूत्र करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुटेइ, अब्भुट्टित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता, अतुरिय-मचवल-मसंभंताए, अविलंबियाए, रायहंससरिसीए गईए, जेणेव सयणिज्जे जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सिद्धत्थं खत्तियं ताहिं इटाहिं, कंताहि, पियाहिं, मणुण्णाहिं, मणामाहिं, उरालाहिं कल्लाणाहिं, सिवाहि, धन्नाहिं, मंगल्लाहिं, सस्सिरीयाहिं, हियय-गमणिज्जाहिं, हिअय-पल्हायणि-M ज्जाहिं, मिअ-महुर-मंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी पडिबोहेइ / // 29 // अEP Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सू.४८॥तए णं सा तिसला खत्तियाणी सिद्धत्थेणं रन्ना अब्भणुण्णाया समाणी नाणामणि-कणग-रयण-भत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि निसीयइ, निसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासण-वरगया सिद्धत्थं खत्तियं ताहिं इटाहिं जाव संलवमाणी संलवमाणी एवं वयासी॥सू.४९॥ एवं खलु अहं सामी ! अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि वण्णओ जाव / पडिबुद्धा, तं जहा-गयवसह जाव सिहिं च-गाहा, तं एएसिं सामी ! उरालाणं चउदसण्हं महासुमिणाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र भविस्सइ ॥सू.५०॥ तए णं से सिद्धत्थे राया तिसलाए खत्तियाणीए अंतिए एय- मढे सुच्चा निसम्म हट्ट तुट्ठ जाव हियए धाराहय-नीव-सुरहि-कुसुम चुंचु-मालइय-रोमकूवे ते सुमिणे ओगिण्हइ, ते सुमिणे ओगिण्हित्ता, / ईहं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अप्पणो साहाविएणं मइपुव्वएणं / बुद्धिविन्नाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता तिसलं * खत्तियाणिं ताहिं इठ्ठाहिं जाव मंगलाहिं मिय-महुर-सस्सिरीयाहिं // 30 // Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वग्गूहिं संलवमाणे संलवमाणे एवं वयासी ॥सू.५१॥ उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, एवं सिवा धन्ना मंगला सस्सिरीया आरुग्ग-तुहि-दीहाउ-51 कल्लाण-(ग्रं. 300) मंगल-कारगाणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, अत्थलाभो देवाणुप्पिए! भोगलाभो देवाणुप्पिए!पुत्तलाभो देवाणुप्पिए! सुखलाभो देवाणुप्पिए! रज्जलाभो देवाणुप्पिए! एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए ! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धट्ठमाण-राइंदियाणं / Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कस्पसूत्र // 31 // विइक्कंताणं, अम्हं कुलकेउं, (अम्हं कुलहेडं,) अम्हं कुलदीवं, कुलपव्वयं, कुल-वडिंसयं, कुल-तिलयं, कुल-कित्तिकर, कुल-वित्तिकर, कुल-दिणयरं, कुल-आधारं, कुल-नंदिकरं, कुल-जसकरं, कुल-पायवं, N कुल-विवद्धणकर, सुकुमाल-पाणिपायं, अहीण-पडिपुण्ण-(संपुन्न)-M पंचिंदिय-सरीरं, लक्खण-वंजण-गुणोववेयं, माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंग-सुंदरंगं, ससि-सोमाकारं, कंतं, पियदंसणं, सुरूवं / दारयं पयाहिसि ॥सू.५२॥से वि यणं दारए उम्मुक्क-बालभावे विनाय // 32 // Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिणयमित्ते जुव्वणग-मणुप्पत्ते सूरे वीरे विकंते वित्थिण्ण-विउलबलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ // सू.५३॥ तं उराला णं तुमे जाव। सुमिणा दिट्ठा, दुच्चंपि तच्चपि अणुवृहइ, तए णं सा तिसला / खत्तियाणी सिद्धत्थस्स रन्नो अंतिए एयम सुच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्ट जाव हियया करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं बयासी // सू.५४॥ एयमेयं सामी ! तहमेयं सामी ! अवितहमेयं सामी ! असंदिद्धमेयं सामी ! इच्छियमेयं सामी ! पडिच्छिय Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 32 // सूत्र मेयं सामी ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं सामी ! सच्चे णं एसमढे से मूल जहेयं तुब्भे वयह त्ति कटु ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता / सिद्धत्थेणं रन्ना अब्भणुनाया समाणी नाणा-मणि-कणग-1 रयण-भत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुट्टेइ, अब्भुट्टित्ता अतुरिय। मचवल-मसंभंताए अविलंबियाए रायहंस-सरिसीए गईए जेणेव सए / सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी // सू. 55 // मा मे ते उत्तमा पहाणा मंगल्ला सुमिणा दिट्ठा, अन्नेहिं / // 32 // Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पावसुमिणेहिं पडिहम्मिस्संति त्ति कटु देव-गुरुजण-संबद्धाहिं। पसत्थाहिं मंगल्लाहिं धम्मियाहिं (लट्ठाहिं) कहाहिं सुमिण-जागरियं / जागरमाणी पडिजागरमाणी विहरइ ॥सू. 56 // तए णं सिद्धत्थे / M खत्तिए पच्चूस-काल-समयंसि कोडुंबिय-पुरिसे सद्दावेइ, सदावित्ता एवं वयासी ॥सू.५७॥ खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया!अन्ज सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाण-सालं गंधोदग-सित्तं सुइ-संमज्जिओवलित्तं सुगंध-वरपंचवन्न-पुष्फोवयार-कलियं कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-डझंत-धूव Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवर-गंधियं गंधवट्टि-भूयं करेह, कारवेह, करित्ता य कारवित्ता य सिंहासणं रयावेह, रयावित्ता मम Mएयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह // सू. 58 // | तए णं ते कोडुंबिय-पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठ-तुट्ठ जाव हियया करयल जाव कटु एवं सामि त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया // 33 // Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं गंधोदय-सित्तसुइं जाव सीहासणं रयाविति, रयावित्ता जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता / करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु / सिद्धत्थस्स खत्तियस्स तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति // सू. 59 // तए णं सिद्धत्थे खत्तिए कल्लं पाउप्पभाए रयणीए फुल्लुप्पलकमल-कोमलुम्मीलियमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगप्पगास-किंसुय Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ R सुयमुह-गुंजद्धराग-बंधुजीवग-पारावय-चलणनयण-परहुअ-सुरत्तलोअण-जासुअण- कुसुमरासि-हिंगुलय-निअराइरेग-रेहंत-सरिसे M कमलायर-संडविबोहए उठ्ठियंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलंते तस्स य करपहरापरद्धंमि अंधयारे बालायव-कुंकुमेणं खचियब्वे / / जीवलोए सयणिज्जाओ अब्भुढेइ // सू. 60 // | सयणिज्जाओ अब्भुट्टित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अट्टणसालं ||34|| Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अणेग-वायाम-जोग्ग-वग्गण-वामद्दणमल्लजुद्ध-करणेहिं संते परिस्संते, सयपाग-सहस्सपागेहिं सुगंधवरतिल्ल-माइएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं बिहणिMज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं सविंदिय-गाय-पल्हायणिज्जेहिं अब्भंगिए समाणे, तिलचम्मसि निउणेहिं पडिपुन्न-पाणिपाय-सुकुमाल-कोमलतलेहिं अभंगण-परिमहणुव्वलण-करणगुण-निम्माएहिं छेएहिं / दक्खेहिं पढेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं जिय-परिस्समेहिं पुरिसेहिं अट्ठि Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र सुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए सुह-परिक्कम- मूळ गाए संबाहणाए संवाहिए समाणे, अवगय (खेय) परिस्समे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ ॥सू.६१॥ अट्टणसालाओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता / समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्त-मणिरयण-कुट्टिमतले रमणिज्जे न्हाणमंडवांस, नाणा-मणिरयण-भत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनि-३ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सण्णे, पुप्फोदएहि अ, गंधोदएहि अ, उण्होदएहि अ, सुहोदएहि अ, सुद्धोदएहि अ, कल्लाण-करण-पवर-मज्जणविहीए मज्जिए। तत्थ / / कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मज्जणावसाणे, पम्हलसुकु माल-गंधकासाइअ-लूहिअंगे, अहय-सुमहग्ध-दूसरयण-सु(सुसं) वुडे, / सरस-सुरभि-गोसीस-चंदणाणुलित्त-गत्ते, सुइ-मालावण्णग-विलेवणे, आविद्ध-मणिसुवन्ने कप्पिय-हारद्धहार-तिसरय-पालंघ-पलंबमाणकडिसुत्त सुकयसोहे, पिणद्ध-गेविज्जे, अंगुलिज्जग-ललिय-कयाभरणे, Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 36 // वरकडग-तुडिय-थंभियभूए, अहियरूव-सस्सिरीए, कुंडल-उज्जोइ- सूत्र आणणे, मउड-दित्तसिरए हारुत्थय-सुकय-रइय-वच्छे, मुहिया-पिंगलंगुलिए, पालंब पलंबमाण-सुकय-पडउत्तरिज्जे, नाणा-मणि-कणगरयण-विमल-महरिह-निउणोवचिय-मिसिमिसिंत-विरइय-सुसिलिट्ठविसिट्ठ-लट्ठ-आविद्ध-वीरवलए, किं बहुणा ? कप्परुक्खएविव अलंकिय-विभूसिए नरिंदे, सकोरिट-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं / सेयवर-चामराहिं उडुब्वमाणीहिं मंगल-जयसद्द-कयालोए अणेग Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणनायग-दंडनायग-राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-मंतिमहामंति-गणग-दोवारिय-अमच्च-चेड-पीढमद्द-नगर-निगम-सिट्ठिसेणावइ-सत्थवाह-दूय-संधिवाल-सद्धिं संपरिखुडे, धवल-महामेहनिग्गए इव गहगण-दिप्पंत-रिक्ख-तारागणाण मज्झे ससिव्व पियदसणे, नरवई नरिंदे नरवसहे नरसीहे अब्भहिय-रायतेय-लच्छीए / दिप्पमाणे मज्जण-घराओ पडिनिक्खमइ ॥सू. 62 // मज्जणघराओ। पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल्पसूत्र उवागच्छित्ता सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे निसीअइ ॥सू.६३॥ // 3 // सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे निसीइत्ता अप्पणो उत्तर-पुरस्थि (च्छि)मे दिसीभाए अट्ठ भद्दासमाई सेयवत्थ-पच्चुत्थयाइं सिद्धत्थय-कय-मंगलोवयाराई रयावेइ, रयावित्ता अप्पणो अदूरसामंते / नाणा-मणिरयण-मंडियं, अहिअ-पिच्छणिज्ज, महग्य-वर-पट्टणुग्गय, सह-पट्ट-भत्ति-सय-चित्तताणं, ईहामिय-उसभ-तुरग-नर-मगर-विहगवालग-किंनर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं / // 37 // Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभितरिअंजवणिअंअंछावेइ, अंछावित्तानाणा-मणिरयण-भत्तिचित्तं / / अत्थरय-मिउ-मसूर-गोत्थयं सेयवत्थ-पच्चुत्थयं सुमउयं अंगसुह-फरिसगं विसिटुं सिलाए खत्तियाणीए भद्दासणं रयावेइ, रयावित्ता कोडुंबिय-पुरिसे सद्दावेइ, सहावित्ता एवं वयासी ॥सू.६४॥ खिप्पामेव / भो देवाणुप्पिया ! अटुंग-महानिमित्त-सुत्तत्थ-धारए विविह-सत्थकुसले सुविण-लक्षण-पाढए सद्दावेह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा / / / सिद्धत्थेण रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव हियया करयल जाव / Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुपसत्र मळ // 38 // पडिसुगंति // सू.६५॥ पडिसुणित्ता सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता कुंडग्गामं (कुंडपुरं) नगरं मझं मज्झेणं जेणेव / सुविण-लक्खण-पाढगाणं गेहाइं तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता, सुविण-लक्खण-पाढए सहावेंति ॥सू.६६॥ तएणं ते सुविणलक्षणपाढगा सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कोडुबिअ-पुरिसेहिं सहाविया समाणा हट्ठतुट्ठ जाव हियया, ण्हाया, कयबलिकम्मा, कयकोउय-मंगल Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पायच्छित्ता, सुद्धपावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवराइं परिहिआ, अप्पमहग्घाभरणालंकिय-सरीरा,सिद्धत्थय-हरिआलिया-कयमंगल-मुद्धाणा, सएहिं सएहिं गेहेहितो निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं M नगरं मज्झं मज्झेणं जेणेव सिद्धत्थस्स रन्नो भवण-वरवडिंसगपडिदुवारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भवण-वरवडिंसग-पडिदुवारे एगओ मिलंति, एगओ मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसत्र जाव अंजलिं कटु सिद्धत्थं खत्तियं जएणं विजएणं वद्धाविति / ॥सू. 67 // तएणं ते सुविणलक्षण-पाढगा सिद्धत्थेणं रन्ना वंदिअपूइअ-सक्कारिअ-सम्माणिआ समाणा पत्तेअं पत्तेअं पुवन्नत्थेसु / भद्दासणेसु निसीयंति ॥सू. 68 // तएणं सिद्धत्थे खत्तिए तिसलं / / खत्तियाणिं जवणिअंतरियं ठावेइ, ठावित्ता पुप्फ-फल-पडिपुण्ण-हत्थे / परेण विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी ॥सू. 69 // एवं खलु देवाणुप्पिआ ! अज्ज तिसला खत्तिआणी तंसि तारिसगंसि जाव, 5 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एयारूवे उराले चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा // सू. 70 // / तं जहा-गयवसह जाव सिहिं च गाहा। तं एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं देवाणुप्पिया ! उरालाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्ति। विसेसे भविस्सइ ? ॥सू. 71 // तए णं ते सुमिणलक्षण-पाढगा। सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव।। हियया ते सुमिणे सम्मं ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र अणुपविसित्ता अन्नमन्नेण सद्धिं संचालेंति (संलावेंति), संचालित्ता तेसिं / rean सुमिणाणं लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा, अहिगयट्ठा / / सिद्धत्थस्स रण्णो पुरओ सुमिणसत्थाइं उच्चारेमाणा उच्चारेमाणा सिद्धत्थं खत्तियं एवं वयासी ॥सू. 72 // एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं / सुमिणसत्थे बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा, बावत्तरिं सव्वसुमिणा दिट्ठा। तत्थ णं देवाणुप्पिया ! अरहंतमायरो वा, चक्कवट्टिमायरो वा, अरहंतसि वा, चक्कहरंसि वा, गम्भं (ग्र. 400) वक्क // 40 // Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं इमे चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझंति ॥सू. 73 // तं जहा-'गयवसह' गाहा / M॥सू. 74 // वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गभं वकमाणंसि एएसिं / चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझंति // सू. 75 // | बलदेवमायरो वा बलदेवंसि गम्भं वक्कमाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं| महासुमिणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झति Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 4 // कल्पसूत्र / ॥सू. 76 // मंडलियमायरो वा मंडलियसि गम्भं वकमाणंसि एएसि। मन चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरं एगं महासुमिणं पासित्ता णं / पडिबुझंति ॥सू. 77 // इसे य णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तिआणीए चउद्दस महासुमिणा दिट्ठा, तं उराला णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा जाव मंगलकारगा णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणिए सुमिणा दिट्ठा, तं जहा-अत्थलाभो / देवाणुप्पिया ! भोगलाभो देवाणुप्पिया ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिया ! Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुक्खलाभो देवाणुप्पिया ! रज्जलाभो देवाणुप्पिया ! एवं खलु देवाणुप्पिया ! तिसला खत्तिआणी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं विइक्ताणं तुम्हें कुलकेउं, (कुलहेडं) कुलदीवं, कुलपव्वयं, कुलवडिंसयं, कुलतिलयं, कुलकित्तिकर, कुलवित्तिकरं,M कुलदिणयरं, कुलाधारं, कुलनंदिकरं, कुलजसकरं, कुलपायवं, कुल- तंतु-संताण-विवद्धणकरं, सुकुमाल-पाणिपायं, अहीण-पडिपुन्न-पंचिं४ दिय-सरीरं, लक्खण-वंजण-गुणोववेयं, माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 42 // सुजाय-सव्वंग-सुंदरंगं, ससिसोमाकारं, कंतं, पियदंसणं, सुरूवं, दारयं / पयाहिसि ॥सू. 78 // से वि य णं दारए उम्मुक्क-बालभावे विण्णायपरिणयमित्ते जोव्वणग-मणुप्पत्ते सूरे वीरे विकंते विच्छिन्न-विपुल* बलवाहणे चाउरंत-चक्कवट्टी रज्जवई राया भविस्सइ, जिणे वा। - तेलुक्क-(तिलोग)-नायगे धम्मवर-चाउरंत-चक्कवट्टी ॥सू. 79 // तं उराला णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा, / जाव आरुग्ग-तुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-मंगल-कारगाणं देवाणुप्पिया ! // 42 // Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा ॥सू. 80 // ____तए णं सिद्धत्थे राया तेसिं सुविणलक्षण-पाढगाणं अंतिए / एयमहूँ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए करयल जाव ते सुविण लक्खणपाढए एवं वयासी ॥सू.८१॥ एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं * देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! / पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! सच्चे णं एसमटे से जहेयं तुम्भे वयह त्ति कटु ते सुमिणे सम्म Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र ॥४शा पडिच्छइ, पडिच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए विउलेणं असणेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ, सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलइ, दलइत्ता पडिवि। सज्जेइ ॥सू. 82 // तए णं से सिद्धत्थे खत्तिए सीहासणाओ अब्भु ढेइ, अब्भुट्टित्ता जेणेव तिसला खत्तियाणी जवणियंतरिया तेणेव / उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिसलं खत्तियाणिं एवं वयासी ॥सू. 83 // एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुविणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा तीसं महा // 43 // Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुमिणा जाव एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुझंति ॥सू. 84 // इमे अ णं तुमे देवाणुप्पिए ! चउद्दस महासुमिणा दिट्ठा, तं उरालाणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, जाव जिणे वा तेलुकनायगे / धम्मवर-चाउरंत-चक्कवट्टी // सू. 85 // तए णं सा तिसला एयमढे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ट जाव हयहियया करयल जाव ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ // सू.८६॥ पडिच्छित्ता सिद्धत्थेणं रन्ना अब्भणुन्नाया समाणी नाणा-मणिरयण Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 44 // भत्तिचित्ताओ भदासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता अतुरिय-मचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंस-सरिसीए गईए जेणेव. सए भवणे / तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयं भवणं अणुप्पविट्ठा ॥सू.८७॥ जप्पभियं च णं समणे भगवं महावीरे तंसि राय (नाय) कुलंसि / साहरिए, तप्पभिई च णं बहवे वेसमण-कुंडधारिणो तिरियजंभगा। देवा सक्कवयणेणं से जाइं इमाइं पुरा पोराणाई महानिहाणाइं भवंति, तं जहा-पहीण-सामियाई,पहीण-सेउयाई, पहीण-गोत्तागाराइं उच्छिन्न // 44 // Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामियाइं उच्छिन्न-सेउयाई, उच्छिन्न-गुत्तागाराइं, गामागरनगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाहसन्निवेसेसु, सिंघाडएसु वा, तिएसु वा, चउक्केसु वा, चच्चरेसु वा, चउम्मुहेसु वा, * महापहेसु वा, गामट्ठाणेसु वा, नगरट्ठाणेसु वा, गामनिद्धमणेसु वा, | नगरनिद्धमणेसु वा, आवणेसु वा, देवकुलेसु वा, सभासु वा, पवासु वा, आरामेसु वा, उज्जाणेसु वा, बणेसु वा, वणसंडेसु वा, सुसाणसुन्नागार-गिरिकंदर-संति-सेलो-वठ्ठाण-भवण-गिहेसु, वा संनिक्खि Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपसत्र // 45 // ताई चिट्ठति ताइं सिद्धत्थ-रायभवणंसि साहरंति ॥सू. 88 // जं रयणिं / च णं समणे भगवं महावीरे नायकुलंसि साहरिए तं रयणिं च णं नायकुलं हिरण्णेणं वड्डित्था, सुवण्णेणं वड्डित्था, धणेणं धन्नेणं रज्जेणं रटेणं बलेणं वाहणेणं कोसेणं कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं जणवएणं / / जसवाएणं वड्डित्था, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख| सिलप्पवाल-रत्तरयण-माईएणं संतसार-सावइज्जेणं पीइसक्कार-समुदएणं, अईव अईव अभिवड्डित्था, तएणं समणस्स भगवओ महा // 45 // Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीरस्स अम्मापिऊणं अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था ॥सू. 89 // जप्पभिइंच णं अम्हं एस दारए कुच्छिसि गब्भताए वकंते, तप्पभिई च णं अम्हे हिरण्णेणं वड्डामो, सुवण्णेणं / वड्डामो, धणेणं धन्नेणं जाव संतसार-सावइज्जेणं पीइसक्कारेणं अईव अईव अभिवड्डामो, तं जया णं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स एयाणुरूवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधिज्जं करिस्सामो वद्धमाणु त्ति // सू. 90 // Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥४या तएणं समणे भगवं महावीरे माउय-अणुकंपणछाए निच्चले / निष्फंदे निरयणे अल्लीण-पल्लीणगुत्ते यावि होत्था // सू. 91 // तएणं / तीसे तिसलाए खत्तियाणीए अयमेयारूवे जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था। हडे मे से गम्भे ? मडे मे से गन्भे ? चुए मे से गब्भे ? गलिए मे से गन्भे ? एस मे गन्भे पुब्बिं एयइ, इयाणिं नो एयइ / त्ति कटु, ओहय-मणसंकप्पा चिंतासोग-सागरं पविट्ठा, करयलपल्हत्थ-मुही अट्टज्झाणोवगया भूमिगय-दिट्ठिया झियायइ, तं / // 46 // Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पि य सिद्धत्थ-रायवर-भवणं उवरयमुइंग-तंती-तलताल-नाडइज्जजणमणुज्ज (मणुन्नं) दीणविमणं विहरइ ॥सू. 92 // तएणं / से समणे भगवं महावीरे माऊए अयमेयारूवं अब्भत्थियं पत्थियं / मणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता एगदेसेणं एयइ, तएणं सा तिसला खत्तियाणी हट्ठतुट्ठ जाव हिअया एवं वयासी ॥सू. 93 // नो / खलु मे गम्भे हडे, जाव नो गलिए, एस मे गब्भे पुव्विं नो एयइ, इयाणि एयइ त्ति कटु, हट्टतुट्ठ जाव हियया एवं विहरइ, तएणं Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मळ // 47 // समणे भगवं महावीरे गब्भत्थे चेव इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ, “नो खलु मे कप्पइ अम्मापिऊहिं जीवन्तेहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए” ॥सू. 94 // तएणं सा तिसला खत्ति- 4 याणी व्हाया कय-बलिकम्मा कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता जाव / सव्वालंकार-विभूसिया तं गम्भं नाइसीएहिं, नाइउण्हेहिं, नाइतित्तेहिं, नाइकडुएहिं, नाइकसाएहिं, नाइअंबिलेहिं, नाइमहुरेहिं, नाइनिद्धेहिं, नाइलुक्खेहिं, नाइउल्लेहिं, नाइसुक्केहि, सव्वत्तुग-भयमाणसुहेहिं, I47 // Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भोयणाच्छायण-गंधमल्लेहिं, ववगय-रोग-सोग-मोह-भय-परिस्समा / सा जं तस्स गब्भस्स हिअं मियं पत्थं गब्भपोसणं तं देसे य काले य आहारमाहारेमाणी, विवित्त-मउएहिं सयणासणेहिं पइरिक्कसुहाए / मणाणु कूलाए विहारभूमीए, पसत्थ-दोहला, संपुण्ण-दोहला, सम्माणिय-दोहला, अविमाणिय-दोहला, वुच्छिन्न-दोहला, ववणी-दोहला सुहं सुहेणं आसइ, सयइ, चिट्ठइ, निसीयइ, तुयट्टइ, विहरइ, सुहं सुहेणं तं गम्भं परिवहइ // सू. 95 // Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 48 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे, जे से गिम्हाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसीदिवसेणं | * नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं विइक्वंताणं / / उच्चट्ठाणगएसु गहेसु, पढमे चंदजोगे, सोमासु दिसासु वितिमिरासु / विसुद्धासु, जइएसु सव्वसउणेसु, पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पंसि / / मारुयांस पवायंसि, निष्फण्णमेइणीयसि कालसि, पमुइअ-पक्कीलिएसु / जणवएसु, पुव्वरत्ता-वरत्त-काल-समयंसि हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं चंदेणं / // 48 // Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - जोगमुवागएणं आरो(रु)ग्गारो(रु)ग्गं दारयं पयाया // सू. 96 // जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाए सा णं रयणी बहूहिं / * देवेहिं देवीहि य ओवयंतेहिं उप्पयंतेहिं य (देवुज्जोए एगालोए / / देवसन्निवाए) उप्पिंजलमाण-भूया कहकहग-भूया आवि हुत्था (क्वचित्-उज्जोविआवि हुत्था) ॥सू. 97 // जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाए तं रयणिं च णं बहवे वेसमण-कुंडधारी-तिरियजंभगा देवा सिद्धत्थराय-भवणंसि हिरण्णवासं च, सुवण्णवासं च, Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 49 // वयरवासं च, वत्थवासं च, आभरणवासं च, पत्तवासं च, पुप्फवासं / च, फलवासं च, बीयवासं च, मल्लवासं च, गंधवासं च, चुण्णवासं च, वण्णवासं च, वसुहारवासं च (धण्णवासंच) वासिंसु॥सू.९८॥ तए णं से / M सिद्धत्थे खत्तिए भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिएहिं देवेहिं तित्थर जम्मणाभिसेय-महिमाए कयाए समाणीए पच्चूसकाल-समयंसि नगरगुत्तिए सहावेइ सहावित्ता एवं वयासी // सू. 99 // खिप्पामेव भो / देवाणुप्पिया ! खत्तिय-कुंडग्गामे (कुंडपुरे) नगरे चारगसोहणं करेह, // 49 // Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | करित्ता माणुम्माण-वद्धणं करेह, करित्ता कुंडपुरं नगरं सभितरबाहिरियं आसिअ-संमजिओवलित्तं सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चरचउम्मुह-महापहपहेसु सित्त-सुइ-सम्मट्ठ-रत्यंतरावण-वीहियं, मंचाइमंच-कलियं, नाणाविह-रागभूसिय-ज्झय-पडाग-मंडियं, लाउल्लोइय। महियं, गोसीस-सरस-रत्तचंदण-दहर-दिन-पंचंगुलि-तलं उवचिय चंदण-कलसं, चंदण-घड-सुकय-तोरण-पडिदुवार-देसभागं आसत्तो। सत्त-विपुल-वट्ट-वग्धारिय-मल्लदाम-कलावं, पंचवण्ण-सरस-सुरहि Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 50 // मुक्क-पुप्फ-पुंजोवयार-कलियं, कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-डज्झंतधूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगन्धवर-गंधियं गंधवट्टि-भूयं नडनट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्टिय-वेलंबग-पवग-कहग-पाढग-लासग-आर-1 क्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-अणेग-तालायराणुचरियं करेह, कारवेह, करित्ता कारवित्ता य जूयसहस्सं मुसलसहस्सं च / / उस्सवेह, उस्सवित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥सू.१००॥ तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा। Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हट्टतुट्ठ जाव हियया करयल जाव पडिसुणित्ता खिप्पामेव कुंडपुरे / नगरे चारगसोहणं जाव उस्सवित्ता जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव / उवागच्छंति उवागच्छित्ता करयल जाव कटु सिद्धत्थस्स खत्तियस्स / रणो तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति ॥सू. 101 // तए णं से सिद्धत्थे / राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव / सव्वोरोहेणं सव्वपुप्फ-गन्ध-वत्थ-मल्लालंकार-विभूसाए, सब्व-तुडिय / / / सद्द-निनाएणं, महया इड्डीए, महया जुइए, महया बलेणं, महया / Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 5 // वाहणेणं, महया समुदएणं, महया वरतुडिय-जमग-समग-प्पवाइएणं, संख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमुहि हुडुक्क-मुरज-मुइंग-दुंदुहि-निघोस-नाइयरवेणं उस्सुकं, उक्करं, उक्किटं, अदिज्जं, अमिज्जं अभडपवेसं, अदंड-कुदण्डिमं, अधरिमं, गणिया(अगणिअ)वर-नाडइज्जकलियं अणेग-तालायराणुचरियं,अणुद्धय-मुइंगं, (ग्रन्थाग्रं५००)अमिलाय-मल्लदामं, पमुइय-पक्कीलिय-सपुर-जण(जणाभिराम)जाणवयं / / दसदिवसं ठिईवडियं करेति॥सू. 102 // तए णं सिद्धत्थे राया दसाहि // 5 // Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याए ठिइवडियाए वट्टमाणीए, सइए अ साहस्सिए अ, सयसाहस्सिए य, जाए य, दाए अ, भाए अ, दलमाणे अ, दवावेमाणे अ, सइए अ, साहस्सिए अ, सयसाहस्सिए अ, लंभे पडिच्छमाणे अ पडिच्छावेमाणे अ एवं वा विहरइ॥ सू. 103 // तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेंत, तइए दिवसे / चन्दसूर-दंसणीयं करेंति, छठे दिवसे धम्मजागरियं जागरेन्ति (करेंति) इक्कारसमे दिवसे वइक्कंते, निव्वत्तिए असुइ-जम्मकम्म-करणे, Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 52 // संपत्ते बारसाहे दिवसे, विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावित्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं नायए खत्तिए य आमंतेति, आमन्तित्ता तओ पच्छा व्हाया कयवलिकम्मा / कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं, पवराई वत्थाइं / परिहिया अप्पमहग्या-भरणालंकिय-सरीरा भोयणवेलाए भोयणमण्डवसि सुहासण-वरगया तेणं मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं नायएहिं खत्तिएहिं सद्धिं तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं // 52 // Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आसाएमाणा विसाएमाणा परि जेमाणा परिभाएमाणा एवं वा / विहरन्ति // सू.१०४॥ जिमिय भुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभुया तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणं नायए खत्तिए य विउलेणं पुप्प-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं / सक्कारेंति सम्माणेति सक्कारित्ता सम्माणित्ता तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-1 सयण-संबन्धि-परिजणस्स नायाण य खत्तियाण य पुरओ एवं वयासी / Kासू.१०५॥ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 53 // ___ पुब् िपि णं देवाणुप्पिया ! अम्हं एयंसि दारगंसि गम्भं वक्वंतसि / समाणंसि इमे एयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-जप्पभिई / / च णं अम्हं एस दारए कुच्छिसि गब्भत्ताए वकंते तप्पभिइं च णं / अम्हे हिरण्णेणं वड्डामो, सुवण्णेणं धणेणं धन्नेणं रज्जेणं जाव सावइ-M ज्जेणं पीइसक्कारेणं अईव अईव अभिवड्डामो, सामन्तरायाणो वसमागया य ॥सू. 106 // तं जया णं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ / तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स इमं एयाणुरूवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं भी Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामधिज्जं करिस्सामी वद्वमाणु त्ति। ता अम्हं अज्ज मणोरहसंपत्ती जाया, तं होउ णं अम्हे कुमारे वद्धमाणे नामेणं // सू. 107 // समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं तस्स णं तओ नामधिज्जा / एवमाहिज्जंति, तं जहा-अम्मापिउसंतिए वद्धमाणे 1, सहसमुइयाए / समणे 2, अयले भयभेरवाणं, परीसहोवसग्गाणं, खंतिखमे, पडिमाणं / पालए, धीमं अरतिरतिसहे, दविए, वीरियसंपन्ने देवेहिं से णामं कयं / समणे भगवं महावीरे 3 ॥सू. 108 // समणस्स भगवओ महा Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मृ ||54|| वीरस्स पिया कासवगुत्ते णं तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिज्जति, तं जहा-सिद्धत्थे इ वा, सिज्जंसे इ वा, जसंसे इ वा। समणस्स * भगवओ महावीरस्स माया वासिट्ठसगुत्ते णं तीसे तओ नामधिज्जा / * एवमाहिज्जन्ति, तं जहा-तिसला इ वा, विदेहदिन्ना इ वा, पीइका रिणी इ वा। समणस्स भगवओ महावीरस्स पित्तिज्जे सुपासे, जिढे भाया नंदिवद्धणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया जसोया कोडिनागुत्ते णं / समणस्स भगवओ महावीरस्स धूआ कासवगुत्ते णं तीसे rel Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दो नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तं जहा-अणोज्जा इ वा, पियदंसणा। इ वा। समणस्स भगवओ महावीरस्स नत्तुई कासवगुत्तेणं तीसे णं| दो नामधिज्जा एवमाहिज्जति, तं जहा-सेसवई इ वा, जसवई इ वा ॥सू. 109 // समणे भगवं महावीरे दक्खे दक्खपइन्ने पडिरूवे आलीणे भहए विणीए नाए नायपुत्ते नायकुलचन्दे विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे विदेहसूमाले तीसं वासाइं विदेहसि कटु अम्मापिऊहिं| देवत्तगएहिं गुरुमहत्तरएहिं अब्भणुण्णाए सम्मत्तपइन्ने पुणरवि Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोयंतिएहिं जीयकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इट्ठाहिं जाव वग्गूहि अण- मूळ वरयं अभिनन्दमाणा य अभिथुबमाणा य एवं वयासी // सू. 110 // जय जय नन्दा ! जय जय भद्दा ! भदं ते जय जय खत्तिय-1 वरवसहा ! बुज्झाहि भगवं! लोगणाहा ! सयल-जगज्जीवहियं / पवत्तेहि धम्मतित्थं हिअ-सुह-निस्सेयसकरं सव्वलोए सव्वजीवाणं / भविस्सइ त्ति कटु जयजयसदं पउंजंति ॥सू. 111 // पुर्वि पि णं / / समणस्स भगवओ महावीरस्स माणुस्सगाओ गिहत्थधम्माओ // 1 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुत्तरे आहोइए अप्पडिवाई नाणदंसणे हुत्था। तए णं समणे | भगवं महावीरे तेणं अणुत्तरेणं आहोइएणं नाणदंसणेणं अप्पणो निक्खमणकालं आभोएइ, आभोइत्ता चिच्चा हिरण्णं, चिच्चा सुवण्णं, / चिच्चा धणं, चिच्चा रज, चिच्चा रटुं, एवं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं, चिच्चा पुरं, चिच्चा अंतेउरं, चिच्चा जणवयं, चिच्चा विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणमाइअं संतसार-सावइज्जं, विच्छड्डइत्ता विगोवइत्ता दाणं दायारेहि Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करपसत्र मूळ // 56 // परिभाइत्ता दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता // सू. 112 // तेणं काले णं / / तेणं समए णं समणे भगवं महावीरे जे से हेमंताणं पढमे मासे / पढमे पक्खे मग्गसिर-बहुले तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमी पक्खे / णं पाईण-गामिणाए छायाए पोरिसीए अभिनिविट्टाए पमाणपत्ताए। सुब्बए णं दिवसे णं विजए णं मुहुत्ते णं चंदप्पभाए सिबियाए / सदेवमणुयासुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे संखिय-चक्कियलंगलिय-मुहमंगलिय-बद्धमाण-पूसमाण-घंटियगणेहिं ताहिं इट्ठाहिं M // 16 // Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाव वग्गूहिँ अभिनंदमाणा अभिथुव्वमाणा य एवं वयासी ॥सू.११३॥ जय जय नंदा ! जय जय भद्दा ! भदं ते अभग्गेहिं नाण-दंसणचरित्तेहिं अजियाइं जिणाहि इंदियाई, जियं च पालेहि समणधम्म, जियविग्घो वि य वसाहि तं दवे ! सिद्धिमज्झे ,निहणाहि रागदोस-N मल्ले, तवेणं धिइ-धणिय-बद्धकच्छे, महाहि अट्ठ-कम्मसत्तू झाणेणं| उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो हराहि आराहणपडागं च वीर ! तेलुक्करंगमझे, पावय वितिमिर-मणुत्तरं केवलवरनाणं, गच्छ य मुक्खं पर Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 27 // पयं जिणवरोवइटेणं मग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचमुं, जय जय खत्तिय-वरवसहा! बहूई दिवसाई, बहूई पक्खाई, बहूई मासाई, बहूई / / उऊई, बहूइं अयणाई, बहूई संवच्छराइं, अभीए परीसहोवसग्गाणं, खंतिखमे भयभेरवाणं (अभिभविअ-गामकंटए) धम्मे ते अविग्धं / / भवउ त्ति कटु जयजयसदं पउंजंति ॥सू. 114 // तए णं समणे भगवं महावीरे नयणमाला-सहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे पिच्छिज्जमाणे, वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे अभिथुव्वमाणे, हिययमाला-सह // 5 // Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्सेहिं उन्नंदिज्जमाणे उन्नंदिज्जमाणे, मणोरहमाला-सहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे विच्छिप्पमाणे, कंतिरूवगुणेहिं पत्थिज्जमाणे पत्थिज्जमाणे, अंगुलिमाला-सहस्सेहिं दाइज्जमाणे दाइज्जमाणे, दाहिणहत्थेणं बहूणं नरनारि-सहस्साणं अंजलिमाला-सहस्साइं पडिच्छमाणे पडिच्छमाणे, भवणपंति-सहस्साइं समइक्कमाणे समइक्कमाणे, तंती-तल-ताल। तुडिय-गीय-वाइय-रवेणं महुरेण य मणहरेणं जयजय-सद्दघोसमीसिएणं मंजुमंजुणा घोसेण य पडिबुज्झमाणे पडिबुज्झमाणे, Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूळ // 18 // सव्विड्डीए, सव्वजुईए, सव्वबलेणं, सव्ववाहणेणं, सव्वसमुदएणं, सव्वायरेणं, सव्वविभूइए, सव्वविभूसाए, सव्वसंभमेणं, सव्वसंगमेणं, सव्वपगईएहिं, सव्वनाडएहिं, सव्वतालायरेहि, सव्वावरोहेणं (सव्वारोहेणं) सव्वपुप्फ-गंध-वत्थ-मल्लालंकार-विभूसाए सव्व-तुडिय-सहसन्निनाएणं, महया इड्डीए, महया जुईए, महया बलेणं, महया / वाहणेणं, महया समुदएणं, महया वरतुडिय-जमगसमग-प्पवाइएणं, / संख-पणव-पडह-भेरि-झल्रि-खरमुहि-हुडुक्क-दुंदुहि-णिग्योस-नाइय 1118 // Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेणं, कुंडपुरं नगरं मज्झं मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव नायखंडवणे उज्जाणे जेणेव असोग-वरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोग-वरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ / पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयइ, आमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता छटेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय, एगे अबीए मुण्डे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥सू. 115 // Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 5 // कल्पसूत्र समणे भगवं महावीरे संवच्छरं साहियं मासं जाव चीवरधारी मूळ स्था / तेण परं अचेलए पाणिपडिग्गहिए, समणे भगवं महावीरे सारैगाई दुवालसवासाइं निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ / उवचग्गा उप्पज्जति, तं जहा-दिव्वा वा, माणुसा वा, तिरिक्खजोणिया / Hal!अणुलोमा वा, पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहइ, खमइ, मिशिखइ, अहियासइ ॥सू. 116 // तए णं समणे भगवं महावीरे आणगारे जाए, इरियासमिए, भासासमिए, एसणासमिए, आयाण // 19 // Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंडमत्त-निक्खेवणासमिए, उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्लु-पारिदावणियासमिए, मणसमिए, वयसमिए, कायसमिए, मणगुत्ते, व्यगुप्ते, कायगुत्ते, गुत्ते, गुत्तिदिए, गुत्तबंभयारी, अकोहे, अमाणे, अमाए, अलोहे, संते, पसंते, उवसंते, परिनिबुडे, अणासवे, अममे, अकिंचणे, छिन्नग्गंथे निरुवलेवे, कंसपाई इव मुक्कतोये, संखो इव मिजणे, जीवे इव अप्पडिहयगई, गगणमिव निरालंबणे, वाउव्व / आडिंबद्धे, सारयसलिलं व सुद्धहियए, पुक्खरपत्तं व निरुवलेवे, कुम्मो Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 60 // इव गुत्तिदिए, खग्गिविसाणं व एगजाए, विहग इव विप्पमुक्के, भारंडपक्खीव अप्पमत्ते, कुंजरो इव सोंडीरे, वसहो इव जायथामे, सीहो / इव दुद्धरिसे, मंदरो इव अप्पकंपे (निकंपे, अकंपे), सागरो इव गंभीरे, चंदो इव सोमलेसे, सुरो इव दित्ततेए, जच्चकणगंव्व जायसवे, वसुंधरा / इव सव्वफासविसहे, सुहुयहुयासणो इव तेयसा जलंते, इमेसिं पयाणं / / दुनि-संगहिणी-गाहाओ-कंसे संखे जीवे, गगणे वाऊ अ सरयसलिले अ। पुक्खरपत्ते कुम्मे, विहगे खग्गे अ भारंडे // 1 // कुंजरवसहे सीहे, // 30 // Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * नगराया चेव सागरमखोभे। चंदे सूरे कणगे, वसुंधरा चेव हुअवहे॥२॥ णत्थि णं तस्स भगवंतस्स कथइ पडिबंधे भवइ / से य पडिबंधे / चउबिहे पन्नते, तं जहा-दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ। दव्वओ णं सचित्ताचित्त-मीसएसु दव्वेसु खित्तओ णं गामे वा, नगरे वा, अरण्णे वा, खित्ते वा, खले वा, घरे वा, अंगणे वा, नहे वा, कालओ णं समए वा, आवलियाए वा, आणपाणुए वा, थोवे वा, खणे वा, लवे वा, मुहुत्ते वा, अहोरत्ते वा, पक्खे वा, मासे वा, उऊ (उउए) Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मू. // 6 // सूत्र / वा, अयणे वा, संवच्छरे वा, अन्नयरे वा दीहकालसंजोए, भावओ णं कोहे वा, माणे वा, मायाए वा, लोभे वा, भए वा, हासे वा, पिज्जे / वा, दोसे वा, कलहे वा, अब्भक्खाणे वा, पेसुन्ने वा, परपरिवाए वा, अरइरई वा, मायामोसे वा जाव मिच्छादसणसल्ले वा, (ग्र० 600) * तस्स णं भगवंतस्स नो एवं भवइ ॥सू. 117 // से णं भगवं वासावासवज्जं अट्ठ गिम्हहेमंतिए मासे गामे एगराइए नगरे पंचराइए। |वासीचंदण-समाणकप्पे समतिण-मणि-लेठ्ठ-कंचणे, समसुहदुक्खे // 6 // Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (समदुक्खसुहे) इहलोग - परलोग - अप्पडिबद्धे, जीवियमरणे / निरवकंखे, संसारपारगामी, कम्मसत्तु-निग्घायणट्ठाए अब्भुट्टिए / एवं च णं विहरइ ॥सू. 118 // तस्स णं भगवंतस्स अणुत्तरेणं / नाणेणं, अणुत्तरेणं दंसणेणं, अणुत्तरेणं चरित्तेणं अणुत्तरेणं आलएणं, अणुत्तरेणं विहारेणं, अणुत्तरेणं वीरिएणं, अणुत्तरेणं अज्जवेणं, अणुत्तरेणं महवेणं, अणुत्तरेणं लाघवेणं, अणुत्तराए खंतीए, अणुत्तराए मुत्तीए, अणुत्तराए गुत्तीए. अणुत्तराए तुट्ठीए, अणु Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 32 // त्तरेणं सच्चसंजम-तव-सुचरिय-सोवचिय-फल-निव्वाणमग्गेणं, अप्पाणं भावेमाणस्स दुवालस संवच्छराइं विइक्कंताई, तेरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे, चउत्थे पक्खे, वइसाहसुद्धे तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरीसीए अभिनिविट्टाए पमाणपत्ताए सुव्वएणं दिवसेणं, विजयेणं मुहुत्तेणं जंभियगामस्स नगरस्स बहिया उज्जुवालियाए नईए तीरे वेयावत्तस्स चेइयस्स अदूरसामंते सामागस्स गाहावइस्स // 32 // Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कट्ठकरणसि सालपायवस्स अहे गोदोहियाए उक्कुडिअ-निसिज्जाए। आयावणाए आयावेमाणस्स छटेणं भत्तेणं अप्पाणएणं हत्युत्तराहिं / नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे / निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवर-नाणदंसणे समुप्पन्ने / // सू. 119 // तए णं समणे भगवं महावीरे अरहा जाए, जिणे, केवली सव्वन्नू सव्वदरिसी, सदेव-मणुआसुरस्स लोगस्स परियायं / जाणइ पासइ सव्वलोए सव्वजीवाणं आगइं, गई, ठिइं, चवणं, उववायं, / Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 6 // तकं मणो माणसियं, भुत्तं, कडं, पडिसेवियं, आवीकम्म, रहोकम्म। अरहा अरहस्स भागी तं तं कालं मण-वयण-कायजोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सब्वजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ है। Hoसू. 120 // तेणं कालेणं तेणं समाएणं समणे भगवं महावीरे अट्ठियगाम / नीसाए पढम. अंतरावासं वासावासं उवागए, चंपं च पिट्ठचंपं च / नीसाए तओ अंतरावासे वासावासं उवागए, वेसालिं नगरिं वाणि-nam Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Mअगामं च नीसाए दुवालस अंतरावासे वासावासं उवागए, रायगिहनगरं नालंदं च बाहिरियं नीसाए चउद्दस अंतरावासे वासावासं उवागए, छ मिहिलाए, दो भदियाए, एगं आलंभियाए, एगं सावत्थीए, एगं पणियभूमीए एगं पावाए मज्झिमाए हत्थिपालस्स रन्नो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए // सू. 121 // तत्थ णं जे से पावाए मज्झिमाए हत्थिपालस्स रन्नो रज्जुगसभाए। अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए // सू. 122 // तस्स णं Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 64 // अंतरावासस्स जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तियबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स पण्णरसीपक्खे णं जा सा चरमा रयणी, तं / रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए, विइक्कते, समुज्जाए, सी छिन्न-जाइ-जरा-मरण-बंधणे, सिद्धे, बुद्धे, मुत्ते, अंतगडे परिनिब्बुडे, सव्वदुक्खप्पहीणे, चंदे नाम से दोच्चे संवच्छरे, पीइवद्धणे मासे, नंदिवद्धणे पक्खे, अग्गिवेसे नाम से दिवसे उवसमेत्ति पवुच्चई, देवानंदा नाम सा रयणी निरतित्ति पवुच्चई, अच्चे लवे, मुहुत्ते पाणू, // 64 // Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थोवे सिद्धे, नागे करणे, सव्वट्ठसिद्धे मुहुत्ते, साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं कालगए, जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥सू. 123 // जं रयाणं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे सा णं रयणी बहूहिं देवेहिं देवीहि य ओवयमाणेहि य उप्पयमाणेहि य उज्जोविया यावि होत्था॥ सू. १२४॥जं रयहि च णं समणे भगवं। महावीरे कालगए जाव सव्व-दुक्खप्पहीणे सा णं रयणी बहूहिं देवेहिं देवीहि य ओवयमाणेहिं उप्पयमाणेहि य उप्पिंजलग-माणभूया Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूळ 160 // कल्पसूत्र कहकहगभूया यावि हुत्था // सू. 125 // ___जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, तं रयणिं च णं जिट्ठस्स गोयमस्स इंदभूइस्स अणगारस्स अंतेवासिस्स नायए पिज्जबंधणे वोच्छिन्ने अणंते अणुत्तरे / जाव केवलवर-नाणदंसणे समुप्पन्ने // सू. 126 // जं रयणिं च णं / समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणिं च / णं नव मलई, नव लेच्छइ कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो // 6 // Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमावासाए पाराभोयं (बाराभोयं) पोसहोववासं पट्टविंसु, गए से भावुज्जोए दव्वुज्जोयं करिस्सामो॥सू. 127 // जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाव सव्वदुक्खप्पहाणे तं रयणिं च णं खुद्दाए भासरासी नाम महग्गहे दो वास-सहस्सट्टिईए समणस्स भगवओ महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकंते // सू. 128 // जप्पभिई च णं से खुद्दाए भासरासी महग्गहे दो वाससहस्सट्टिई समणस्स भगवओ महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकंते, तप्पभियं च णं समणाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 66|| य नो उदिए उदिए पूयासक्कारे पवर्त्तइ // सू. 129 // जया णं से। खुद्दाए जाव जम्मनक्खत्ताओ विइकंते भविस्सइ, तया णं समणाणं निग्गंथाणं निग्गीण य उदिए उदिए पूयासक्कारे भविस्सइ॥सू.१३०॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणिं च णं कुंथू अणुद्धरी नामं समुप्पन्ना, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा अहिआ चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण य निग्गंथीण य चक्खुफासं Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हब्वमागच्छइ // 131 // जं पसित्ता बहूहिं निग्गंथेहिं निग्गंथीहि य भत्ताइं पच्चक्खायाइं, से किमाहु भंते ! अजप्पभिई संजमे दूराराहए। (दुराराहे) भविस्सइ ॥सू. 132 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स है। भगवओ महावीरस्स इंदभूइ-पामुक्खाओ चउद्दस समणसाहस्सीओ। उक्कोसिया समणसंपया हुत्था ॥सू. 133 // समणस्स भगवओ। महावीरस्स अज्जचंदणा-पामोक्खाओ छत्तीसं अज्जिया-साहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था ॥सू. 134 // समणस्स णं भगवओ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 67 // महावीरस्स संख-सयग-पामोक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणहिँ च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 135 // / समणस्स भगवओ महावीरस्स सुलसा-रेवई-पामोक्खाणं समणोवासियाणं तिनि सयसाहस्सीओ अट्ठारस-सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था // सू. 136 // समणस्स भगवओ महावीरस्स तिनि सया चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं // 67) Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सव्वक्खर-सन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिया चउद्दस-पुब्विसंपया हुत्था॥सू. १३७॥समणस्स भगवओ महावीरस्स / / तेरस सया ओहिनाणीणं अइसेस-पत्ताणं उक्कोसिया ओहिनाणीणं संपया हुत्था // सू. 138 // समणस्स भगवओ महावीरस्स सत्त सया / केवलनाणीणं संभिन्न-वर-नाण-दसणधराणं उक्कोसिया केवलनाणीणं | संपया हुत्था ॥सू. 139 // समणस्स भगवओ महावीरस्स सत्त सया। वेउव्वीणं अदेवाणं देविड्डिपत्ताणं उक्कोसिया वेउब्वियसंपया हुत्था Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र ॥सू. 140 // समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पंच सया विउलमईणं अड्डा| इज्जेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिंदियाणं पज्जत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं उक्कोसिआ विउलमईणं संपया हुत्था / ॥सू. 141 // समणस्स णं भगवओ महावीरस्स चत्तारि सया वाईणं / सदेव-मणुआसुराए परिसाए वाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया / हुत्था ॥सू. 142 // समणस्स णं भगवओ महावीरस्स सत्त अंते // 68 // Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वासिसयाई सिद्धाइं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, चउद्दस अज्जियासयाई सिद्धाइं ॥सू. 143 // समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अट्ठ सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमसिभदाणं उक्कोसिआ अणुत्तरोववाइयाणं संपया हुत्था // सू. 144 // समणस्स णं भगवओ महावीरस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, * तंजहा-जुगंत-गड-भूमी य, परियायंत-गडभूमी य, जाव तच्चाओ पुरिसजुगाओ जुगंत-गडभूमी, चउवास-परियाए अंतमकासी Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 69 // स्पसूत्र / // सू. 145 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तीसं वासाइं| अगारवासमज्झे वसित्ता, साइरेगाइं दुवालस वासाइं छउमत्थपरियागं पाउणित्ता, देसूणाई तीसं वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता, बायालीसं वासाइं सामण्ण-परियागं पाउणित्ता, बावत्तरिं वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउय-नाम-गुत्ते / इमीसे ओसप्पिणीए दुसम-सुसमाए: समाए बहुविइक्कंताए तिहिं Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुगसभाए एगे अबीए छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पच्चूस-कालसमयसि संपलिअंकनिसण्णे पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाण-फल-विवागाइं, पणपन्नं अज्झयणाई पाव-फल-विवागाई, छत्तीसं च अपुट्ठ-वागरणाई वागरित्ता पहाणं नाम अज्झयणं विभावेमाणे विभावमाणे कालगए, विइक्कंते समुज्जाए, छिन्नजाइ-जरा-मरणबंधणे, सिद्धे, बुद्धे, मुत्ते, अंतगडे, परि Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 7 // निव्वुडे, सव्वदुक्खप्पहीणे॥सू.१४६॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव सव्व-दुक्ख-प्पहीणस्स नव वाससयाइं विइक्ताई, दसमस्स य / वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ, वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छइ, इति दीसइ // सू. 147 // 24 // // इति श्री महावीरजिनेन्द्रचरित्रम् // तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे णं अरहा पुरिसादाणीए पंच विसाहे होत्था, तंजहा-विसाहाहिं चुए चइत्ता गम्भं वक्ते, विसाहाहिं ||7|| Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाए, विसाहाहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइए, विसाहाहि अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे / केवलवर-नाणदंसणे समुप्पन्ने, विसाहाहिं परिनिव्वुडे // सू. 148 // ते णं काले णं ते णं समए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से गिम्हाणं / / पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स। चउत्थीपक्खे णं पाणयाओ कप्पाओ वीसं सागरोवम-ठिइयाओ अणंतरं चयं, चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वाणारसीए नयरीए आस Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 72 // कल्पसूत्र सेणस्स रण्णो वामाए देवीए पुवरत्तावरत्त-कालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवकंतीए (ग्रंथाग्रं 700) भववकतीए सरीरवक्कंतीए कुच्छिसि गब्भताए वक्ते // सू. 149 // पासे णं / अरहा पुरिसादाणीए तिन्नाणोवगए आवि हुत्था, तंजहा-चइस्सामि / / त्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमि त्ति जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविण-दसण-विहाणेणं सव्वं जाव निअगं गिहं अणुपविट्ठा, जाव सुहंसुहेणं तं गम्भं परिवहइ // सू. 150 // // 72 // Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से Mहेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स / दसमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं / विइक्कंताणं पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया॥सू. 151 // जं रयणिं च / पासे अरहा पुरिसादाणीए जाए, सा रयणी (तं रयणिं च णं) बहूहिं देवेहिं देवीहि य जाव उप्पिंजलग-भूया कहकहग-भूया आवि हुत्था Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 72 // ॥सू. 152 // सेसं तहेव, नवरं पासाभिलावेणं भाणिअव्वं, जाव तं होउ णं कुमारे पासे नामेणं ॥सू. 153 // पासे णं अरहा पुरिसादापीए दक्खे, दक्खपइन्ने, पडिरूवे, उल्लीणे, भद्दए, विणीए, तीसं / वासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता पुणरवि लोयंतिएहिं जिअकप्पेहिं / / देवेहिं ताहिं इट्टाहिं जाव एवं वयासी ॥सू. 154 // जय जय नंदा, जय जय भद्दा; जाव जय-जय-सदं पउंजंति // सू. 155 // पुविपि णं पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्य माणुस्सगाओ // 72 // Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आहोइए, तं चेव सव्वं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता, जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, Mतस्स णं पोसबहुलस्स इक्कारसी-दिवसे णं पुव्वण्ह-काल-समयंसि / विसालाए सिबियाए सदेव-मणुआसुराए परिसाए, तं चेव सव्वं, नवरं वाणारसिं नगरि मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव आसमपए उज्जाणे, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोग-वरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ 76 // पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोअं करेइ, करित्ता अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय तिहिं पुरिस-सएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए / सू. 156 // पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीइं राइंदियाइं निच्चं / वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति, तंजहा-दिव्वा वा / माणुस्सा वा, तिरिक्खजोणिआ वा, अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते // 73 // Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ // सू. 157 // तएणं / से पासे भगवं अणगारे जाए, इरियासमिए जाव अप्पाणं भावमाणस्स तेसीइं राइंदियाइं विइक्कंताई, चउरासीइमस्स(इमे) राइंदियस्स(दिए) अंतरा-वट्टमाणस्स(माणे) जे से गिम्हाणं पढमे मासे / पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थी पक्खे णं पुवण्हकाल-समयांस धायइ-पायवस्स अहे छटेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरिआए वट्टमाणस्स। Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 4 // कल्पसूत्र / अणंते अणुत्तरे जाव केवल-वर-नाणदंसणे समुप्पन्ने जाव जाणमाणे मूळ पासमाणे विहरइ॥सू. 158 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स N अट्ठ गणा, अट्ठ गणहरा हुत्था, तंजहा-सुभे य 1 अज्जघोसे य 2, वसिढे 3 बंभयारि य 4 / सोमे 5 सिरिहरे 6 चेव, वीरभद्दे 75 जसेवि य 8 // सू. 159 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स / / अज्जदिण्ण-पामुक्खाओ सोलस समण-साहस्सीओ उक्कोसिआ समण-संपया हुत्था ॥सू. 160 // // 7 // Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स पुष्फचूला-पामुक्खाओ अट्टत्तीसं अज्जिया-साहस्सीओ उक्कोसिआ अज्जिया-संपया हुत्था // सू.१६१॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स सुब्वय-पामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ चउसटिं च सहस्सा / उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 162 // पासस्स णं / अरहओ पुरिसादाणीयस्स सुनंदा-पामुक्खाणं समणोवासियाणं तिण्णि सयसाहस्सिओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 7 // संपया हुत्था ॥सू. 163 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स . * अबुट्ठ-सया चउद्दसपुब्बीणं अजिणाणं जिण-संकासाणं सव्वक्खर सन्निवाईणं जाव चउद्दसपुवीणं संपया हुत्था // सू. 164 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स चउद्दस सया ओहिनाणीणं, दस सया / / केवलनाणीणं, इक्कारस सया वेउब्वियाणं, छस्सया रिउमईणं, दस समणसया सिद्धा, वीसं अज्जिया-सयाइं सिद्धाइं, अद्धट्ठमसया विउलमईणं, छस्सया वाईणं,बारस सया अणुत्तरोववाइयाणं ॥सू. 165 // // 7 // Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगड-भूमी हुत्था, तंजहा-जुगंत-गड-भूमी, परियायंत-गड-भूमी य, जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगंत-गड-भूमी, तिवासपरिआए अंतमकासी // सू. 166 // तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता, तेसीइं राइंदिआई / / छउमत्थ-परिआयं पाउणित्ता, देसूणाई सत्तरि वासाइं केवलि-परिआयं पाउणित्ता, पडिपुण्णाइं सत्तरि वासाइं सामण्ण-परिआयं पाउ Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 76|| णित्ता एक्कं वाससयं सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनाम-गुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसम-सुसमाए समाए बहुविइक्कंताए जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स अट्ठमीपक्खे णं उप्पिं संमेअ-सेल-सिहरंसि अप्पचउत्तीसइमे / मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं / पुव्वण्ह(पुव्वरत्तावरत्त)कालसमयंसि वग्धारियपाणी कालगए विइकंते जाव सब्बदुक्खप्पहीणे // सू. 167 // पासस्स णं अरहओ // 73 // Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरिसादाणीयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दुवालस वाससयाई विइक्कंताई, तेरसमस्स य वाससयस्स अयं तीसइमे संवच्छरे काले गच्छइ // सू. 168 // 23 // इति श्रीपार्श्वनाथचरित्रम्॥ ____ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी पंच चित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुए चइत्ता गम्भं वकंते, तहेव उक्खेवो, जाव / चित्ताहिं परिनियुए // सू. 169 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा। अरिट्ठनेमी जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिअबहुले, Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 7 // <9849484984984181818189<<<<<49 तस्स णं कत्तियबहुलस्स बारसीपक्खे णं अपराजिआओ महाविमाणाओ बत्तीसं सागरोवम-ट्ठिइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जबुहीवे दीवे भारहे वासे सोरियपुरे नयरे समुहविजयस्स रण्णो भारि / आए सिवाए देवीए पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि जाव चित्ताहिं / / जाव गब्भताए वक्ते, सव्वं तहे(मे)व सुमिणदंसण-दविण-संहरणाइअं| इत्थ भाणियव्वं // सू. 170 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी जे से वासाणं // 77 // Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमी। पक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव चित्ताहिं नक्खत्तेणं / जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया // जम्मणं समुद्दविजयाभिलावेणं नेयव्वं जाव तं होउ णं कुमारे अरिट्ठनेमी नामेणं ॥सू. 171 // अरहा अरिट्ठनेमी दक्खे जाव तिणि वाससयाइं / कुमारे अगारवासमझे वसित्ता णं पुणरवि लोगंतिएहिं जिअकप्पिएहिं देवेहिं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 78 // ॥सू.१७२॥ जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स छट्ठीपक्खे णं पुव्वण्ह-कालसमयंसि उत्तरकुराए सीयाए सदेवमणुआसुराए परिसाए अणुगम्ममाण-मग्गे जाव बारवईए नयरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव रेवयए। उज्जाणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोग-वरपायवस्स अहे / सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ पचोरुहित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं SCII Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करेइ करित्ता छटेणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं / एगं देवदूसमादाय एगेणं पुरिस-सहस्सेणं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥सू. 173 // अरहा णं अरिट्ठनेमी चउपन्नं राइंदियाइं निच्चं वोसट्टकाए, चियत्तदेहे, तं चेव सव्वं / / जाव पणपन्नगस्स राइंदियस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से वासाणं / तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले, तस्स णं आसोयबहुलस्स पन्नरसीपक्खे णं दिवसस्स पच्छिमे भागे उजिंत-सेलसिहरे वेडस Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 79 // पायवस्स अहे अट्ठमेणं (छटेणं) भत्तेणं अपाणएणं चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥सू. 174 // अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठारस गणा अट्ठारस गणहरा हुत्था // सू. 175 // अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स वरदत्त-पामुक्खाओ / अट्ठारस समण-साहस्सीओ उक्कोसिया समण-संपया हुत्था / ॥सू. 176 // अरहओ णं अरिट्टनेमिस्स अज्जजक्खिणि-पामुक्खाओ / // 79 // Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसं अज्जिया-साहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया-संपया हुत्था / // सू. 177 // अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स नंदपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणत्तरं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 178 // . अरहओ। णं अरिट्टनेमिस्स महासुब्वया-पामुक्खाणं समणोवासिआणं / तिण्णि सयसाहस्सीओ छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासिआणं संपया हुत्था ॥सू.१७९॥ अरहओ णं अरिट्टनेमिस्स चत्तारि / Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 80 // सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खर-सन्निवाईणं जाव संपया हुत्था, पन्नरस सया ओहिनाणीणं, पन्नरस सया केवलनाणीणं, पन्नरस सया वेउबिआणं, दससया विउलमईणं, अट्ठसया वाईणं, सोलस सया अणुत्तरोववाइआणं, पन्नरस समणसया | सिद्धा, तीसं अज्जियासयाइं सिद्धाइं // सू. 180 // अरहओ णं / / अरिट्ठनेमिस्स दुविहा अंतगड-भूमि हुत्था, तंजहा-जुगंतगड-भूमी य / परियायंतगड-भूमी य-जाव अट्टमाओ पुरिस-जुगाओ जुगंतगड-ineer जा // 8 // Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |भूमी, दु (दुवालस) वास परिआए अंतमकासी ॥सू. 181 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी तिण्णि वाससयाइं कुमारवासमझे वसित्ता, चउपन्नं राइंदियाइं छउमत्थ-परिआयं पाउ|णित्ता, देसूणाई सत्त वाससयाइं केवलिपरिआयं पाउणित्ता, परिपुण्णाइं सत्त वाससयाइं सामण्ण-परिआयं पाउणित्ता, एगं वाससहस्सं सव्वाउअं पालइत्ता, खीणे वेयणिज्जाउय-नाम-गुत्ते इमासे / ओसप्पिणीए दूसम-सुसमाए समाए बहुविइकंताए जे से गिम्हाणं Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 8 // चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे, तस्स णं आसाढसुद्धस्स अट्ठमीपक्खे णं उप्पिं उज्जित-सेलसिहरंसि पंचहिं छत्तीसेहिं अण* गारसएहिं सद्धिं मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चित्ताहिं (चित्ता-) नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि नेसज्जिए / कालगए (ग्रंथाग्रं 800) जाव सव्व-दुक्ख-प्पहीणे ॥सू. 182 // अरहओ णं अरिट्टनेमिस्स कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स | चउरासीइं वाससहस्सा विइकताई, पंचासीइमस्स वाससहस्स नव // 8 // Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाससयाइं विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे / / संवच्छरे काले गच्छइ ॥सू. 183 // // 22 // इति श्रीनेमिनाथ-चरित्रम्॥ नमिस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पंच / वाससयसहस्साइं, चउरासीइं च वाससहस्साइं नव य वाससयाइं / विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥२१॥सू. 184 // मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ जाव सव्व Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 82 // दुक्खप्पहीणस्स इक्कारस वास-सय-सहस्साइं चउरासीइं च वाससहस्साइं नव वाससयाइं विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥२०॥सू.१८५॥ मल्लिस्स णं अरहओ जाव सादुक्खप्पहीणस्स पन्नहिँ वाससयसहस्साइं चउरासीइं च वाससहस्साइं नव वाससयाई विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ // 19 // ॥सू. 186 // अरस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे / // 82 // Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वास-कोडिसहस्से विइक्कते, सेसं जहा मल्लिस्स, तं च एयं-पंचसहिलक्खा चउरासीइं च वाससहस्सा विइकंता, तंमि समए महावीरो निव्वुओ, तओ परं नव वाससया विइकंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ / एवं अग्गओ जाव सेयंसो. ताव दट्ठव्वं 18 ॥सू. 187 // कुंथुस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खपहीणस्स एगे चउभाग-पलिओवमे विइकते, पंचसद्धिं च वाससयसहस्सा, सेसं जहा मल्लिस्स १७॥सू. 188 // संतिस्स णं अरहओ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मळ // 83 // जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइकते। पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१६॥सू. 189 // धम्मस्स णं / अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाइं विइकताई, पन्नडिं च, सेसं जहा मल्लिस्स // 15 // 190 // | अणंतस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरो वमाइं विइकंताई, पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स १४॥सू. 191 // || विमलस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरो // 8 // Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वमाइं विइकंताई, पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स १३॥सू. 192 // वासुपुज्जस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाइं विइकताइं पन्नटिं च, सेसं जहा मल्लिस्स १२॥सू. 193 // / सिज्जंसस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवम|सए विइकंते पन्नटिं च, सेसं जहा मल्लिस्स 11 // सू. 194 // सीअलस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगा सागरोक्मकोडी तिवास-अद्धनवम-मासाहिअ-बायालीस-वाससहस्सेहिं ऊणिआ / Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 84|| विइकंता, एयंमि समए महावीरो निव्वुओ, तओऽविय णं परं नव / वाससयाई विइकंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ 10 // सू. 195 // | सुविहिस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवम-कोडिओ विइकंताओ सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवासअद्धनवम-मासाहिय-बायालीस-वाससहस्सेहिं ऊणिआ(इं) विइक्वंता(इं) इच्चाइ(अं) ९॥सू. 196 // चंदप्पहस्स णं अरहओ जाव . // 84|| Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगं सागरोवम-कोडिसयं विइकंतं, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवास-अद्धनवम-मासाहिय-बायालीसवाससहस्सेहिं ऊणगमिच्चाइ ८॥सू. 197 // सुपासस्स णं अरहओ / जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवम-कोडिसहस्से विइकंते, सेसं / जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवास-अद्धनवम-मासाहिअ-बायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ इच्चाइ 7 // सू. 198 // पउमप्पहस्स णं / अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवम-कोडिसहस्सा विइ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 8 // कंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवास-अद्धनवम-मासाहिय। बायालीस-वाससहस्सेहिं उणगमिच्चाइ ६॥सू.१९९॥ सुमइस्स णं / अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवम-कोडिसय-सहस्से विइकंते, सेसं जहा सीयलस्स, तं च इम-तिवास-अद्धनवम-मासाहियवायालीस वाससहस्सेहिं उणगमिच्चाइ ५॥सू.२००॥ | अभिनदंणस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवम-कोडिसयसहस्सा विइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च | // 8 // Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इम-तिवास अद्धनवम-मासाहिय-बायालीस-वाससहस्सेहिं उणगमिच्चाइ 4 ॥सू.२०१॥ संभवस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स वीसं सागरोवम-कोडिसयसहस्सा विइकंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमं-तिवास-अद्धनवम-मासाहिय-बायालीस-वाससहस्सेहिं / / उणगमिच्चाइ ३॥सू.२०२॥ अजियस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पन्नासं सागरोवम-कोडिसयसहस्सा विइकंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इम-तिवास-अद्धनवम-मासाहिय-बायालीस Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूळ कल्पसूत्र // 86 // वाससहस्सेहिं उणगमिच्चाइ २॥सू. 203 // इति अन्तराणि // तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए चउउत्तरासाढे अभीइपंचमे होत्था, तंजहा-उत्तरासाढाहिं चुए-चइत्ता गम्भं / वकंते जाव अभीइणा परिनिव्वुए ॥सू.२०४॥ तेणं कालेणं तेणं / समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे / सत्तमे पक्खे-आसाढबहुले, तस्स णं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खे / णं सब्वट्ठसिद्धाओ महाविमाणाओ तित्तीसं सागरोवमई-टिइआओ अणं // 86 // Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |तरं चयं, चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवा(वी)ए भारियाए पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयसि आहारवकंतिए जाव गब्भत्ताए वकंते ॥सू. 205 // | उसमे णं अरहा कोसलिए तिन्नाणोवगए आवि होत्था, तंजहाचइस्सामि त्ति जाणइ जाव सुविणे पासइ, तंजहा-गयवसह जाव / सिहिं च // गाहा / सव्वं तहेव, नवरं पढमं उसभं मुहेणं अइंतं / |पासइ सेसाओ गयं, नाभिकुलगरस्स साहेइ, सुविणपाढगा नत्थि, Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र ||8|| नाभिकुलगरो सयमेव वागरेइ ॥सू.२०६॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे, पढमे पक्खे | चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं| बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाणं राइंदियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया॥सू.२०७॥ तं चेव / सव्वं जाव देवा देवीओ य वसुहारवासं वासिंसु, सेसं तहेव चारग। सोहणं, माणुम्माणवद्धणं, उस्सुक्क-माइय-ट्ठिइवडिअ-जूयवज्जं सव्वं // 8 // Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भाणिअव्वं ॥सू.२०८॥ उसमेणं अरहा कोसलिए कासवगुत्ते णं, सस्स णं पंच नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-उसभेई वा, पढमराया इ वा, पढम-भिक्खायरे इ वा, पढमजिणे इ वा पढमतित्थयरे इ वा // सू.२०९॥ उसभेणं अरहा कोसलिए दक्खे दक्खपइण्णे पडिरूवे अल्लीणे भदए विणीए वीसं पुब्ब-सयसहस्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ता तेवहि च पुष-सयसहस्साइं रज्जवासमज्झे बॉसमणे / लेहाइआओ गणियप्पहाणाओ सउण-रुय-पज्जवसाणाओ बावत्तरि / Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ->> कल्पसूत्र // 8 // कलाओ, चउसाढें महिलागुणे, सिप्पसयं च कम्माणं, तिन्निवि मूळ पयाहिआए उवदिसइ, उवदिसइत्ता पुत्तसयं रज्जसए अभिसिंचइ, अभिसिंचित्ता पुणरवि लोअंतिएहिं जिअकप्पिएहिं देवेहिं ताहि / इटाहिं जाव वग्गृहिं, सेसं तं चेव सव्वं भाणिअव्वं, जाव दाणं दाइआणं परिभाइत्ता, जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं दिवसस्स पच्छिमे भागे सुदंसणाए सिबियाए सदेव-मणुआसुराए परिसाए समणुगम्म-. // 88 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माण-मग्गे जाव विणीयं रायहाणिं मझमज्झेणं णिगच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेणेव असोग-वरपायव तेणेव / / उवाच्छइ, उवागच्छित्ता असोग-वरपायवस्स अहे जाव सयमेव / / चउमुट्ठिअं लोअं करेइ, करित्ता छटेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागए णं उग्गाणं भोगाणं राइन्नाणं खत्तियाणं च चउहिं पुरिससहस्सेहिं सद्धिं एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता / अगाराओ अणगारियं पव्वइए // सू. 210 // Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 8 // उसभे णं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं निच्चं वोसट्ठकाए मछ चियत्तदेहे, जाव अप्पाणं भावमाणस्स एगं वाससहस्सं विइकंतं, तओ णं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे, फग्गुणबहुले तस्स णं फग्गुणबहुलस्स इक्कारसीपक्खे णं पुवण्ह-कालसमयंसि, पुरिमतालस्स नयरस्स बहिआ,सगडमुहंसि उज्जाणंसि, नग्गोह-वर-पायवस्स अहे, अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं, आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोग मुवागएणं, झाणंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते जाव जाणमाणे पासमाणे // 8 // Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विहरइ ॥सू. 211 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीइ गणा, चउरासीइ गणहरा हुत्था॥सू.२१२॥ उसभस्सणं अरहओ कोसलिअस्स उसभसेण-पामुक्खाणं चउरासीओ समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था॥सू.२१३॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स | बंभि-सुंदरि-पामुक्खाणं अज्जियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था ॥सू. 214 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स सिज्जंस-पामुक्खाणं समणोवासगाणं तिण्णि सयसाह Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 190 // स्सीओ पंचसहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 215 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स सुभद्दा-पामुक्खाणं / समणोवासियाणं पंचसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उक्कोसिया / समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥सू. 216 // उसभस्स णं अरहओ। कोसलिअस्स चत्तारि सहस्सा सत्तसया पण्णासा चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं जाव उक्कोसिया चउद्दसपुग्विणं संपया हुत्था ॥सू. 217 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स नव सहस्सा | // 20 // Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओहिनाणीणं उक्कोसिया ओहिनाणीसंपया हुत्था ॥सू. 218 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा केवलनाणीणं / उक्कोसिया केवलनाणि-संपया हुत्था ॥सू. 219 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा छच्च सया वेउब्बियाणं उक्कोसिया / वेउव्विसंपया हुत्था ॥सू. 220 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा विउलमईणं अड्डाइज्जेसु दीवेसु दोसु य समुद्देसु (दीवसमुद्देसु) सन्नीणं पंचिंदियाणं पज्जत्त Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 11 // गाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं पासमाणाणं उक्कोसिआ विउलमइ-संपया हुत्था ॥सू. 221 // उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स / बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा वाईणं उक्कोसिया वाइसंपया / - हुत्था ॥सू. 222 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीसं अंतेवासि-1 सहस्सा सिद्धा, उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चत्तालीसं / अज्जिया-साहस्सीओ-(सहस्साओ) सिद्धाओ // सू. 223 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बावीस सहस्सा नव सया अणुत्तरोववाइ // 21 // Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याणं गइकल्लाणाणं जाव भदाणं उक्कोसिया संपया हुत्था॥सू. 224 // / उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा जुगंतगडभूमी परियायंतगडभूमी य, जाव असंखिज्जाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, अंतोमुहुत्त-परियाए अंतमकासी // सू.२२५॥ ____ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे णं अरहा कोसलिए वीसं / पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ता, तेवढि पुवसयसहस्साइं / रज्जवासमज्झे वसित्ता, तेसीइं पुव्वसयसहस्साइं अगारवासमज्झे / Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र वसित्ता, एगं वाससहस्सं छउमत्थ-परिआयं पाउणित्ता, एगं पुव्वसय॥२२॥ सहस्सं वाससहस्सूणं केवलि-परिआयं पाउणित्ता पडिपुण्णं (संपुण्णं)। पुन्व-सयसहस्सं सामण्ण-परियागं पाउणित्ता चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सवाउयं पालइत्ता, खीणे वेयणिज्जाउय-नाम-गुत्ते इमीसे / ओसप्पिणीए सुसमदुस्समाए समाए बहुविइक्कंताए तिहिं वासेहिं / / अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं, जे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे / पक्खे, माहबहुले तस्स णं माहबहुलस्स (ग्रंथानं 900) तेरसीपक्खेणं / Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उप्पिं अट्ठावयसेलसिहरंसि दसहिं अणगारसहस्सेहिं सद्धिं चोइसमेणं भत्तेणं अपाणएणं अभीइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वण्हकालसमयंसि संपलियंक-निसण्णे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे / // सू. 226 // उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि वासा अद्धनवमा य मासा विइकंता, तओवि परं / एगा सागरोवम-कोडाकोडी. तिवास-अद्धनवम-मासाहिय-बायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिया विइकंता, एयंमि समए समणे भगवं महावीरे Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ पडिनिव्वुडे, तओवि परं नववाससया विइकंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥सू. 227 // // इति श्रीऋषभदेव-चरित्रं प्रथमं च जिनेन्द्र-चरित्राख्यं वाच्यम् // 1 // // 9 // COCONICON. अथ स्थविरावली CONCICROR तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नव // 9 // Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणा, इक्कारस गणहरा होत्था ॥सू.१॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ? समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा होत्था ? ॥सू. 2 // समणस्स। भगवओ महावीरस्स जिट्टे इंदभूई अणगारे गोयमे गुत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, मज्झिमए अग्गिभूई अणगारे गोयमे गुत्तेणं (गोयमगुत्ते. गोयमसगोत्ते णं) पंच समणसयाई वाएइ, कणीयसे अणगारे वाउभूई गोयमे गुत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, थेरे अज्ज Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 24 // वियत्ते भारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अजसुहम्मे अग्गिवेसायणगुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडियपुत्ते वासिट्ठगुत्तेणं अछुट्टाई समणसयाई वाएइ, थेरे मोरियपुत्ते कासवगुत्तेणं / अछुट्टाइं समणसयाइं वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गुत्तेणं, थेरे अयलभाया हारियायणे गुत्तेणं, ते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाइंति, थेरे मेयज्जे, थेरे पभासे, एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्ना गुत्तेणं / तिणि तिण्णि समणसयाई वाइंति, से तेणटेणं अज्जो ! एवं वुच्चइ // 14 // Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा होत्था / ॥सू. 230 // सव्वे एते समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि / गणहरा दुवालसंगिणो चउद्दसपुग्विणो सम्मत्त-गणिपिडग-धारगा / रायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा, थेरे इंदभूई, थेरे अज्जसुहम्मे य सिद्धिं गए महावीरे| पच्छा दुण्णिवि थेरा परिनिव्वुया। जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा / विहरंति, एए णं सब्बे अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स आवञ्चिज्जा, Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 95 // अवसेसा गणहरा निरवच्चा वुच्छिन्ना ॥सू. 4 // समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं / समणस्स णं भगवओ महावीरस्स कासवगुत्तस्स अज्जसुहम्मे थेरे अंतेवासी अग्गिवेसायणगुत्ते 1 / थेरस्स णं अज्जसुहम्मस्स अग्गिवेसायणगुत्तस्स अज्जजंबूनामे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते / णं 2 / थेरस्स णं अज्जजंबूणामस्स कासवगुत्तस्स अज्जप्पभवे थेरे। अंतेवासी कच्चायणसगुत्ते 3 / थेरस्स णं अज्जप्पभवस्स कच्चायणसगुत्तस्स अज्जसिजंभवे थेरे अंतेवासी मणगपिया वच्छसगोत्ते ४।थेरस्स। // 9 // Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णं अज्जसिज्जंभवस्स मणगपिउणो वच्छसगोत्तस्स अज्जजसभद्दे थेरे अंतेवासी तुंगियायणसगोत्ते ५॥सू. 5 // संखित्तवायणाए अज्जजसभद्दाओ अग्गओ एवं थेरावली भणिया, तं जहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स असेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जसंभूइविजए माढरसगुत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते 6 / थेरस्स णं अज्जसंभूइविजयस्स माढरसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जथूलभद्दे गोयमसगुत्ते / थेरस्स णं अज Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 96 // थूलभद्दस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जमहागिरी / एलावच्चसगुत्ते, थेरे अज्जसुहत्थी वासिट्ठसगुत्ते 8 / थेरस्स णं अज्जसुहत्थिस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धा कोडिय-काकंदगा वग्धावच्चस-गुत्ता 9 / थेराणं सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धाणं / कोडिय-काकंदगाणं वग्घावच्चस-गुत्ताणं अंतेवासी थेरे अज्जइंददिन्ने कोसियगुत्ते 10 / थेरस्स णं अज्जइंददिन्नस्स कोसियगुत्तस्य अंतेवासी / थेरे अज्जदिन्ने गोयमसगुत्ते 11 / थेरस्स णं अजदिन्नस्स गोयम // 16 // Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जसीहगिरी जाइसरे कोसियसगुत्ते 12 / / थेरस्स णं अज्जसीहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियसगुत्तस्स अंतेवासी / थेरे अज्जवइरे गोयमसगुत्ते 13 / थेरस्स णं अज्जवइरस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जवइरसेणे उक्कोसियगुत्ते 14 / थेरस्स णं / अज्जवइरसेणस्स उक्कोसिअगुत्तस्स अंतेवासी चत्तारि थेरा-थेरे अज्ज-M नाइले 1, थेरे अज्जपोमिले 2, थेरे अज्जजयंते 3, थेरे अज्जतावसे / 4, 15 / थेराओ अज्जनाइलाओ अज्जनाइला साहा निग्गया 1, Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 27 // थेराओ अपोमिलाओ अज्जपोमिला साहा निग्गया 2, थेराओ अज्जयंताओं अज्जजयंती साहा निग्गया 3, थेराओ अज्जतावसाओ अज्जतावसी साहा निग्गया 4 इति // सू.६॥ वित्थरवायणाए पुण अज्जजसभदाओ पुरओ थेरावली एवं / / प(वि)लोइज्जइ, तं जहा-थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणस-1 गुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं। जहा-थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते, थेरे अज्जसंभूइ(अ)विजए / // 17 // Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माढरगुत्ते ६॥सू. 7 // थेरस्स णं अज्जभद्दबाहुस्स पाईणसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहाथेरे गोदासे 1 थेरे अग्गिदत्ते 2 थेरे जण्णदत्ते 3 थेरे सोमदत्ते 4 कासवगुत्ते णं 1 / थेरेहिंतो गोदासेहिंतो कासवगुत्तेहिंतो इत्थ णं गोदास-गणं नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिजंति, तं जहा-तामलित्तिया 1 कोडिवरिसिया 2 पोंड(पंडु) * वद्धणिया (पोंडवद्धया) 3 दासीखबडिया 4, 2 / थेरस्स णं अज्ज Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र संभूइविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-नंदणभद्दु 1 वनंदण-भद्दे 2 तह तीसभ६ 3 जसभद्दे 4 / थेरे य सुम(मि)णभद्दे 5 म(ग)णिभद्दे६ पुण्णभद्दे / 7 य // 1 // थेरे अ थूलभद्दे 8 उज्जुमई 9 जंबुनामधिज्जे 10 य। थेरे अ दीहभद्दे 11 थेरे तह पंडुभद्दे 12 य // 2 // 3 / थेरस्स णं अजसंभूइविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमाओ सत्त अंतेवासिणीओ अहावच्चाओ अभिण्णायाओ हुत्था, तं जहा-जक्खा 1 य जक्ख Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिण्णा 2 भूया 3 तह चेव भूयदिण्णा य 4 / सेणा 5 वेणा 6 रेणा 7 भइणीओ थूलभहस्स ॥१॥४,७॥सू.८॥ थेरस्स णं अजथूलभहस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जमहागिरी एलावच्चसगुत्ते 1 थेरे। अज्जसुहत्थी वासिट्ठसगुत्ते 2,1 / थेरस्स णं अज्जमहागिरिस्स। एलावच्चसगुत्तस्स इमे अट्ट थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे उत्तरे 1, थेरे बलिस्सहे 2, थेरे धणड्डे 3, थेरे Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र ... सिरिभद्दे 4, थेरे कोडिन्ने 5, थेरे नागे 6, थेरे नागमित्ते 7, थेरे। छडुलूए (छलूए) रोहगुत्ते कोसियगुत्ते णं 8, 2 / थेरेहित्तो णं छडुलू(छलू) एहितो रोहगुत्तेहिंतो कोसियगुत्तेहिंतो तत्थ णं तेरासीया / निग्गया 3 / थेरेहितो णं उत्तरबलिस्सहेहितो तत्थ णं उत्तरबलिस्सहे / नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिजंति, तं जहा-कोसंबिया 1, सुत्तिवत्तिया (सोइत्तिया) 2, कोडंबाणी 3, चंदनागरी ४,४॥८॥सू. 9 // थेरस्स णं अज्जसुहत्थिस्स | 19 // Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वासिट्ठसगुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे अ अज्जरोहणे 1 भद्दजसे (जसभद्दे) 2 मेहगणी य कामिड्डी 4 / सुट्ठिय 5 सुप्पडिबुद्धे 6 रक्खिय 7 तह रोहगुत्ते 9 अ // 1 // इसिगुत्ते 9 सिरिगुत्ते 10, गणी य बंभे 11 गणी। य तह सोमे 12 / दस दो अ गणहरा खलु, एए सीसा सुहत्थिस्स। // 2 // 1 / थेरेहितो णं अज्जरोहणेहिंतो णं कासवगुत्तेहितो। / णं तत्थ णं उद्देहगणे नामं गणे निग्गए, तस्सिमाओ / Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 10 // चत्तारि साहाओ निग्गयाओ छच्च कुलाई एवमाहिज्जति 2 / से। / किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जंति, तं जहा-उदुंबरिज्जिया 2, मासपूरिआ 1, मइपत्तिया 3, पु(प)ण्णपत्तिया 4, से तं साहाओ / 3 / से किं तं कुलाइं ? कुलाइं एवमाहिज्जंति, तं जहा-पढमं च / नागभूयं 1, बिअं पुण सोमभूइयं 2 होइ। अह उल्लगच्छ तइअं 3, चउत्थयं हत्थलिज्जं 4 तु ॥१॥पंचमगं नंदिज्जं 5, छ8 पुण पारिहासयं 6 होइ / उद्देहगणस्सेए, छच्च कुला हुँति नायव्वा // 2 // 4 // 10 // Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थेरेहितो णं सिरिगुत्तेहिंतो हारियसगुत्तेहिंतो इत्थ णं चारणगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, सत्त य कुलाई / एवमाहिज्जंति, 5 / से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जति, तं जहा-हारिअ-मालागारी 1, संकासीआ 2 गवेधुया 3, विज्जनागरी / / 4, से तं साहाओ 6 / से किं तं कुलाइं ? कुलाइं एवमाहिज्जंति, तं, जहा-पढमित्थ वत्थलिज्जं 1, बीयं पुण पीइधम्मिश्र होइ 2 / तइअं पुण हालिज्जं 3, चउत्थयं पुसमित्तिज्जं 4 // 1 // पंचमगं मालिज्जं Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 10 // 5, छ8 पुण अज्जवेडयं 6 होइ / सत्तमगं कण्हसहं 7, सत्त कुला चारणगणस्स // 2 // 7 / थेरेहिंतो णं भद्दजसेहितो भारहायस-गुत्ते। हिंतो इत्थ णं उडुवाडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ / चत्तारि साहाओ, तिण्णि कुलाई एवमाहिज्जंति ८।से किं तं साहाओ? - साहाओ एवमाहिज्जति, तं जहा-चंपिज्जिया 1 भादज्जिया 2 * काकंदिया 3 मेहलिज्जिया 4 से तं साहाओ 9 / से किं तं कुलाइं? | कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा-भद्दजसियं 1 तह भद्दगुत्तियं २तइअंच // 10 // Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ होइ जसभई 3 / एयाइं उडुवाडिय-गणस्स तिण्णेव य कुलाइं॥१॥ 10 / थेरेहिंतो णं कामिड्डीहितो कोडालस-गुत्तोहितो इत्थ णं वेसवाडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, / चत्तारि कुलाइं एवमाहिज्जंति 11 / से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जंति, तं जहा-सावत्थिया 1 रज्जपालिआ 2 अंतरिज्जिया / 3 खेमलिज्जिया 4 से तं साहाओ 12 / से किं तं कुलाइं ? कुलाई एवमाहिज्जंति, तं जहा-गणियं 1 महिअं 2 कामड्डियं 3 च तह होइ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 102 // इंदपुरगं 4 च / एयाइं वेसवाडिय-गणस्स चत्तारि उ कुलाई // 1 // 13 / थेरेहितो णं इसिगुत्तेहिंतो काकंदिएहितो वासिट्ठसगुत्तेहिंतो इत्थ / णं माणवगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, तिण्णि य कुलाइं एवमाहिज्जति 14 / से किं तं साहाओ ? साहाओ। एवमाहिज्जंति, तंजहा-कासवज्जिया 1 गोयमिज्जिया 2 वासिट्ठिया / 3 सोरहिया 4, से तं साहाओ 15 / से किं तं कुलाइं ? कुलाइं एवमाहिज्जंति, तं जहा-इसिगुत्ति इत्थ पढमं 1 बीयं इसिदत्तिअं मुणे- 10 // / Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यव्वं 2 तइयं च अभिजयंतं 3 तिणि कुला माणवगणस्स // 1 // 16 // 9 // सू.१०॥ | थेरेहितो सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धेहिंतो कोडिय-काकंदएहिंतो वग्घावच्चसगुत्तेहिंतो इत्थ णं कोडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ / चत्तारि साहाओ, चत्तारि कुलाइं च एवमाहिज्जति 1 / से किं तं, साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जति, तं जहा-उच्चनागरी 1 विज्जाहरी / य 2 वइरी य 3 मज्झिमिल्ला 4 य। कोडियगणस्स एया, हवंति Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 103 / / चत्तारि साहाओ // 1 // से तं साहाओ 2 / से किं तं कुलाइं? कुलाई / एवमाहिज्जंति, तं जहा-पढमित्थ बंभलिज्जं 1 बिइयं नामण वत्थ। लिजं तु। तइयं पुण वाणिज्जं 3 चउत्थयं पण्हवाहणयं 4 // 1 // 3 // थेराणं सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदगाणं वग्यावच्चसगुत्ताणं / / इमे पंच थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे अज्जइंददिन्ने 1 थेरे पियग्गंथे 2 थेरे विज्जाहरगोवाले कासवगुत्ते णं 3 थेरे इसिदिन्ने (दत्ते) 4 थेरे अरिहदत्ते 5, 4 / थेरेहितो णं // 10 // Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पियग्गंथेहिंतो इत्थ णं मज्झिमा साहा निग्गया, थेरेहितो णं विज्जा हर-गोवालेहितो कासवगुत्तेहितो इत्थ णं विज्जाहरी साहा निग्गया, ५॥१०॥सू. 11 // थेरस्स णं अज्जइंददिन्नस्स कासवगुत्तस्स अज्जदिन्ने अंतेवासी गोयमसगुत्ते 11 // सू.१२॥ थेरस्स णं अज्जदिन्नस्स . गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे अज्जसंतिसेणिए माढरसगुत्ते 1 थेरे अज्जसीहगिरी / जाइस्सरे कोसियगुत्ते 2, 9 / थेरेहितो णं अज्ज-संतिसेणिएहितो / Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 104 // माढरस-गुत्तेहिंतो इत्थ णं उच्चनागरी साहा निग्गया 2 // 12 // सू. 13 // (240) // थेरस्स णं अज्जसंतिसेणियस्स माढरसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहाM (ग्रंथाग्रं 1000) थेरे अज्जसेणिए 1 थेरे अज्जतावसे 2 थेरे अज्जकुबेरे 3 थेरे अज्जइसिपालिए 4, 1 थेरेहितो णं अज्जसेणिएहितो इत्थ णं अज्जसेणिया साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्जतावसेहितो इत्थ णं अज्जतावसी साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्जकुबेरेहितो // 104 // Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इत्थ णं अज्जकुबेरी साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्ज-इसिपालिएहिंतो इत्थ णं अज्जइसिवालिया साहा निग्गया. 2 / थेरस्स णं अज्ज। सीहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी। अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे धणगिरी थेरे अज्जवइरे / थेरे अज्जसमिए थेरे अरिहदिन्ने 3 // थेरेहितो णं अज्जसमिएहितो। गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं बंभदीविया साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्जवयरेहितो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं अज्जवइरी साहा निग्गया Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 10 // |4 / १३॥सू. 14 // थेरस्स णं अज्जवइरस्स गोयमसगुत्तस्स इमे तिण्णि थेरा अंतेवासी अहावचा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा-थेरे अज्जवइरसेणिए थेरे अज्जपउमे थेरे अज्जरहे 14 ॥सू. 15 // | थेरेहिंतो णं अज्जवइरसेणिएहिंतो इत्थ णं अज्जनाइली / साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अज्जपउमेहिंतो इत्थ णं अज्जपउमा साहा निग्गया, थेरेहिंतो णं अज्जरहेहिंतो इत्थ णं अज्ज-M जयंती साहा निग्गया 15 // सू. 16 // थेरस्स णं अज्जरहस्स . // 10 // Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वच्छसगुत्तस्स अजपूसगिरी थेरे अंतेवासी कोसियगुत्ते 16 ॥सू. 17 // थेरस्स णं अज्जपूसगिरिस्स कोसियगुत्तस्स अज्जफग्गुमित्ते / / थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते १७॥सू. 18 // थेरस्स णं अज्जफग्गुN मित्तस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जधणगिरी थेरे अंतेवासी वासिट्टसगुत्ते / / १८॥सू. 19 // थेरस्स णं अज्जधणगिरिस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अज्जसिवभूई थेरे अंतेवासी कुच्छसत्ते 19 // सू. 20 // थेरस्स णं अज्ज। सिवभूइस्स कुच्छसगुत्तस्स अज्जभद्दे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते 20 Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 106 / / // सू. 21 // थेरस्स णं अज्जभहस्स कासवगुत्तस्स अज्जनक्खत्ते थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते 21 // सू. 22 // थेरस्स णं अज्जनक्खत्तस्स / कासवगुत्तस्स अज्जरक्खे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते २२॥सू. 23 // थेरस्स णं अज्जरक्खस्स कासवगुत्तस्स अज्जनागे थेरे अंतेवासी गोअमसगुत्ते 23 // सू. 24 // थेरस्स णं अज्जनागस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जजेहिले थेरे अंतेवासी वासिट्ठसगुत्ते 24 ॥सू.२५॥ थेरस्स णं अज्जजेहिलस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अज्जविण्हू थेरे अंतेवासी माढरस // 106 // Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुत्ते 25 // सू.२६॥ थेरस्स णं अज्जविण्हुस्स माढरसगुत्तस्स अज्जकालए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते 26 // सू. 27 // थेरस्स णं अज्ज| कालियस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो (दुवे) थेरा अंतेवासी गोयमस* गुत्ता-थेरे अज्जसंपलिए 1 थेरे अज्जभद्दे 2, 27 // सू.२८॥ एएसि / णं दुण्हं थेराणंवि गोयमसगुत्ताणं अज्जवुड्डे थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते 28 // सू. 29 // थेरस्स णं अजवुड्डस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जसंघपालिए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते २९॥सू. 30 // थेरस्स णं / Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 107 // अज्जसंघपालिअस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जहत्थी थेरे अंतेवासी कासवगुते ३०॥सू.३१॥ थेरस्स णं अज्जहत्थिस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी सुव्वय(सावय) गुत्ते 31 ॥सू. 32 // थेरस्स णं अज्जधम्मस्स सुब्वय(सावय) गुत्तस्स अजसीहे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते 324 ॥सु.३३॥(२५०) थेरस्स णं अज्जसीहस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे। अंतेवासी कासवगुत्ते 33 // सू.३४॥ थेरस्स णं अज्जधम्मस्स कासवगुत्तस्स अज्जसंडिल्ले थेरे अंतेवासी 34 ॥सू.३५॥ // 107|| Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वंदामि 'फग्गुमित्तं' च, गोयमं 37 धणगिरिं' च वासिढे 18 / / कुच्छं 'सिवभूईपि य 19 कोसिय दुज्जंतकण्हे य // 1 // ते वंदिऊण / सिरसा, ‘भदं' वंदामि कासवं गोत्तं (कासवसगुत्तं) 20 / 'नक्खं' कासवगुत्तं, 21 ‘रक्खं' पि य कासवं 22 वंदे // 2 // वंदामि 'अज्जनागं' 23 च, गोयमं 'जेहिलं' च वासिढे 24 / विण्डं' माढरगुत्तं, 25 'कालग'मवि गोयमं 26 वंदे // 3 // गोयमगुत्तकुमारं 'संपलियं 27 तहय ‘भद्दयं वंदे / थेरं च 'अज्जवुड्डू' 28 गोयमगुत्तं नम Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 108 // सामि // 4 // तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्त-चरित्त-नाणसंपन्नं / थेरं च। | 'संघवालिय' गोयमगुत्तं पणिवयामि 29 // 5 // वंदामि 'अज्जहत्यि' / / च, कासवं खंतिसागरं धीरं। गिम्हाण पढममासे, कालगयं चेव सुद्धस्स 30 // 6 // वंदामि 'अज्जधम्म' च, सुव्वयं सील-लद्धिसंपन्नं / / | जस्स निक्खमणे देवो, छत्तं वरमुत्तमं वहइ 31 // 7 // 'हत्थिं' (हत्थं) * कासवगुत्तं, धम्मं सिवसाहगं पणिवयामि / 'सीहं' कासवगुत्तं, 32 'धम्म' पि य कासवं 33 वंदे // 8 // तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्त-| neen Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरित्त-नाणसंपन्नं / थेरं च 'अज्जजंबु', गोयमगुत्तं नमसामि 34 // 9 // मिउ-मद्दव-संपन्नं, उवउत्तं नाण-दंसण-चरित्ते / थेरं च 'नंदियं' पि य', कासवगुत्तं पणिवयामि 35 // 10 // तत्तो य थिरचरितं, उत्तम-सम्मत्त-सत्तसंजुत्तं / 'देवड्डिगणि-खमासमणं', माढरगुत्तं नम। सामि 36 // 11 // तत्तो अणुओगधरं, धीरं मइसागरं महासत्तं / / थिरगुत्त-खमासमणं, वच्छसगुत्तं पणिवयामि 37 // 12 // तत्तो य नाण-दंसण-चरित्त-तव-सुट्टियं गुणमहंतं / थेरं 'कुमारधम्मं,' वंदामि Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 10 // गणिं गुणोववेयं 38 // 13 // सुत्तत्थ-रयण-भरिए, खम-दम-मद्दवगुणेहिं संपन्ने। 'देविड्डि-खमासमणे, कासवगुत्ते पणिवयामि 39 // 14 // // इति स्थविरावली नामकं द्वतीयं वाच्यम् // 2 // ॥अथ सामाचारी॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवी। सइराए मासे विइकते वासावासं पज्जोसवेइ // सू. 1 // से केणटेणं / 109 // Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भंते ! एवं वुच्चइ ? समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए / मासे विइक्ते वासावासं पज्जोसवेइ ? जओ णं पाएणं अगारीणं / अगाराइं कडियाइं उकंपियाई छन्नाइं लित्ताइं गुत्ताइं घट्ठाई मट्ठाई। संपधूमियाइं खाओदगाइं खायनिद्धमणाई अप्पणो अट्ठाए कडाइं। परिभुत्ताइं परिणामियाइं भवंति, से तेणटेणं एवं वुच्चइ समणे | भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्वते वासावासं पज्जोसवेइ ॥सू.२॥ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ 11. जहा णं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पज्जोसवेइ, तहा णं गणहरावि वासाणं सवीसइराए / मासे विइकंते वासावासं पज्जोसविंति ॥सू.३॥ जहा णं गणहरा / / वासाणं सवीसइराए जाव पज्जोसविति, तहा णं गणहरसीसावि / वासाणं जाव पज्जोसविति // सू. 4 // जहा णं गणहरसीसा वासाणं / जाव पज्जोसविंति, तहा णं थेरावि वासाणं जाव पज्जोसविंति ॥सू.५॥ जहा णं थेरा वासाणं जाव पज्जोसविंति, तहा णं जे इमे अज्जत्ताए // 110 // Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समणा निग्गंथा विहरंति, एएवि (तेवि) अणं वासाणं जाव पज्जोसविं()ति // सू.६॥ जहा णं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा / वासाणं सवीसइराए मासे विइकंते वासावासं पज्जोसविति, तहा णं / अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविति ॥सू.७॥ जहा णं अम्हं आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविति, तहा णं अम्हेवि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्ते वासावासं पज्जोसवेमो, अंतरावि य से कप्पइ, नो से कप्पइ तं रयाणं उवायणा Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र वित्तए ॥सू.८(२६०)॥ // 111 // | वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा / सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं / / अहालंदमवि ओग्गहे // सू. 9 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ / निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सवओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए॥सू. 10 // जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए / // 11 // Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंतुं पडिनियत्तए ॥सू. 11 // एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा-एवं चक्किया , एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥सू. 12 // एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ / सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए / // सू. 13 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्यंगइयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 112 // दावे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए // सू. 14 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुवं भवइ-पडिगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ / दावित्तए ॥सू. 15 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्यंगइयाणं एवं / / वृत्तपुव्वं, भवइ दावे भंते ! पडिगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तएवि पडिगाहित्तएवि ॥सू. 16 // वासावासं पजोसवियाणं नो / कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरो(रु)ग्गाणं // 112 // Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ N(अरोगाणं) बलियसरीराणं इमाओ नव रसविगइओ अभिक्खणं अभिक्खणं आहारित्तए, तं जहा-खीरं 1, दहिं 2, नवणीयं 3, / सप्पिं 4, तिलं 5, गुडं 6, महुं 7, मज्जं 8, मंसं 9, // सू. 17 // ___वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुव्वं भवइ, अट्ठो / भंते! गिलाणस्स ? से य वएज्जा अट्ठो, से अ पुच्छियब्वो-केवइएणं / अट्ठो? से य वए(इ)ज्जा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, जं से पमाणं वयइ से य पमाणओ पित्तव्वे, से य विनविज्जा, से य विनवेमाणे Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 113 // लभिज्जा, से य पमाणपत्ते होउ अलाहिइय वत्तव्वं, सिआ, से। किमाहु ? भंते!, एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, सिया णं एवं वयंत परो / वइज्जा-पडिगाहेह अज्जो! पच्छा तुमं भोक्खसि वा पा(दा)हिसि / वा, एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए॥ सू.१८(२७०)॥वासावासं पज्जोसविआणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराइं कुलाई कडाइं पत्तियाई थिज्जाइं वेसासियाइं सम्मयाइं। बहुमयाइं अणुमयाइं भवंति, त(ज)त्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए // 113 // Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्थि ते आउसो! इमं वा इमं वा, से किमाहु ? भंते!, सड्डी गिही। गिण्हइ वा, तेणियंपि कुज्जा // सू. 19 // ... ___वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोयरकालंगाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पवि* सित्तए वा, नन्नत्थायरिय-वेयावच्चेण वा एवं उवज्झाय-यावच्चेण वा, तवस्सि-वेयावच्चेण वा, गिलाण-वेयावच्चेण वा, खुड्डुएण वा खुड्डियाएण वा अव्वंजण-जायएण वा // सू.२० // वासावासं पज्जोसवियस्स Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 114 // चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से पाओ निक्खम्म / पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय Mसे य संथरिज्जा, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पज्जोसवितए-से / यनो संथरिज्जा , एवं से कप्पइ दुच्चपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 21 // वासावासं पज्जोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो। गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा / // 114 // Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पविसित्तए वा॥सू. 22 // वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 23 // वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वेवि गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 24 // वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 115 // सव्वाइं पाणगाइं पडिगाहित्तए / वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए ।तंजहाउस्सेइम, संसेइमं, चाउलोदगं 1 / वासावासं पज्जोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तं जहातिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा २।वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-आयामे( मं) वा, सोवीरे(रं) वा, सुद्धवियडे( डं) वा. Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 // वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिण-वियडे पडिगाहित्तए से वि य णं असित्थे नोवि य णं / ससित्थे ४ावासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्स भिक्खुस्स / कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेवि य णं असित्थे नो चेव (नोऽवि य) णं ससित्थे सेवि य णं परिपूए नो चेव णं अपरिपूए, सेवि य णं परिमिए नो चेव णं अपरिमिए, सेवि अ णं बहुसंपन्ने नो चेव णं अबहुसंपन्ने ॥सू. 25 // Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 116 / / वासावासं पज्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोयणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंचभोअणस्स चत्तारि पाणगस्स / 1 / तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायण-मित्तमवि पडिगाहिआ सिआ, * कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पज्जोसवित्तए, नो से / कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा / पविसित्तए वा 2 // सू. 26 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ // 11 // Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं। संनियट्टचारिस्स ए(इ)त्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव / उवस्सयाओ परेणं सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्ट-चारिस्स एत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं सन्नियट्ट-चारिस्स ए(इ)त्तए // सू. 27 // वासावासं पज्जोसवियस्स नो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणग-फुसिय-मित्तमवि वुट्टिकायंसि निवयमाणांस जाव Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 117 // गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 28 (280) // वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ अगिहसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पज्जो- सवित्तए, पज्जोसवेमाणस्स सहसा वुट्टिकाए निवइजा देसं भुच्चा / देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिहित्ता उरंसि वा णं निलिज्जा (निलिज्जिज्जा), कक्खंसि वा णं समाहडिज्जा, अहाछन्नाणि वा / लेणाणि वा उवागच्छिज्जा, रुक्खमूलाणि वा उवागच्छिज्जा, जहा / // 117 // Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से तत्थ पाणिसि दगे वा दगरए वा दगफुसिआ वा णो परियावज्जई // सू.२९॥वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्ग़हियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसियमित्तंपि निवडेइ, नो से कप्पइ गाहावइकुलं / भत्ताए वा पाणाए निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 30 // वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ / वग्घारिय-बुट्टिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख* मित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पइ से अप्पवुट्ठिकायसि संतरुत्तरंस Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 198 // गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा / मूळ // सू. 31 // (ग्रं. 1100) वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गं-वस श्रीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडिआए अणुप्पविट्ठस्स निगिझिय निगिज्झिय बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामसि / / वा, अहे उवस्सयंसि वा, अहे वियडगिहंसि वा, अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए // सू. 32 // तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते / चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिगा // 118 // Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A हित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए // सू. 33 // तत्थ से पुवागमणेणं पुव्वाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए / ॥सू. 34 // तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पुव्वाउत्ताई कप्पंति से . दोवि पडिगाहित्तए / तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पच्छात्ताई, एवं नो - से कप्पंति दोवि पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पुवाउत्ते / N से कप्पइ पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते, * नो से कप्पइ पडिगाहित्तए // सू. 35 // वासावासं पज्जोसवियस्स - Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मृळ // 11 // निग्गथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय निगिज्झिय बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे , आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ पुब्वगहिएणं भत्तपाणेणं| वेलं उवायणावित्तए, कप्पइ से पुव्वामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा / पडिग्गहगं संलिहियं संलिहिय संपमज्जिय संपमज्जिय एगाययं / भंडगं कटु सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से // 11 // Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कप्पइ तं रयाणं तत्थेव उवायणावित्तए // सू. 36 // वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय निगिज्झिय बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा उवागच्छित्तए / सू.३७॥ तत्थ नो से कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य निग्गंथीए एगओ (एगयओ) चिट्टित्तए 1, तत्थ नो कप्पइ एगस्स। निग्गंथस्स दुण्हं निग्गंथीणं एगओ चिट्ठित्तए 2, तत्थ नो कप्पइ / Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 120 // / दुहं निग्गंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए 3, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं दुण्हं निग्गंथीण य एगयओ चिट्ठित्तए 4, अत्थि य इत्थ केइ पंचमे खुड्डए वा खुड्डिया इ वा, अन्नेसि / वा संलोए सपडिदुवारे एवं ण्हं कप्पइ एगयओ चिट्टित्तए / // सू. 38 (290) // वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिए निगिज्झिए बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयांस वा / // 120 // Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य अगारीए / / एगयओ चिट्टित्तए, एवं चउभंगी। अत्थि णं इत्थ केइ पंचमए थेरे / वा थेरिया वा अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे, एवं से कप्पइ एगयओ चिट्टित्तए / एवं चेव निग्गंथीए अगारिस्स य भाणियव्वं // सू. 39 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अपरिग्णएणं अपरिग्णयस्स अट्ठाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा जाव पडिगाहित्तए ॥सू. 40 // से किमाहु Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 12 // भंते ? इच्छा परो अपरिण्णए भुंजिज्जा, इच्छा परो न भुंजिज्जा // सू. 41 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण वा काएणं असणं वा पाणं वा / खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए ॥सू.४२॥ से किमाहु भंते ! सत्त / सिणेहाययणा पण्णत्ता, तं जहा-पाणी 1, पाणिलेहा 2, नहा 3, नहसिहा 4, भमुहा 5, अहरुट्ठा 6, उत्तरोट्ठा 7 / अह पुण एवं / जाणिज्जा-विगओदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पइ असणं / // 12 // Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा 1 पाणं वा 2 खाइमं वा 3 साइमं वा 4 आहारित्तए ॥सू. 43 // वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा / / * इमाइं अट्ठ सुहुमाइं, जाइं छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा / / अभिक्खणं 2 जाणियब्वाइं पासिअव्वाइं पडिलेहियव्वाइं भवंति, * तंजहा-पाणसुहुमं 1 पणगसुहुमं २,बीअसुहुमं ३,हरियसुहुमं 4, पुप्फ सुहुमं 5, अंडसुहुमं 6, लेणसुहुमं 7, सिणेहसुहुमं 8 // सू. 44 // से किं तं पाणसुहुमे ? पाणसुहुमे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा-किण्हे 1, Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 122 // नीले 2, लोहिए 3, हालिद्दे 4, सुकिल्ले 5 / अत्थि कुंथु अणुद्धरी नाम (नाम समुप्पन्ना) जा ट्ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा नो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा अट्ठिया चल-। * माणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जाव छउमत्थेणं निग्गंथेणं वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियब्वा पासियव्वा पडिलेहियव्वा हवइ, से तं पाणसुहुमे १।से किं तं पणगसुहुमे ? पणगसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा // 122 // Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किण्हे, नीले, लोहिए, हालिद्दे, सुकिल्ले / अत्थि पणगसुहुमे तद्दव्व समाण-वण्णे नामं पण्णते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए / / वा जाव पडिलेहिअव्वे भवइ, से तं पणगसुहुमे 2 // से किं तं / बीअसुहुमे ? बीयसुहुमे पंचविहे पण्णते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले। अत्थि बीअसुहुमे कणिया-समाण-वण्णए नामं पन्नत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ, से तं बीअसुहुमे 3 / से किं तं हरियसुहुमे हरियसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ // 123 / / किण्हे जाव सुकिल्ले / अस्थि हरियसुहुमे पुढवी-समाण-वण्णए नाम / पण्णत्ते, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं / जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ, से तं हरिअसुहुमे 4 / से किं तं पुप्फसुहुमे // पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव / सुकिल्ले / अत्थि पुष्फसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे / छउमत्थेणं निग्गंथेणं वा निग्गंथीए वा जाणियब्वे जाव पडिलेहियब्वे भवइ, से तं पुप्फसुहुमे 5 / से किं तं अंडसुहुमे // अंडसुहुमे पंच // 123 // Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विहे पण्णत्ते, तंजहा-उदंसंडे, उक्कलियंडे, पिपीलिअंडे, हलिअंडे, हल्लो। हलिअंडे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ, से तं अंडेसुहुमे 6 / से किं तं लेणसुहुमे // लेणसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उत्तिंगलेणे, भिंगुलेणे, उज्जुए, तालमूलए, संबुक्कावट्टे नाम | पंचमे, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियब्वे जाव। पडिलेहियव्वे भवइ, से तं लेणसुहुमे 7 / से किं तं सिणेहसुहुमे ? सिणेहसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा, हिमए, महिया, करए Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 124 // हरतणुए। जे छउमत्थेणं निग्गंथेणं वा निग्गंथीए वा आभिक्खणं / अभिक्खणं जाव पडिलेहियब्वे भवइ, से तं सिणेहसुहुमे ८॥सू. 45 // वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं / भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं वा पवित्तिं / वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेअयं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउं आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं / / // 124|| Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणिं गणहरं गणावच्छेअयं जं वा पुरओ काउं विहरइ-'इच्छामि णं * भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, ते य से वियरिज्जा एवं से / कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा परि-नि सित्तए वा, ते य से नो वियरिज्जा एवं से नो कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। से किमाहु भंते ! आयरिया पच्चवायं जाणंति // सू. 46 // एवं विहारभूमि वा है। Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रूपमत्र // 12 // वियारभूमि वा अन्नं वा जंकिंचि पओअणं, एवं गामाणुगामं दूइज्जित्तए // सू. 47 // वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं विगई आहारित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं (कट्ठ) विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा / उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ आहारित्तए-' इच्छामि णं भत्ते ! तुब्भेहिं // 12 // Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अब्भणुण्णाए समाणे अन्नयरि विगइं आहारित्तए, तं एवइयं वा / / एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्पइ अण्णयरिं विगई। आहारित्तए, ते य से नो वियरिज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णयरिं / विगइं आहारित्तए, से किमाहु भंते ! आयरिया पञ्चवायं जाणंति / // सू. 48 // वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं / / / तेइच्छियं आउट्टित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं वा / उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पसूत्र मूळ // 126 // पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ. . 'इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अण्णयरिं तेइच्छियं / आउट्टित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिजा एवं / से कप्पइ अण्णयरिं तेइच्छियं आउट्टित्तए, ते य से नो वियरिजा / एवं से नो कप्पइ अण्णयरिं तेइच्छियं आउट्टित्तए / से किमाहु भत्ते ! ? आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥सू. 49 // वासावासं पज्जो // 126 // Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगलं सस्सिरीयं महाणुभावं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, नो से / कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं / गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से / आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं / गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ,- 'इच्छामि णं भंते ! / तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिवं धण्णं Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 127 // मंगलं सस्सिरीयं महाणुभावं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्पइ अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महाणुभावं तवोकम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से नो वियरिज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिवं धण्णं / - मंगलं सस्सिरीयं महाणुभावं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। से किमाहु भंते! ?, आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥सू.५०॥ वासा // 127 // Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिजा अपच्छिम-मारणंतिय-संलेहणाजूसणाजूसिए भत्तपाण-पडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंख माणे विहरित्तए वा निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा असणं वा पाणं वा / खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए वा, उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठावित्तए, सज्झायं वा करित्तए, धम्मजागरियं वा जागरित्तए, नो से कप्पइ पुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं का जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 128 // आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं / वा जं वा पुरओ काउं विहरइ,'इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भगुण्णाए समाणे अपच्छिम-मारणंतिय-संलेहणा-जसणाजसिए भत्तपाण-पडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरित्तए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा / साइमं वा आहारित्तए वा, उच्चारं वा पासवणं, परिठ्ठावित्तए, सज्झायं / वा करित्तए, धम्मजागरियं वा जागरित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो। // 128 // Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्पइ, ते य से नो वियरिज्जा नो / से कप्पइ, से किमाहु भंते! ?, आयरिया पञ्चवायं जाणंति // सू.५१॥ वासावासं पजोसविए भिक्खू इच्छिज्जा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं / वा पायपुंछणं वा अण्णयरिं वा उवहिं आयावित्तए वा पयावित्तए वा, नो से कप्पइ एगं वा अणेगं वा अपडिण्णवित्ता गाहावइकुलं भत्ताए / वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा / खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए, बहिया विहारभूमि वा वियार Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 14 भूमिं वा सज्झायं वा करित्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए। अत्थि य इत्थ केइ अभिसमण्णागए अहासण्णिहिए एगे वा अणेगे वा, कप्पइ से एवं वइत्तए-'इमं ता अज्जो ! तुम मुहुत्तगं जाणेहि / जाव ताव अहं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए / वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए, बहिया विहारभूमिं वियारभूमि सज्झायं वा करित्तए, काउ। स्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए' से य से पडिसुणिज्जा एवं से कप्पइ / 12 // 12 // Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं पाणं खाइमं साइमं आहारित्तए वा, बहिया विहारभूमि वियारभूमि सज्झायं करित्तए वा / से य से नो पडिसुणिज्जा एवं * से नो कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं पाणं खाइमं साइमं आहारित्तए वा, बहिया विहारभूमि वियारभूमि सज्झायं करित्तए वा, काउस्सग्गं वा ठाणं / वा ठाइत्तए // सू. 52 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गं Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 930 #26 // थाण वा निग्गंथीण वा अणभिग्गहिय-सिज्जासणियाणं हुत्तए, / अयाणमेयं, अणभिग्गहिय-सिज्जासणियस्स अणुच्चा-कूइयस्स अणट्ठा-बंधियस्स अमियासणियस्स अणातावियस्स असमियस्स। अभिक्खणं अभिक्खणं अपडिलेहणासीलस्स अपमज्जणासीलस्स / / तहा तहा संजमे दुराराहए भवइ // सू. 53 // अणायाणमेयं अभि* गहिय-सिज्जासणियस्स उच्चाकुइयस्स अट्ठाबंधियस्स मियासणियस्स आयावियस्स समियस्स अभिक्खणं अभिक्खणं पडिलेहणा 10 Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीलस्स पमज्जणासीलस्स तहा तहा संजमे सुआराहए भवइ / // सू. 54 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ उच्चार-पासवणभूमीओ पडिलेहित्तए, न तहा हेमंतगिम्हासु जहा णं वासासु, से किमाहु भंते ! वासासु णं ओसण्णं पाणा य तणा य बीया य पणगा य हरियाणि य भवंति ॥सू.५५॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा / तओ मत्तगाइं गिण्हित्तए, तंजहा-उच्चारमत्तए, पासवणमत्तए, Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र मूळ 132 खेलमत्तए // सू. 56 // वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ 13. निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पज्जोसवणाओ गोलोमप्पमाणमि / त्तेवि केसे तं रयणिं उवायणावित्तए। अज्जेणं खुरमुंडेण वा लुक्कसिरएण वा होइयव्वं सिया। पक्खिया आरोवणा मासिए खुरमुंडे, अद्धमासिए कत्तरिमुंडे, छम्मासिए लोए, संवच्छरिए वा थेरकप्पे // सू.५७॥ / वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं / पज्जोसवणाओ अहिगरणं वइत्तए, जे णं निग्गंथो वा निग्गंथी वा परं / / 1127 // 928 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पज्जोसवणाओ अहिगरणं वयइ, से णं अकप्पेणं “अज्जो !वयसीत्ति” वत्तव्वेसिया,जेणं निग्गंथो वा निग्गंथीवापरं पज्जोसवणाओअहिगरणं वयइ,से णं निजहियव्वे सिया॥ सू. 58 // वासावासं पज्जोसवियाणं / इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अज्जेवकक्खडे कडुए वि(बु)ग्गहे समुप्पज्जित्था सेहे राइणियं खामिज्जा, राइणिएवि सेहं खामिज्जा (ग्रं. 1200) खमियव्वं खमावियव्वं उवसमियव्वं उवसमावियव्यं सुमइ-संपुच्छणा-बहुलेणं होयव्वं / जो उवसमइ तस्स अत्थि आराहणा, Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 कल्पसूत्र जो न उवसमइ तस्स नत्थि आराहणा,तम्हाअप्पणा चेव उवसामयव्वं, मूळ से किमाहु भंते ! उवसमसारं खु सामण्णं ॥सू. 59 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ उवस्सया / * गिण्हित्तए, तंजहा-वेउब्बिया पडिलेहा साइज्जिया पमज्जणा ॥सू. 60 // वासावासं पज्जोसवियाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा / कप्पइ अण्णयरिं दिसि वा अणुदिसि वा अवगिज्झिय भत्तपाणं गवेसित्तए / से किमाहु भंते ! उस्सण्णं समणा भगवंतो वासासु रिटा 42 Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तवसंपउत्ता भवंति, तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छिज्जा वा पवडिज्ज वा, तमेव दिसं वा, अणुदिसं वा समणा भगवंतो पडिजागरंति / / // सू. 61 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा गिलाणहेउं जाव चत्तारि पंच जोयणाई गंतुं पडिनियत्तए, अंतरावि से कप्पइ वत्थए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवायणावित्तए // सू. 62 // इच्चेयं संवच्छरिअं थेरकप्पं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहा Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र 133 तच्चं सम्मं काएण फासित्ता पालित्ता सोभित्ता तीरित्ता किट्टित्ता / आराहित्ता आणाए अणुपालित्ता अत्थेगइआ समणा निग्गंथा तेणेव / भवग्गहणेणं सिझंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करिंति, अत्थेगइआ दुच्चेणं भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिंति, अत्थेगइया तच्चेणं भवग्गहणेणं जाव अतं करिंति, सत्तट्ठभवग्गहणाई नाइक्कमंति // सू. 63 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे रायगिहे नगरे Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुणसिलए चेइए, बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्झगए चेव एवमाइक्खइ, एवं भासइ, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइ, पज्जोसवणाकप्पो नामं अज्झयणं सअटुं सहेउअं सकारणं ससुत्तं सअत्थं सउभयं सवागरणं भुज्जो भुज्जो उवदंसेइ त्ति बेमि // सू. 64 // इति सामाचारीनामकं तृतीयं वाच्यम् // 3 // इति पज्जोसवणाकप्पं नाम दसासुअक्खंधस्स अट्टम Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्पसूत्र // 13 // मज्झयणं समत्तं // (ग्रंथाग्रं 1215) PN-********************* है // श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामिविरचितं श्रीमद्ददशाश्रुतस्कन्धान्तर्गत श्री कल्पसूत्रं . (बारसासूत्रं ) समाप्तम् // CICICICNICNICIRCreChoreCHECCANCR ॥श्री तपागच्छ-गगनाङ्गण-दिनमणि-पन्न्यासप्रवर-श्री बुद्धिविजय-गणिवर-पादाम्बुज-भृङ्गायमान-पन्न्यास-श्रीमदाणंदविजयगणिवर-चरणचन्द्रचकोर-मुनिप्रवर-श्रीहर्षविजय-मुनीन्द्राङ्घि-सरसिरुह-मानस-राजहंस-तपोमूर्ति-जैनाचार्य-श्रीमद्विजय कर्पूरसूरीश्वर-पट्टधर-शासनप्रतिवादीभकण्ठीरव-हालारदशोद्धारक कविरत्नाचार्यदेव-श्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-चञ्चच्चरणचश्चरीकपन्न्यास-श्रीजिनेन्द्रविजय-गणिवर-संशोधित-सम्पादित-श्रीमदागम-सुधा-सिन्धौ श्रीमत्कल्पसूत्राख्य एकादशमो विभागः समाप्तः॥ 12