________________ कल्पसूत्र // 112 // दावे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए // सू. 14 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुवं भवइ-पडिगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ / दावित्तए ॥सू. 15 // वासावासं पज्जोसवियाणं अत्यंगइयाणं एवं / / वृत्तपुव्वं, भवइ दावे भंते ! पडिगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तएवि पडिगाहित्तएवि ॥सू. 16 // वासावासं पजोसवियाणं नो / कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरो(रु)ग्गाणं // 112 //