________________ कल्पसूत्र मळ // 83 // जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइकते। पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१६॥सू. 189 // धम्मस्स णं / अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाइं विइकताई, पन्नडिं च, सेसं जहा मल्लिस्स // 15 // 190 // | अणंतस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरो वमाइं विइकंताई, पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स १४॥सू. 191 // || विमलस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरो // 8 //