________________ कल्पसूत्र मूळ // 123 / / किण्हे जाव सुकिल्ले / अस्थि हरियसुहुमे पुढवी-समाण-वण्णए नाम / पण्णत्ते, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं / जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ, से तं हरिअसुहुमे 4 / से किं तं पुप्फसुहुमे // पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव / सुकिल्ले / अत्थि पुष्फसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे / छउमत्थेणं निग्गंथेणं वा निग्गंथीए वा जाणियब्वे जाव पडिलेहियब्वे भवइ, से तं पुप्फसुहुमे 5 / से किं तं अंडसुहुमे // अंडसुहुमे पंच // 123 //