________________ कल्पसूत्र मळ // 20 // तारिसगसि वासघरंसि सयणिज्जंसि सालिंगण-वट्टिए, उभओ बिब्बोअणे, उभओ उन्नए, मज्झे णयगंभीरे, गंगा-पुलिण-वालुआ-उद्दालसालिसए, उवचिअ-खोमिअ-दुगुल्लू-पट्ट-पडिच्छन्ने, सुविरइअ-रयत्ताणे, रत्तंसुअ-संवुडे, सुरम्मे, आइण-गरूअ-बूर-नवणीय-तूल-तुल्ल-फासे, सुगन्ध-वर-कुसुम-चुन्न-सयणोवयार-कलिए, पुवरत्ता-वरत्त-कालसमयांसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी ओहीरमाणी इमे एयारूवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तं जहा-गय 1 // 20 //