________________ // 72 // कल्पसूत्र सेणस्स रण्णो वामाए देवीए पुवरत्तावरत्त-कालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवकंतीए (ग्रंथाग्रं 700) भववकतीए सरीरवक्कंतीए कुच्छिसि गब्भताए वक्ते // सू. 149 // पासे णं / अरहा पुरिसादाणीए तिन्नाणोवगए आवि हुत्था, तंजहा-चइस्सामि / / त्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमि त्ति जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविण-दसण-विहाणेणं सव्वं जाव निअगं गिहं अणुपविट्ठा, जाव सुहंसुहेणं तं गम्भं परिवहइ // सू. 150 // // 72 //