________________ कल्पसूत्र सुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए सुह-परिक्कम- मूळ गाए संबाहणाए संवाहिए समाणे, अवगय (खेय) परिस्समे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ ॥सू.६१॥ अट्टणसालाओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता / समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्त-मणिरयण-कुट्टिमतले रमणिज्जे न्हाणमंडवांस, नाणा-मणिरयण-भत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनि-३