________________ कल्पसूत्र // 120 // / दुहं निग्गंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए 3, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं दुण्हं निग्गंथीण य एगयओ चिट्ठित्तए 4, अत्थि य इत्थ केइ पंचमे खुड्डए वा खुड्डिया इ वा, अन्नेसि / वा संलोए सपडिदुवारे एवं ण्हं कप्पइ एगयओ चिट्टित्तए / // सू. 38 (290) // वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिए निगिज्झिए बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयांस वा / // 120 //