________________ कल्पसूत्र // 67 // महावीरस्स संख-सयग-पामोक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणहिँ च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 135 // / समणस्स भगवओ महावीरस्स सुलसा-रेवई-पामोक्खाणं समणोवासियाणं तिनि सयसाहस्सीओ अट्ठारस-सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था // सू. 136 // समणस्स भगवओ महावीरस्स तिनि सया चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं // 67)