________________ कल्पसूत्र 95 // अवसेसा गणहरा निरवच्चा वुच्छिन्ना ॥सू. 4 // समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं / समणस्स णं भगवओ महावीरस्स कासवगुत्तस्स अज्जसुहम्मे थेरे अंतेवासी अग्गिवेसायणगुत्ते 1 / थेरस्स णं अज्जसुहम्मस्स अग्गिवेसायणगुत्तस्स अज्जजंबूनामे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते / णं 2 / थेरस्स णं अज्जजंबूणामस्स कासवगुत्तस्स अज्जप्पभवे थेरे। अंतेवासी कच्चायणसगुत्ते 3 / थेरस्स णं अज्जप्पभवस्स कच्चायणसगुत्तस्स अज्जसिजंभवे थेरे अंतेवासी मणगपिया वच्छसगोत्ते ४।थेरस्स। // 9 //