________________ कल्पसूत्र // 50 // मुक्क-पुप्फ-पुंजोवयार-कलियं, कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-डज्झंतधूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगन्धवर-गंधियं गंधवट्टि-भूयं नडनट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्टिय-वेलंबग-पवग-कहग-पाढग-लासग-आर-1 क्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-अणेग-तालायराणुचरियं करेह, कारवेह, करित्ता कारवित्ता य जूयसहस्सं मुसलसहस्सं च / / उस्सवेह, उस्सवित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥सू.१००॥ तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा।