________________ कल्पसूत्र // 114 // चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से पाओ निक्खम्म / पुवामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय Mसे य संथरिज्जा, कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तटेणं पज्जोसवितए-से / यनो संथरिज्जा , एवं से कप्पइ दुच्चपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा // सू. 21 // वासावासं पज्जोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति दो। गोयरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा / // 114 //