________________ कल्पसूत्र // 23 // गि, हार-विरायंत-कुंदमाल-परिणद्ध-जलजलिंत-थणजुअलै-विमल। कलसं, आइअ-पत्तिअ-विभूसिएणं सुभग-जालुज्जलेणं मुत्ता-कलावएणं उरत्थ-दीणार-माल-विरइएणं कंठमणि-सुत्तएण य कुंडलजुअलुल्लसंत--अंसोवसत्त--सोभंत-सप्पभेणं सोभागुण-समुदएणं / आणण-कुडुबिएणं कमलामल-विसाल-रमणिज्ज-लोअणिं, कमलपज्जलंत-कर-गहिअ-मुक्क-तोयं, लीलावाय-कयपक्खएणं सुविसद*कसिण-धण-सह-लंबंत-केसहत्थं, पउमदह-कमल-वासिणिं, सिरिं, // 23 //