________________ |तरं चयं, चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवा(वी)ए भारियाए पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयसि आहारवकंतिए जाव गब्भत्ताए वकंते ॥सू. 205 // | उसमे णं अरहा कोसलिए तिन्नाणोवगए आवि होत्था, तंजहाचइस्सामि त्ति जाणइ जाव सुविणे पासइ, तंजहा-गयवसह जाव / सिहिं च // गाहा / सव्वं तहेव, नवरं पढमं उसभं मुहेणं अइंतं / |पासइ सेसाओ गयं, नाभिकुलगरस्स साहेइ, सुविणपाढगा नत्थि,