________________ कल्पसूत्र 190 // स्सीओ पंचसहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ॥सू. 215 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स सुभद्दा-पामुक्खाणं / समणोवासियाणं पंचसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उक्कोसिया / समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥सू. 216 // उसभस्स णं अरहओ। कोसलिअस्स चत्तारि सहस्सा सत्तसया पण्णासा चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं जाव उक्कोसिया चउद्दसपुग्विणं संपया हुत्था ॥सू. 217 // उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स नव सहस्सा | // 20 //