________________ // 8 // चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे, तस्स णं आसाढसुद्धस्स अट्ठमीपक्खे णं उप्पिं उज्जित-सेलसिहरंसि पंचहिं छत्तीसेहिं अण* गारसएहिं सद्धिं मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चित्ताहिं (चित्ता-) नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि नेसज्जिए / कालगए (ग्रंथाग्रं 800) जाव सव्व-दुक्ख-प्पहीणे ॥सू. 182 // अरहओ णं अरिट्टनेमिस्स कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स | चउरासीइं वाससहस्सा विइकताई, पंचासीइमस्स वाससहस्स नव // 8 //