________________ कल्पसूत्र // 60 // इव गुत्तिदिए, खग्गिविसाणं व एगजाए, विहग इव विप्पमुक्के, भारंडपक्खीव अप्पमत्ते, कुंजरो इव सोंडीरे, वसहो इव जायथामे, सीहो / इव दुद्धरिसे, मंदरो इव अप्पकंपे (निकंपे, अकंपे), सागरो इव गंभीरे, चंदो इव सोमलेसे, सुरो इव दित्ततेए, जच्चकणगंव्व जायसवे, वसुंधरा / इव सव्वफासविसहे, सुहुयहुयासणो इव तेयसा जलंते, इमेसिं पयाणं / / दुनि-संगहिणी-गाहाओ-कंसे संखे जीवे, गगणे वाऊ अ सरयसलिले अ। पुक्खरपत्ते कुम्मे, विहगे खग्गे अ भारंडे // 1 // कुंजरवसहे सीहे, // 30 //