________________ कल्पसूत्र // 24 // वियत्ते भारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अजसुहम्मे अग्गिवेसायणगुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडियपुत्ते वासिट्ठगुत्तेणं अछुट्टाई समणसयाई वाएइ, थेरे मोरियपुत्ते कासवगुत्तेणं / अछुट्टाइं समणसयाइं वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गुत्तेणं, थेरे अयलभाया हारियायणे गुत्तेणं, ते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाइंति, थेरे मेयज्जे, थेरे पभासे, एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्ना गुत्तेणं / तिणि तिण्णि समणसयाई वाइंति, से तेणटेणं अज्जो ! एवं वुच्चइ // 14 //