________________ // 4 // कल्पसूत्र / अणंते अणुत्तरे जाव केवल-वर-नाणदंसणे समुप्पन्ने जाव जाणमाणे मूळ पासमाणे विहरइ॥सू. 158 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स N अट्ठ गणा, अट्ठ गणहरा हुत्था, तंजहा-सुभे य 1 अज्जघोसे य 2, वसिढे 3 बंभयारि य 4 / सोमे 5 सिरिहरे 6 चेव, वीरभद्दे 75 जसेवि य 8 // सू. 159 // पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स / / अज्जदिण्ण-पामुक्खाओ सोलस समण-साहस्सीओ उक्कोसिआ समण-संपया हुत्था ॥सू. 160 // // 7 //