________________ कल्पसूत्र // 27 // तिलिया-भिघाय-कप्पूर-फेण-पसरं, महानई-तुरिय-वेग-समागय भम-गंगावत्त-गुप्पमाणुच्चलंत-पच्चोनियत्त-भममाण-लोल-सलिलं, * पिच्छइ, खीरोय-सायरं सारय-रयणिकर-सोमवयणा 11 // सू.४३॥ तओ पुणो तरुण-सूर-मंडल-समप्पहं, दिप्पमाण-सोहं उत्तमकंचण-महमणि-समूह-पवर-तेय-अट्ठसहस्स-दिप्पंत-नहप्पईवं, कणगपयर-लंबमाण-मुत्तासमुज्जलं, जलंत-दिव्वदामं, ईहामिग-उसभतुरग-नरमगर-विहग-वालग-किंनर-रुरु–सरभ-चमर-संसत्त-कुंजर // 27 //