________________ कल्पसूत्र // 72 // ॥सू. 152 // सेसं तहेव, नवरं पासाभिलावेणं भाणिअव्वं, जाव तं होउ णं कुमारे पासे नामेणं ॥सू. 153 // पासे णं अरहा पुरिसादापीए दक्खे, दक्खपइन्ने, पडिरूवे, उल्लीणे, भद्दए, विणीए, तीसं / वासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता पुणरवि लोयंतिएहिं जिअकप्पेहिं / / देवेहिं ताहिं इट्टाहिं जाव एवं वयासी ॥सू. 154 // जय जय नंदा, जय जय भद्दा; जाव जय-जय-सदं पउंजंति // सू. 155 // पुविपि णं पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्य माणुस्सगाओ // 72 //