________________ कल्पसूत्र मू. // 6 // सूत्र / वा, अयणे वा, संवच्छरे वा, अन्नयरे वा दीहकालसंजोए, भावओ णं कोहे वा, माणे वा, मायाए वा, लोभे वा, भए वा, हासे वा, पिज्जे / वा, दोसे वा, कलहे वा, अब्भक्खाणे वा, पेसुन्ने वा, परपरिवाए वा, अरइरई वा, मायामोसे वा जाव मिच्छादसणसल्ले वा, (ग्र० 600) * तस्स णं भगवंतस्स नो एवं भवइ ॥सू. 117 // से णं भगवं वासावासवज्जं अट्ठ गिम्हहेमंतिए मासे गामे एगराइए नगरे पंचराइए। |वासीचंदण-समाणकप्पे समतिण-मणि-लेठ्ठ-कंचणे, समसुहदुक्खे // 6 //