________________ / प्रकाशकीय निवेदन cccccccOCOD0D अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीमदागमसुधासिन्धु अग्यारमो विभाग मूल प्रगट करतां आनंद अनुभवीए डीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानें काम इ.रू करतां आ ग्रन्थ सारा आर्ट पेपरमां नागरी लिपी अने 36 पोइन्ट मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्व श्री आगम सुधा सिन्ना पहेलो, बीजो, चौथो, आठमो, बारमो, तेरमो, चौदमो, एम सात विभाग प्रगट थई गया छे. हाल त्रिजा अने छट्ठा विभाग मुद्रग चाली रह्यु छे. आ ग्रन्थन संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू. पंन्यासी जिनेन्द्रविजयजी गगिवरे घणी खंत थी करेल छे. भारे आर्ट कागल, 36 पोइन्ट टाइपमां छपाइ आदिना, कारणे खर्च धार्या करतां बयु थयु छे, मोटा टाउपमां मुद्रित करतां पेज पण बधारे थया छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे, आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलबासी सुविहित मुनिओ छे, ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ इरुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. आ अग्यारमा विभागमा श्री कल्पसूत्र प्रगट थाय छे. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमा श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदनुतरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा मूत्र तैयार थइ गया छे. मुद्रण माटे श्री साईनाय टाईपोग्राफीना व्यवस्थापके सारी खंत राखी छे ते माटे तेमनो आभार मानी श्री. वीर संवत् 2502 वि० स. 2032 श्रावण सुद 6 रविवार ता. 1-8-76 महेता मगनलाल चत्रभुज, शाह कानजी हीरजी प्रकाशकोच निवेदन