________________ कल्पसूत्र मूळ // 22 // पुन्न-विमल-खंध, मिउ-विसय-सुहुम-लक्खणपसत्थ-विच्छिन्न-केसराडोव-सोहिअं. ऊसिअ-सुनिम्मिअ-सुजाय-अप्फोडिअ-लंगृलं, सोम, सोमाकारं, लीलायंतं, नहयलाओ ओवयमाणं, नियग-वयण-मइवयंत, पिच्छइ, सा गाढ-तिक्खग्ग-नहं, सीहं वयण-सिरी-पल्लव-पत्त। चारु-जीहं 3 // सू. 35 // तओ पुणो पुन्नचंद-वयणा उच्चागय-ट्ठाण-लट्ठ-संठिअं, पसत्थरूवं, सुपइट्ठिअ-कणगमय-कुम्मसरिसोवमाण-चलणं, अच्चुण्णय // 22 //