________________ कल्पसूत्र मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवर-गंधियं गंधवट्टि-भूयं करेह, कारवेह, करित्ता य कारवित्ता य सिंहासणं रयावेह, रयावित्ता मम Mएयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह // सू. 58 // | तए णं ते कोडुंबिय-पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठ-तुट्ठ जाव हियया करयल जाव कटु एवं सामि त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया // 33 //