________________ कल्पसूत्र // 32 // त्तरेणं सच्चसंजम-तव-सुचरिय-सोवचिय-फल-निव्वाणमग्गेणं, अप्पाणं भावेमाणस्स दुवालस संवच्छराइं विइक्कंताई, तेरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे, चउत्थे पक्खे, वइसाहसुद्धे तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरीसीए अभिनिविट्टाए पमाणपत्ताए सुव्वएणं दिवसेणं, विजयेणं मुहुत्तेणं जंभियगामस्स नगरस्स बहिया उज्जुवालियाए नईए तीरे वेयावत्तस्स चेइयस्स अदूरसामंते सामागस्स गाहावइस्स // 32 //