________________ कल्पसूत्र वित्तए ॥सू.८(२६०)॥ // 111 // | वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा / सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं / / अहालंदमवि ओग्गहे // सू. 9 // वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ / निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सवओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए॥सू. 10 // जत्थ नई निच्चोयगा निच्चसंदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए / // 11 //