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तो विद्वान पाठक क्षमा करते हुए स्वयं सुधार करलें और हमें सूचित करने की अवश्य कृपा करें, जिससे अगले संस्करण में त्रुटियों को दूर करके ग्रन्थ को विशुद्ध रूप में प्रस्तुत कर सकें । ज विद्वान भ० महावीर, जैनधर्म तथा जैन इतिहास के विषय में अपन खोजपूर्ण विचार हिन्दी या अंग्रेजी में ३१ दिसम्बर १९५४ तक हमें भेज देंगे, उन्हें वह संशोधित एवं परिवर्द्धित संस्करण भी बिना मूल्य भेंट किया जायेगा ।
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हमने किसी की चापलूसी या सांसारिक स्वार्थ के लिये इस पुस्तक को नहीं लिखा और न इसे बेच कर जीविका प्राप्त करने का विचार है। देश-विदेश तथा जैन- अजैन सब की हिंसा में रुचि उत्पन्न कराने तथा चारित्र बल और आत्मिक शक्ति को दृढ़ बनाने के लिये हमने कुछ साधारण प्रतिज्ञाएँ इस पुस्तक के अन्तिम पृष्ठ ५२८ पर दी हैं, जो सभी देश तथा धर्म वालों को अपने जीवन में उतारने के लिये बड़ी उपयोगी हैं। कम-से-कम एक वर्ष के लिये उन्हें अपनाने वालों को यह ग्रन्थ बिना मूल्य भेंट किया जारहा है ।
हमें आशा है कि जिस प्रकार देश के पिता श्री महात्मा गाँधी जी ने जैन सिद्धान्तरूपी सूर्य की केवल एक अहिंसारूपी किरण . की झलक दिखा कर भारत के पराधीनतारूपी अन्धकार को नष्ट कर दिया, उसी प्रकार जैनधर्म के दूसरे सिद्धान्तों को भी परख और उन पर आचरण करके विद्वान संसार के भेदभावों को मेट देंगे और जिस प्रकार भगवान महावीर के चारित्र से प्रभावित होकर उनके समय के पीड़ित प्राणियों ने सुख प्राप्त कर लिया था, उसी प्रकार उनके जीवन चरित्र से आज का दुखी संसार सच्ची शान्ति प्राप्त कर सकेगा ।
कुज्जात स्ट्रीट, सहारनपुर
दिगम्बरदास जैन
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