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विश्राम के लिए देश में
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कृतकृत्य तीर्थंकर की चैत्य (ज्ञांना वृक्षकी प्रदक्षिणा और तीर्थ को नमस्कार
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तीर्थकर के बाद गणधर की देशना
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દેતા ભગવાન
૪૧ : અંતિમભવ અને પોતે કૃતકૃત્ય હોવા છતાં જેની નીચે કેવળજ્ઞાન થયું તે પવિત્ર વૃક્ષને પ્રદક્ષિણા
४१: अंतिमभव और स्वयं कृतकृत्य होने पर भी जिसके नीचे केवलज्ञान प्राप्त हुआ उस पवित्र पेडकी प्रदक्षिणा देते हुए भगवान
Jain Education Intela Bhagavan even being omniscient walking round the holy tree under which he achieved the purest spiritual knowledgeww.jainelibrary.org