Book Title: Tirthankar Bhagawan Mahavir 48 Chitro ka Samput
Author(s): Yashodevsuri
Publisher: Jain Sanskruti Kalakendra

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Page 186
________________ ८० चित्रपट्टियोंकी अनुक्रमणिका १. धर्मचक्र वंदना ६. चौदह वन ७. सात स्वर ८. बारह राशियों (ज्योतिष पट्टी) १२. जीवविचार १४. बाययंत्रके प्रकार ३. अष्टमंगल ४. आचार्यश्रीका नगर ५. विविध लिपियों और अंक प्रवेश (१२ वी शताब्दी) ९. अष्टप्रकारी पूजा | १०. भगवान महावीर के । ११. टिप्पणी नृत्य जीवन प्रसंग (गुजराती पद्धति | १५. जिन परिकर (परघर) | १६. जिन परिकर १७. जिन परिकर (उपरका भाग) (मध्य भाग) (नीचेका गादीका भाग) २१. सोलह विद्यादेवियाँ २२. सोलह विद्यादेवियाँ २३. पशुषित्र (१ से ८) (९ से १६) २७. अष्टमंगल २८. हस्तमुद्राएँ २९. अष्टांग योग १३. धर्मप्रवचन (१२ वीं शताब्दी) १९. शिल्याकृति (अम्बिका मक्ति) १८. स्वस्तिक (साथिया) २०. शिल्प कलाकृति २४. देश विक्पाल देव २५. नवग्रह २६. अष्टकर्म ३०. अष्टमहापातिहार्य ३१. समवसरण गढ पहला | ३२. समवसरण गढ दूसरा | ३३. अष्टमंगल ३४. यत्राकृतियाँ ३५. मानव गर्भकी ३६. विक्यि कटमें (बारह प्रकारकी पर्षदा) पशु-पक्षियों की सभा विकास यात्रा ३७. नवरसोत्यावक चित्र | ३८. नवरसदर्शन ३९. आवों द्वारा जप पद्धति | ४०. अंक द्वारा जप ४१. क्षमायाचना ४२. बारह आगमशास्त्र पद्धति (अनानुपूर्वा) (मिच्छामि दुक्कह) (द्वादशांगी) ४३. प्रचलित ४५ ४४. नवग्रहोंका परिचय ४५. जैनधर्म प्रसिद्ध ४६. विविध प्रकारके ४७. भारतके छः धर्म, उनकी ४८. हाथीका जुलूस आगमशास्त्र और उनके उपयोग सात क्षेत्र नमस्कार जनसंख्या और प्रार्थना (ज्ञानयात्रा) ४९. से ५४. २४ तीर्थंकरों | ५५. एकेन्द्रिय जीवोंक ५६. दो इन्द्रियसे लेकर ५७ से १२, २४ तीर्थकरोंके पक्ष-६३ से६८. २४ तीर्थकरों के यक्ष-६९. अन्य यश-देव के यम-यक्षिणियोंका स्वरूप प्रकार पंचेन्द्रिय जीवोंके प्रकार | यक्षिणियोंकी छ: पट्टियाँ (श्वे. मत) यक्षिणियोकी छः पट्टियाँ (दि. मत) (श्वे, दि.) ७०-७१.१ से १६ विद्या-७२-७३, १ से १६ विद्या-७४. नेमिनाथका व्यक्त ७५. नेमिनापका जन्म | ७६. देवलोककी पट्टी ७७. २४ तीर्थकरोंके देवियों (श्वे. मत) | देवियों (दि. मत) | और चौदह स्वन और दीक्षा प्रसंग लाठन (श्वे. मत) ७८. २४ तीर्थकरोंके ७९. जैन जयति ८०. प्रवचन की विविध लांछन (दि. मत) | मुद्राएँ (मुखपृष्ठ परकी पट्टी) १४४ प्रतीकोंकी अनुक्रमणिका | २. कलया १०. डह ११. कमल ७. औं ही आँ (गोलाकारमे) ८. औं हाँ अहं (लम्बगोलाकारमें) ९. हे १३. मालाचारी देव १४. विघाघर देव १५. अश्व १६. सिंह १७. सिंहगजमुख १८. पृथम (बैल) २४. वायवादक नारी १९. प्रांश तथा मैगीरे २०. शहनाई वादन २१. नगाडावादन २२. मृदंगवादक २३. नर्तकी २५. त्रिशला और वर्षमान | २६. आरती २७. दीपक (दीया) | २८. देवी श्री पद्मावती ३०. हंस २९. ऋषभदेव और मुरसका दान ३५. लक्ष्मी २१. मृग संयोजना ३२. मृगयुगल ३३. हंस ३६. सरस्वती ३४. अम्बाइ, अंबिका, अंथा (आमकूष्माण्डिनी) १०. जैन साम्बी-आर्या ३७. जिनमूर्ति ३८. जिनमंदिर ३९. जैन साधु-मुनि ४१. श्रावक-जैन ४२. श्राविका जैन ४३. ज्ञान ४४. नि ४५. चारित्र ४६. अरिहंताकृति ४७. सिद्धाकृति ४८. आचार्य ४९. उपाध्याय ५०. साधु ५१. जैन मुनिके काठपात्र | | ५२. रजोहरण (ओघा), । ५३. चरवली, सूपड़ी, बंडालन, ५४. कटासना, मुंहपत्ती, चरबला | मुँहपत्ती (मुनिके उपकरण) कम्बल (अन्य उपकरण)] (श्रावक, श्राविकाओके उपकरण) | ५६. काउसम्म (कायोत्सर्ग मुद्रा) ५७. जप के लिये माला ५८. पुम्मट (प्रकार-१) ५९. पुमट (प्रकार-२) ६०. पुम्मट (प्रकार-३) ५५. जैन सापु ६१. स्वस्तिक ६२. कलश ६३. एक आकृति ६५. मकर (मगर-विराली) ६६. मकरमुख ६७. छत्रयी ६८. चामर ७०. ठवणी पुस्तक सहित ७२. बाजोठ ७१. स्थापनाचार्य (प्रचलित नाम ठवणी) ७३. प्रवचन मुद्रा ७४. गहा मुद्रा ७८. ऊँ ८०. कलश ७९. नयावर्त, पाँच स्वस्तिकोंके साथ ८१. स्वस्तिक पंचक २. गांधर्व ८३. अरिहंताकृति ८४. वजदण ८५. सूर्य ८६.. का ८७. हंसपुगत ८८. श्रीफल ८९. हलदीपक २०. शतदल कमल ९१. पंचांग प्रणाम ९२. सामायिक (श्रावकका) | १३. सामायिक (श्राविकाका) | ९४. कलश ९६. होमवेदिका ९७. अरिहंत ९८. त्रिल २९. स्वस्तिक १००. सिद्धचक प्रतीक १०१, मत्ययुगल १०२. सिंह १०३. श्री गौतमस्वामीजी १०४. नंधावर्त १०५. कलश १०६ से १४. विविध ____प्रकारके आकृति चित्र Jain Education International 112 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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