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तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान
५ प्रश्नोत्तर सार्धशतक ६ चस्ता रत्नमाला ७ भिक्खु पृच्छा ८ झीणो ज्ञान ९ हरखचन्दजी स्वामी की चर्चा
१० खुलना बोल आदि-आदि बोल थोकड़ा
___ इस विषय में बोल थोकड़ों का भी अपना विशिष्ट महत्त्व है । बोलथोकड़े द्रव्यानुयोग के अन्तर्गत आते हैं । मूल आगमों में इस विषय में जो तात्विक प्रसंग आते हैं उन्हें बोल-थोकड़ों के रूप में संगृहीत कर कंठस्थ करनेकराने की पुष्ट परम्परा जैन सम्प्रदायों में रही है। तेरापंथ में इस संदर्भ में मुनिश्री हेमराज कृत एक पूरी हस्तलिखित पुस्तक थोकड़ों से भरी पड़ी है। पच्चीस बोल अर्थ संग्रह, पानां री चर्चा, गुण ठाणा द्वार, संजया, निमंठा, गमा, इकतीस द्वार, अल्पाबहुत आदि थोकड़े उसमें संग्रहीत हैं।
___ इनके अतिरिक्त आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित पांच भावांरो थोकड़ो तथा तेरह द्वार का थोकड़ा तो तत्त्वज्ञान की दृष्टि से अपूर्व थोकड़े हैं। उनमें सरल विधि से गहन तत्त्वों को अत्यन्त मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाया गया
मुनिश्री हीरालालजी का ५२ बोलांरो थोकड़ा भी बहुप्रचलित थोकड़ा है। चर्चा प्रसंग
सम्प्रदाय के रूप में प्रतिष्ठित होने के लिए तेरापंथ को भनेक चर्चाओं को अनेक घाटियों से होकर गुजरना पड़ता है । यद्यपि चर्चाएं प्रायः जयविजय की भावना पर आधारित होती हैं, पर उन्हें "वादे-वादे जायते तत्त्वबोध'' के रूप में भी लिया जाता है। तेरापंथ के अनेक आचार्यों को चर्चाओं के अखाड़े में उतरना पड़ा है। दूरदर्शिता की बात यह है कि उन्हें लिपिबद्ध करके एक चिरस्थायी रूप प्रदान कर दिया गया है। ऐसी अनेक लिखित चर्चाओं में से कुछ ये हैं
टीकम डोसी की चर्चा जोगां री चर्चा सपनां री चर्चा अल्पमत्यां पर चर्चा मघवागणी की चर्चा चूरू री चर्चा
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