Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 2
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
View full book text
________________
तवाचिन्तामणिः
५३७
नील, पीत, आदि आकारों में व्यापनेवाले एक चित्रज्ञानके दृष्टान्तसे आपके आक्षेपका खण्डन हो
समान समयमें वर्त रहे और एक
1
जाता है । इस उक्त कथनसे यह बात भी कह दी गयी है कि गुणवान् द्रव्यमें व्याप्त हो रहे तथा रूपसे रसका या रससे रूपका अनुमान कर अनुमान अनुमेय के व्यवहारको प्राप्त हुए ऐसे रूप और रसगुणकी भी परस्पर में एकद्रव्य प्रत्यासत्ति है । वैशेषिक इसको एकार्थसमवाय कहते हैं । जैसे एक गुरुके पास पढे हुए दो शिष्यों का परस्पर में गुरुभाईपने का नाता है । या माजाये दो भाइयोंका सहोदरत्व सम्बन्ध है । यदि उन रूप और रसका एकद्रव्य नामका सम्बन्ध नहीं माना जावेगा तो उनमें उस अनुमान अनुमेय व्यवहारकी योग्यता नहीं बन सकती है । एकद्रव्यके रूपसे दूसरे द्रव्यके रसका अनुमान नहीं हो पाता है 1
1
एकसामग्यधीनत्वात्तदुपपत्तिरिति चेत् कथमेका सामग्री नाम ? एकं कारणमिति चेत्, तत्सहकार्युपादानं वा ? सहकारि चेत् कुळालकलशयोर्दण्डादिरेका सामग्री स्यात् समानक्षणयोस्तयोरुत्पत्तौ तस्य सहकारित्वात् । तथा एतयोरनुमानानुमेयव्यवहारयोग्यता अव्यभिचारिणी स्यात् तदेकसामग्र्यधीनत्वात् । एकसमुदायवर्ति सहकारिकारणमेका सामग्री न भिन्नसमुदायवर्ति यतोऽयमतिप्रसंग इति चेत्, कः पुनरयमेकः समुदायः ?
बौद्ध कहते हैं कि रूप और रसकी सामग्री एक रूपस्कन्ध । इस एक सामग्रीके अधीन होनेके कारण रससे रूपका अनुमान या रूपसे रसका अनुमान होनेकी योग्यता बन जायगी । व्यर्थ ही एकद्रव्य क्यों माना जाता है ? बौद्धोंके ऐसा कहनेपर तो हम पूंछेंगे कि दो पदार्थों की सामग्री भी भला एक कैसे हुयी ? बताओ ! इसपर बौद्ध यों कहें कि हम एक कारणको एक सामग्री कहते हैं। इसपर हमारा पूंछना है कि वह कारण क्या सहकारी कारण लिया गया है ? या उपादान कारण पकडा गया है ? यदि सहकारी कारण एक होनेसे दो कार्योंकी एक सामग्री हो जाय, तब तो कुम्भकार और घटकी दण्ड, चक्र, आदि सहकारी कारण भी एक सामग्री हो जावें। क्योंकि समान समयमें परिणमन करते हुए उन कुलाल और घटकी उत्पत्ति में वह दण्ड आदि पदार्थ सहकारी कारण बन रहे हैं। चाकपर दण्डको हाथमें लेकर घटको बना रहे उत्तरवर्त्ती कुलाल और घट दोनोंके सहकारी कारण दण्ड, चक्र हैं और तिस प्रकार उस एक सामग्रकेि अधीन होनेके कारण उन कुलाल और घटकी अनुमान अनुमेयके व्यवहारकी योग्यता भी व्यभिचार - दोषरहित हो जाय । क्योंकि वे दोनों एक सामग्रीके अधीन हैं । भावार्थ – सहकारी कारण एक होनेसे कुलालसे घटका और घटसे कुलालका अनुमान हो जाना चाहिये, जो कि होता नहीं है । इसपर बौद्ध यदि उस गीको डूढें कि एक समुदायमें रहनेवाला सहकारी कारण एक सामग्री है, किन्तु भिन्न समुदाय में रहनेवाला सहकारी कारण एकसामग्री नहीं है, जिससे कि यह अतिप्रसंग होता । अर्थात् घटके बनानेवाला कारणसमुदाय तो कुलालके कारणकूटसे न्यारा है । भिन्न समुदायमें रहनेके कारण ही 1 दण्ड आदिक एक सामग्री नहीं हैं। इसपर तो फिर हमारा प्रश्न है कि यह एक समुदाय भी महा
€8