Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 2
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
View full book text
________________
तत्त्वार्थचिन्तामणिः
६४१
इस उक्त प्रकार सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र, इन तीन स्वरूप मोक्षमार्गका उद्देश कर चुकनेपर पुनः सम्यग्दर्शनके लक्षण और उत्पत्तिके कारणोंका प्रदर्शन करानेवाले दो सूत्रोंका प्रतिपादन कर सात तत्त्व और उनके निक्षेपोंके प्रतिपादक दो सूत्र बनाये । पश्चात् रत्नत्रयके विषयोंको समझानेके लिये कारणभूत और लौकिक शास्त्रीय अनेक नीतियोंसे युक्त यह अनुयोग तीन सूत्रों करके कहा गया है। यह उमास्वामी महाराजके आठ सूत्रोंका. संक्षिप्त वर्णन है । सूत्रोंकी संगतिका संदर्भ प्रशंसनीय है।
इति तस्वार्थश्लोकवार्तिकालंकारे प्रथमस्याध्यायस्य द्वितीयमाहिकम् । इसमकार श्रीमहर्षि विद्यानंद स्वामिके द्वारा विरचित तत्वार्थ-श्लोकवार्तिकालंकार नामके महान् ग्रंथमें पहिले अध्यायका दूसरा आन्हिक
समाप्त हुआ। .
-
--
-
-