Book Title: Sthanang Sutram Part 01
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-१ // 143 // दो देवकुरुमहदुमवासी देवा दो उत्तरकुराओ दो उत्तरकुरुमहद्दुमा दो उत्तरकुरुमहद्दुमवासी देवा दो चुल्लहिमवंता दो महाहिमवंता दो निसहा दो नीलवंता दोरुप्पी दो सिहरी दोसद्दावाती दोसद्दावातवासीसाती देवा दो वियडावाती दो वियडावातिवासी पभासा देवा दो गंधावाती दो गंधावातिवासी अरुणा देवा दो मालवंतपरियागादो मालवंतपरियागावासी पउमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा दो पम्हकूडा दो नलिणकूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकूडा दो अंजणा दो मातंजणा दो सोमणसा दो विजुप्पभा दो अंकावती दो पम्हावती दो आसीविसा दो सुहावहा दो चंदपव्वता दो सूरपव्वता दोणागपव्वता दो देवपव्वया दो गंधमायणा दो उसुगारपव्वया, दो चुल्लहिमवंतकूडा दो वेसमणकूडा दो महाहिमवंतकूडा दो वेरुलियकूडा दो निसहकूडा दो रुयगकूडा दो नीलवंतकूडा दो उवदसणकूडा दो रुप्पिकूडा दो मणिकंचणकूडा दो सिहरिकूडा दो तिगिच्छिकूडा दो पउमद्दहा दो पउमद्दहवासिणीओ सिरीदेवीओ दो महापउमहहा दो महापउमद्दहवासिणीओ हिरीतो देवीओ एवं जाव दो पुंडरीयद्दहा दो पोंडरीयद्दहवासिणीओलच्छीदेवीओ, दो गंगापवायदहा जावदोरत्तवतिपवातद्दहा दोरोहियाओजावदोरुप्पकूलातो दो गाहवतीओ दो दहवतीओ दो पंकवतीओ दो तत्तजलाओदो मत्तजलाओ दो उम्मत्तजलाओ दोखीरोयाओदो सीहसोताओदो अंतोवाहिणीओ दो उम्मिमालिणीओ दो फेणमालिणीओदो गंभीरमालिणीओदो कच्छा दोसुकच्छा दो महाकच्छा दो कच्छगावती दो आवत्ता दो मंगलावत्ता दो पुक्खला दो पुक्खलावई दो वच्छा दोसुवच्छा दो महावच्छा दो वच्छगावती दो रम्मा दोरम्मगा दोरमणिज्जादो मंगलावती दो पम्हा दो सुपम्हा दो महपम्हा दो पम्हगावती दो संखा दोणलिणा दो कुमुया दो सलिलावती दो वप्पा दो सुवप्पा दो महावप्पा दो वप्पगावती दो वगू दो सुवग्गू दो गंधिला दो गंधिलावती 32 दो खेमाओ दो खेमपुरीओ दो रिट्ठाओ दो रिट्ठपुरीओ दो खग्गीतो दो मंजुसाओ दो ओसधीओ दो पोंडरिगिणीओ दो सुसीमाओ दो कुंडलाओ दो अपराजियाओ दो पभंकराओ दो द्वितीयमध्ययन द्विस्थानम्, तृतीयोद्देशकः सूत्रम् |91-93 वेदिकोच्चत्वम्, धातकीपूर्वापरार्द्धयोः पदार्थद्वयम्, कालोदवेदिकोच्चत्वम्, पुष्करार्द्धद्वये क्षेत्रादिद्विकम् // 1 3 //