________________
| अर्थ-हवे ते पुरुष श्रीपाल कुंवरने विनवे डे के हे महाराज ! था ( सुरंग के०) सुशोनित | एवो रत्न नामे छीप बे, शहां रत्नसानु नामे पर्वत , ते केवो ? तो के (वलयाकार के०) गोला-15 कारे , वली (उत्तंग के० ) जंचो बे. हे प्रजु ! था हुँ जे वात कहुं हुं ते मारी वात तमे चित्तमां धरीने एकाग्र चित्ते (अवधारो के० ) धारण करो ॥ १॥
रतनसंचया तिहां वसे जी, नयरी परवत मांद॥ कनककेतु राजा तिहां जी, विद्याधर नरनाद ॥ प्रनु०॥॥रतन जिसी रलियामणी जी, रतनमाला तस नार॥सुरसुंदर सोहामणा जी, नंदन ने तस चार ॥ प्रनु०॥३॥ ते जपर एक श्बतां जी, पुत्री हुश्गुणधाम ॥रूप कला रति आगली जी, मदनमंजूषा नाम॥प्रनु०॥४॥पर्वत शिर सोदामणो.जी,तिहां एक जिन
प्रासाद ॥ रायपिताए करावीयो जी, मेरुशुं मंडे वाद ॥प्रनु० ॥ ५॥ अर्थ-तिहां ते पर्वत मांहे रत्नसंचया नामे नगरी वसे बे, तिहां कनककेतु नामे राजा राज्य है करे , ते विद्याधर राजानो ( नरनाह के ) स्वामी ॥२॥ ते राजाने रत्न जेवी रलियामणी12 | रत्नमाला नामे पट्टराणी , तेने ( सुरसुंदर के०) देवताना पुत्रनी परे सुंदर सोहामणा एवा चार 3 पुत्र . तेनां नाम कहे जे. एक कनकप्रन, वीजो कनकशेखर, त्रीजो कनकध्वज अने चोथो| कनकरुचि. ए चारेनां नाम श्रीपाल चरित्रमा लख्यां ॥३॥ ते चार पुत्रनी उपरे श्वतां थका रूप, कला अने रतिए करी (आगली के० ) वधे एवी जोवा योग्य अने गुणनुं (धाम के०) स्थानकरूप एक पुत्री थ. तेनुं मदनमंजूषा एवं नाम ॥४॥ हवे ए पर्वतना (शिर के 13 शिखर उपर मस्तकरूप घणोज सोहामणो शोजितो मननो हरनार अने राजाना पितानो करा
Sain Education International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org