Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 368
________________ श्री०रा० ॥१८२॥ पटदेवी परिवार अन्य, साथै अविड राग ॥ राधे सिधचक्रने, पामे नवजल ताग ॥ ६ ॥ त्रिभुवनपालादिक तनय, मयणादिक संयोग ॥ नव निरुपम गुणनिधि हुआ, जोगवतां सुखजोग ॥ ७ ॥ गय रह सदस नव हुआ, नवलख जच्च तुरंग ॥ पत्ति हुआ नव कोडि तस, राजनीति नवरंग ॥ ॥ राज निकंटक पालतां, नव शत वरस विलीन ॥ पतिपालने, नृप हुई नव पद लीन ॥ ए॥ - पटदेवी जे मया तथा ( अन्य के० ) बीजी राणी ने पांच सखी श्रृंगारसुंदरीनी साथे श्रीपाले परणी बे, माटे ते पण स्त्रीर्ड बे, ते परिवारनी साथे (विहरु के० ) अविचल राग धरतो बीजा पण घणा श्रावक, श्राविकार्जनी साथे सिद्धचक्रने आराधे बे, जेथी संसारसमुद्रनो ताग एटले पार पामे ॥ ६ ॥ दवे श्रीपाल राजाने संसारना ( सुखजोग के० ) विषयसुख जोगवतां थका ( मयणादिक के० ) मयणासुंदरी प्रमुख स्त्रीजना ( संयोग के० ) संयोगथी ( निरुपम के० ) कोइनी पण जेने उपमा अपाय नहीं एवा अत्युत्तम ने ( गुणनिधि के० ) गुणोना जंमाररूप | त्रिभुवनपाल जेमां मुख्य बे एवा नव तनय एटले पुत्र थया. अर्थात् पट्टराणी जे मयणासुंदरी तेने त्रिभुवनपाल नामे पुत्र थयो, छाने बीजी श्राव स्त्रीने एक एक पुत्र थयो, एम सर्व मली मनोहर नव पुत्रो थया ॥ ७ ॥ नव हजार हाथी, तथा नव हजार रथ, थाने नव लाख जातिवंत घोमा थथा तथा पायदल लश्कर नव क्रोम संख्याए ययुं. ए रीते चतुरंगिणी सेना थइ. एम श्रीपाल राजानी राजनीति सर्व नवरंगी थइ ॥ ८ ॥ ए रीते ( निकंटक के० ) शत्रु रहित राज | पालतां थका नवसो वर्ष ( विलीन के० ) वही गयां पढी मयणानो पुत्र जे त्रिभुवनपाल, तेने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only खंग. ४ ॥१८२॥ www.jainelibrary.org

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