Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 396
________________ श्रीरालब्धि कहे।ए.' लब्धि कहीए. अगीयारमी जेथी दाढा विष युक्त होय तेने श्राशीविष लब्धि कहीए. ते एक है। खंग. जातिश्राशीविष अने बीजी कर्मश्राशीविष ए बे प्रकारे . तेमां वली जातिश्राशीविष ते सर्प, ॥एए६॥ वीडी, देमकां अने मनुष्य, ए चार प्रकारे जाणवी, अने कर्मयाशीविष तो तिथंच तथा मनुष्य नेज होय, माटे तिर्यंच अने मनुष्य श्राश्रयी बे प्रकारे . ए तप अने क्रिया अनुष्ठानादिके करी| उपजे बे, ते सादिकनी पेरे सादिके करी अनेराने विणासे तेने आशीविष लब्धि कहीए. बारमी केवलज्ञानप्राप्ति तेने केवल लब्धि कहीए. तेरमी श्रीगणधरने गणधरपणानी लब्धि कहीए. चौदमी पूर्वधरने पूर्वधर अथवा श्रुतज्ञान लब्धि कहीए. पंदरमी श्रीतीर्थकरने तीर्थकर लब्धि कहीए, अथवा सभोसरणनी रचना करी तीर्थकर जेवो महिमा करी देखाडे ते ऋषीश्वरने तीर्थ-18 कर लब्धि कहीए. सोलमी जेथी चक्रवर्तीपणुं पामे, अथवा चक्रवर्तीनी राजशकि करी देखाडे तेने चक्रवर्तीपणानी लब्धि कहीए. सत्तरमी बलदेवने अथवा जे बलदेवनी शकि फोरवे तेने बलदेवपणानी लब्धि कहीए. अढारमी वासुदेवने अथवा वासुदेवनी शकि जे इषि फोरवे तेने 2 वासुदेवपणानी लब्धि कहीए. उंगणीशमी जेनी वाणीमां उध साकर करतां पण वधारे मीगश उपजे तेने कीराव तेमज मध्वाश्रव, घृताश्रव तथा कुरसाव लब्धि कहीए. वीशमी जे कषिना कोग मांहे पेटीनी परे समस्त सूत्रार्थ निश्चलरूप छिनरी होय तेने कोष्टक लब्धि कहीए. एकवीशमी पदानुसारिणी लब्धि त्रण प्रकारे . एक जेनी धुरला पदनो अर्थ अथवा धुरबुं पद । सांजलीने बेला पद पर्यंत अर्थनी विचारणाने विषे मोटी बुद्धि होय तेने अनुश्रुतपदानुसारिणी लब्धि कहीए. बीजी नेहा पदना अर्थने सांजलवे करी प्रतिकूल पदे करी धुरला पद सुधी विचा-31 ॥९ए६॥ रणा करवामां जेनी चतुराश होय ते प्रतिकूलपदानुसारिणी लब्धि जाणवी. त्रीजी लेने मध्य पदा एटले वचकुं एक पद सांजलवाथी पहेला अने बेबा पदनुं विज्ञान यश् जाय तेने उजयपदानुसारिणी लब्धि कहीए. एम पदानुसारिणी लब्धि त्रण प्रकारे जाणवी. बावीशमी जेम कर्षणी -COCCAMCHARACCIDCOSCAMCHARACROCA Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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