Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 395
________________ आमोसह पमुद्दा बहु लधि, होवे जास प्रजावे ॥ अष्ट महासिद्धि नव निधि प्रगटे, नमी ते तप जावे रे || जविका ॥ सि-६चक्र० ॥ ४३ ॥ अर्थ - वली (जास के० ) जे तपना प्रजावथी ( आमोसदी के० ) आमशषधि प्रमुख घणी लब्धि उपजे बे. ते लब्धि सर्व मली श्रम्यावीश बे. तेनां नाम कहे बे. प्रथम जे कृषीश्वरना हस्तपादस्पर्श मात्रे करी रोग जाय ते आमशैौषधि लब्धि जाणवी. बीजी जे मुनिराजना मल मूत्रे करी रोग जाय तेने वप्पौषधि, विट्पुरीष लब्धि कहीए. त्रीजी जे कृषीश्वरनो श्लेष्म औषधिरूप होय तेने खेलौषधि लब्धि कहीए. चोथी जे रूषीश्वरना शरीरनुं प्रखेदजल औषधिरूप होय तेने | जलौषधि लब्धि कही ए. पांचमी जे कृषीश्वरनां केश, रोम, नखादिक ए सर्व औषधिरूप होय, सर्व | प्रकारना रोग निवारवाने समर्थ होय अने सुगंध युक्त होय तेने सर्वोषधि लब्धि कहीए. बडी जे एकज वारे सघली इंद्रियोए सांजलवानी शक्ति होय अथवा एक इंद्रिये करी सर्व इंडियोना व्यापार लेवानी शक्ति होय अथवा वार योजनमां चक्रवर्त्तनुं कटक होय, ते कटकमां जे वारे एकज समये सर्व जातिनां वाजित्र वाजे ते वारे ते समकाले वाजतां एवां सर्व प्रकारनां वाजित्रोना शब्दने जूदा जूदा जाणी शके ते शक्तिने संन्निश्रोत्रलब्धि कहीए. सातमी अवधिज्ञानवालानी जे जाणवानी | शक्ति तेने अवधिज्ञानरूप लब्धि कहीए. आाठमी जेथी मनःपर्यवज्ञाने करी सामान्य मात्र जाणे, एटले था अमुक जीवे मन मांहे घट चिंतव्यो बे एटलुंज जाणे, पण ए घट केवो अने क्यांनो इतो इत्यादिक न जाणे, अथवा अढी द्वीपना मनुष्यनां मन संबंधी बादर पर्याय जाणे तेने रुजुमति लब्धि कहीए. नवमी एवं जाणे जे एणे घट चिंतव्यो बे ते सोनानो बे ने पाली पुरनो नीपन्यो बे, अथवा अढीद्वीप संबंधी मनुष्यनां जे मन, तेना सूक्ष्म पर्याय जाणे तेने विपुलमति लब्धि कहीए. दशमी चारण लब्धि बे प्रकारे बे, एक जंघाचारण अने बीजी विद्याचारण, एने चारण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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