________________
श्री०रा०
॥ ९८६ ॥
प्रदेशनी श्रेणीए प्रवर्त्तन करे तेथी बीजा प्रदेशने ( अफरसी के० ) फरसे नहीं, एटले समश्रेणीना प्रदेशने अंतरे रह्या जे वीजा प्रदेश तेमने फरस्या विना जे प्रदेशे सिद्ध थया तेज प्रदेशे समश्रेणीए एक समयमां सिद्धगति पामे. जे वारे तिहां पहोंचे ते वारे ( चरम के० ) बेल्ला शरीरनो ( तिजाग के० ) त्रीजो जाग विशेष घटे, एटले नव हाथनी काया होय तो व हाथनी काया रहे, एवी श्रवगाहना लइने सिद्धगति पाम्या ते ( अशेष के० ) समस्त सिद्ध ने नम स्कार करो ॥ ६ ॥
पूर्वप्रयोग ने गति परिणामे, बंधनवेद प्रसंग ॥ समय एक करध गति जेहनी, ते सिह समरो रंग रे || नविका ॥ सि६चक्र० ॥ ७ ॥
- एक पूर्वप्रयोग जे पूर्वे बलपणुं हतुं ते माटे, बीजुं जीवमां सहेजे गतिपरिणाम वे तेथी, त्रीजुं कर्मनो बंधनवेद थयो माटे, चोथुं अनादि प्रसंगी टब्यो, असंगी थया माटे, एक समय पर्यंत ऊर्ध्व गति बे, पठी अचल बे. हवे ए सिद्धगतिए पहोंचवाना चार दृष्टांतनो अर्थ कहे बे. तेमां धनुष्य चडावी वाण मूकवाने अवसरे पूर्वप्रयोग विधिए पपउनुं प्रेयुं जेम बाण जाय तेम श्रात्मा पूर्वे कर्म सहित हतो ते सर्व कर्मनी एकसो अठावन प्रकृतिनो बंध, उदय, उदीरणा अने सत्तानो दय थाय, ते वारे जीव उंचो जाय, सिद्ध थाय, ते जीवनुं पूर्वप्रयोगलक्षण कहीए. बीजो जेम अनि मांहेथी धूम्र नीकले ते तुरत उंचो चडे तेम आत्मा कर्मथी वेगलो थाय तो एनी गति पण उंची जवानी छे, माटे उंचो चडे तेने गतिपरिणाम स्वनाव कहीए. त्रीजो जेम एरंग वृनां फल पाके ते श्रातपने योगे सुकाया पढ़ी फाटे, ते वारे तेनुं बीज नीकले ते उंचुं उबले तेम जवरूप वन मांहे मनुष्यरूप वृक्ष बे, तेनुं समकितरूप स्थल
For Personal and Private Use Only
Jain Educationa International
खंग. ४
॥ १०६ ॥
www.jainelibrary.org