Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 374
________________ श्री० रा० ॥१८५॥ जेमनी पांत्रीश गुणे करी युक्त वाणी बे, ते वाणीए करीने जे जगतना जनने प्रतिबोध करे बे, हे जव्य प्राणी ! ते श्री जिनेश्वरने विशेषे करी नमीए एटले नमस्कार करीए इहां वाणीना पांत्रीश गुणनां नाम लखीए बीए. प्रथम जे स्थानके जे जाषा बोलवानो व्यवहार वे तिहां तेज जापाने बोले, अर्द्धमागधी सहित बोले. बीजो उच्च स्वरे देशना आपे, जेथी एक योजन प्रमाण समवसरणमां बेबेला लोक सर्व सांजले. त्रीजो ग्रामिक तुछ जाषा न बोले, प्रौढ जाषा बोले. चोथो मेघनी परे गर्जारव सहित गंजीर वाणी बोले. पांचमो शब्दोपेत एटले पमवृंदा सहित वाणी बोले, अने सांजलनारने निन्न जिन्न शब्द जपाई श्रावे तेम बोले. बडो सांजलनार ने | संतोषकारक मान सहित सरलता युक्त बोले. सातमो सांजलनार सहु जूदा जूदा पोतपोतानां | हृदय मांहे एम समजे जे जगवान् श्रमनेज उद्देशीने वोले बे, एम सहुने बहुमान उत्पन्न करवावाली जाषा वोले. ए सात गुण शब्दाश्रयी जाणवा. याठमो घणा पुष्ट विस्तार अर्थ सहित बोले. नवमो पूर्वापर विरोध एटले सरिखो मलतो अर्थ बोले. दशमो मोटाइनां वचन बोले के जेथी सांजलनारा एम कहे जे ए वचन एवा मोटा पुरुषयीज बोलाय, पण वीजाथी न बोलाय एम प्रशंसा करे, तथा अमित सिद्धांतोक्त बोले. अगीयारमो एवं स्पष्ट बोले के | जेथी कोइ पण सांजलनारने बिलकुल संदेह रहे नहीं. बारमो प्रभु जे श्रर्थनुं व्याख्यान करे तेने कोइ डूषण यापी शके नहीं. तेरमो जे विषय घणो सूक्ष्म अने बहु कठण होय ते विषय एवी रीते बोले के जेथी सांजलनारानां हृदय मांहे ते वात तुरत रमी जाय. चौदमो प्रस्तावो चित एटले जिहां जेवुं बोलवा योग्य होय तिहां तेवुं बोले, मांहोमांहे अर्थ मले एम बोले, वृद्धवादी गुरुने दृष्टांते. पंदरमो परमेश्वरने जे वस्तु विवक्षित बे तेज सिद्धांत लइ वोले अर्थात् षड् द्रव्य नव तत्त्व पुष्ट थवारूप अपेक्षा सहित बोले. सोलमो विषय, संबंध, प्रयोजन अने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only) खंग, ४ ॥१८५॥ www.jainelibrary.org

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