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श्री राउर्जनपणाने अंगीकार करीने मन मांहे चिंतवना करतो हवो के मारा तो बेहु हाथ (जूं, खस ३
के) नूमिए पड्या, परंतु एक पण कार्य सिध्यु नहीं, तथापि हवे जो ढुं पी शकुं नहीं तोपण , ॥ए ॥
ढोली तो ( शकुं के०) ना, तेश्री शेठे एवो निश्चय कीधो के ए तो सातमी नूमिए एकलोज |
सुवे बे, बीजु को पासे नथी,माटे हवे हुँ एने (निज के०) पोताने हाथेज ( हणुं के०)18 है। हणी नाखू के जेथी बे स्त्री अने एनी लक्ष्मी ते तो मारे हाथे नहीं चडे, तो पण ए पोते जोगवी | |शकशे नहीं, एटबुं तो काम थशे. एवो निश्चय करीने ॥ २७ ॥
कुंअर पोढ्यो ने जिहां रे, सातमी जूंइए आप रे॥ चतुर ॥ लेश कटारी तिहां चढ्यो दो लाल ॥ पग लपट्यो देगे पड्यो रे, आवी पदोतुं पाप रे॥ चतुर ॥ मरी नरके गयो सातमी दो लाल ॥ ॥ लोक प्रनाते तिहां मल्यां रे, बोले धिक धिक वाण रे॥ चतुर ॥ स्वामिजदी ए थयो हो लाल ॥ जेह कुंअरने चिंतव्यु रे, आप लयु निरवाण रे
॥ चतुर ॥ उग्र पाप तरतज फले दो लाल ॥२॥ अर्थ-जिहां सातमी नूमिए कुंवर पोढ्यो बे, तिहां ते धृष्ट, अनिष्ट, पापिष्ठ धवल शेठ पोते है हाथमा कटारी लश्ने चढ्यो, परंतु सातमी नूमिए क्यांएक उन्मार्गे पग मूकतां पग (लपट्यो | के) खसी गयो, तेश्री सातमी नूमिथी हेगे आवी पड्यो. तिहाथी पमतां शेठने पोताना हाथमां कटारी हती ते पण लागी, अने शेग्नुं पाप पण थावी पहोंच्युं, एटले पापनो घडो | जराणो हतो ते पण फूट्यो. तेने लीधे शेव आर्त रौद्ध ध्यानमां वर्त्ततो थको मरण पामीने सातमी नरके गयो. एटले सातमी नूमिथी पड्यो अने सातमी नरकपृथ्वीए गयो, केमके एवा नीच पुरुषोने एवुज स्थानक मले, परंतु वीजुं नहीं ॥ यतः ॥ सो सत्तम नूमि, पमि पत्तो य
॥ए
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