Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek,
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
खंम.
श्रीराम प्रथम सामान्यपणे जे पदना जेटला गुण जे ते पदना तेटला गोलक ते श्रीपाल राजा मनने |
माविषे (अधिकी खंत के०) अधिक नजमणानी खांते (वंत के० ) मूके ॥४॥ पहेला जिन-11 ॥रणा
पद के० ) अरिहंतपदना बार गुण बे, तथा अरिहंतपद ( धवळ के० ) धोबुंडे, माटे श्वेत चंदने 2 रंगीने वार गोलक मूक्या. वली आठ महाप्रातिहार्यरूप आठ मूल गुण दे तेनां पवित्र कर्केतन|| आठ रत्न मूक्यां. वली चोत्रीश अतिशय , माटे तिहां चोत्रीश हीराए सहित शोजायमान कस्यु.. ( गिरु के० ) श्रेष्ठ, नले गुणे करी गरिह ते मोटुं जे अरिहंतपद तेनी नक्ति करे ॥५॥
सिपदे अम माणिक रातमां, वली गतीस प्रवाल ॥ घुसृण विलपित गोलक तस ग्वे, मूरति राग विशाल ॥ तप० ॥६॥ पण मणि पीत नीश गोमेदके, सूरिपदे ग्वे गोल ॥ नील रयण पचवीस पाठकपदे,
वे विपुल रंगरोल ॥ तप० ॥ ७॥ | अर्थ-हवे सिक राते वणे अने आठ गुणे सहित , माटे तिहां ( रातमां के० ) रातां आठ 3 *माणिक स्थापे. वली वीजा एकत्रीश गुण बे, माटे प्रवाला एकत्रीश (ग्वे के०) मूके. वली ( घुसूण
के० ) राता वावनाचंदने विलेपन करेला रंगीत गोलक एकत्रीश ते सिजनी (मूरति के ) स्थापना श्रागल विशाल राग धरीने मूके ने ॥६॥ हवे श्राचार्यना पांच आचार , माटे पांच पुष्कराज नामक मणि रत्न स्थापे. वली बत्रीश गुण , माटे (पीत के० ) पीला उत्रीश गोमेदक रत्ने सहित पीले रंगे रंगीत करी त्रीश गोलक घ्रत खांडे नरीमुके. वली (पाठक
के उपाध्यायपदे पचीश गुण , माटे पचीश नीला रत्न मूके, तथा नीले वर्णे रंगी पचीश गोलक (विपुल के०) घणा रंगरोले करी (ग्वे के०) मूके ॥७॥
ACANCo-CAR-ACANCCCCCC
णा
in Education International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420