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तिलोत्तमा प्रमुख अप्सरा विगेरे ( रमणी के०) जेस्त्री, तेना समूह कल्या, ते तो ए त्रैलोक्य-1|| सुंदरीने घमवाने अर्थे करलेख एटले हस्तलेख सुधारवा माटे प्रथम खरडो कस्या. एम करता करतां| जे वारे ते ब्रह्मानो हाथ वक्ष्यो ते वारे तेणे विगतोपमान एवी ए त्रैलोक्यसुंदरीने घमी, एटले || ब्रह्माने विषे जे स्त्रीना रूपमा सृष्टि नीपजाववानी अने रूपवंत करवा संबंधी क्रियाकुशलतानी सीमा हती ते सघली तेणे ए स्त्री घमवामां वापरी नाखी. हवे एथी उपरांत रूप, कला अने के गुणवान् को बीजी स्त्री घमवानी शक्ति विधातामां रही नहीं, एमां जेटलु महापण इतुं ते हैं त्रैलोक्यसुंदरी बनाववाना काममा लगाड्यु. हवे अहीं कोई प्रश्न करे के ब्रह्माए प्रथम रंजादिक
स्त्री जे घडी ते तो जाणे त्रैलोक्यसुंदरीने घमवा माटे हाथ वाल्यो हतो ते तो साचुं बे, पण जाए त्रैलोक्यसुंदरी नीपजाव्या पडी वली ब्रह्माए बीजी उतरता रूपनी स्त्री जगतमां शामाटे नीप-18 | जावी ? केमके साध्यनी परिसमाप्तिए को क्रिया करे नहीं. तेनो उत्तर कहे जे जे “विधिने |
रचना बीजी तणी” एटले त्रैलोक्यसुंदरीने घड्या पली वर्तमान काले तथा आगामिक काले बीजी घणी स्त्री विधाताए नीपजावी, पण ते सर्वनां रूप, गुण अने कला, ए सहु सामान्य कीधां; ते एटला वास्ते के ( एहनो के ) ए त्रैलोक्यसुंदरीना जययशनो ( उल्लेख के०) उत्कर्ष लेख करवा माटे, एटले ए त्रैलोक्यसुंदरीने सर्वोत्तम, सर्वथी अधिक रूप, कला अने गुणना यशनो जय आपवा माटे तथा तेनो वान वधारवा माटे नीपजावी बे अर्थात् विधाताए पोते त्रैलोक्यसुंदरीने सर्वोत्तम ठराववाना हेतुथी तेनो मुकाबलो करवाना निमित्ते बीजी त्रैकालिक स्त्री कीधी , अने ते सर्व स्त्रीउनां रूप, कला श्रने गुणने जीते तेवी ए त्रैलोक्यसुंदरी करी बे, तेथी तेज दीप्ति थने, केमके सरस वस्तुनुं जाणपणुं केवारे थाय ? के जे वारे तेनी पासे बीजी निरस वस्तु होय ते वारे ते मूलगी वस्तु सरस दीगमां आवे. तेम ब्रह्माए पण एने
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