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हां गणापुरी नामे नगरी बे, ते केवी बे ? तो के साक्षात् जेवी अलकापुरी होय तेवी वसे | ॥२॥ तिहां वसुपाल नामे राजा राज्य करे , ते आखा कोंकण देशनो राजा कहेवाय जे. जेनो ६ महिमा जगतमां गाजी रह्यो जे ॥३॥
जी०॥एक दिन सन्ना मझार,निमित्तियो एक आवीयो॥जीरे जी॥जी॥ प्रश्न पूछेवा देत,राय तणे मन नावीयो॥ जीरे जी॥४॥जी॥ कदो जोशी अम धूअ, मदनमंजरी गुणवती॥ जीरे जी॥ जी० ॥ तेह तणो नरतार, कोण थाशे नल नपति॥जीरे जी॥५॥जी॥किम मलशेअमतेह, शे अदिनाणे जाणशुं॥जीरे जी॥जी॥ कोण दिवस कोण मास,घर तेमीने आणशुं ॥जीरे जी॥६॥जी० ॥ सकल कहो ए वात, जो तुम विद्या ने खरी ॥ जीरे जी ॥जी॥शास्त्र तणे परमाण, अमचिंता टालो
परी ॥ जीरे जी॥७॥ ___ अर्थ-एक दिवसे ते वसुपाल राजानी सनाने विषे एक निमित्तप्रकाशक निमित्तियो आव्यो, ते 3 निमित्तियो प्रश्न पूवाने हेते राजाना मनमा घणोज (नाव्यो के ) गम्यो ॥४॥ तेथी राजाए प्रश्न पूठ्यो के हे जोशी ! तमे कहो के अमारी बहु गुणवंती एवी एक मदनमंजरी नामे (धूश 3 के०) पुत्री , तेनो जलो जर्तार कयो नूपति थशे ? ॥ ५॥ तथा ते श्रमने केवी रीते मलशे? तथा शी श्रहिनाणीए अमे तेने जाणशुं ? तथा कये महीने अने कये दिवसे अमे तेने घेर । तेमीने लावशुं ? ॥ ६॥ माटे जो तमारी विद्या खरेखरी तो ए सर्व वात अमने कहो, अने का शास्त्रना प्रमाणे करी थमारी चिंता परी टालो, एटले पूर करो ॥७॥
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