Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons
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नमो अरिहन्ताण श्रद्धा, विनय समेत, नमो अरिहन्ताण । प्राजल, प्रणत सचेत नमो अरिहन्ताण ॥ आध्यात्मिक पथ के अधिनेता।
प्रम विश्व-विजेता।
शरच्चन्द्र सम श्वेत,
नमो अरिहन्ताण ॥१॥ अक्षय, अरुज, अनन्त, अचल जो। अटल, अस्प, स्वरप अमल जो।
अजरामर अहत,
न मो मिद्धाण ॥२॥ धर्म-मघ के जो नवाहक । निमल धर्म-नीति निर्वाहा ।
शासन में समवेत,
नमो पायरियाण ॥३॥ प्रागम अध्यापन में अधिकृत । विमल कमल मम जीवन अविरत ।
सम, मयम समुपेत,
नमो उपग्मायाण ॥4॥ प्रात्म-मापना तीन अनवरत । विपय-यामनायो मे परत ।
'नुलनी है अनिकेत,
नमो (नोए) नन्ब चाहण ॥५॥ मर-ममी नमो

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