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गुरुवर हमको मर्यादा का आधार चाहिए । आचार चाहिए, साकार चाहिए,
उच्च
सत्य
विमल व्यवहार चाहिए, सुविचार चाहिए ||
सदा
मर्यादा ही जीवन है, मर्यादा जीवन धन है, गण-वन मे इसका ही प्राकार चाहिए ॥१॥
मर्यादा चाहे छोटी, जीवन की सही कसौटी, सयम को सयम का व्यापार चाहिए ॥२॥
छूटे तो तन यह छूटे, सवमे ऐसे ऊडे
शासन सम्बन्ध न टूटे, संस्कार चाहिए ||३||
छाए जो दाए बाए, तत्क्षण हम तोड गिरायें,
न हमे दलवन्दी की दीवार
चाहिए ॥४॥
ते जो बाह्य नियन्त्रण, उनको क्यो कभी अपने से ही अपना उद्धार
लय- पानी श्राया पुला दे
गुरु ]
निमन्त्रण, चाहिए ||५||
नियमित गति हो न निरकुश, प्रेरक 'हय रस्सि गयकुस, डगमगती नैया को पतवार
चाहिए ॥६॥
अपने सस्मरण सुनाए, ग्राह्लादित सव बन जाए, ऐसी घटनाओ का विस्तार चाहिए ॥७॥
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